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जयपुर: सोलह श्रृंगार कर नव विवाहिताओं ने मनाया 'सिंजारा' पर्व - सिंजारा

हरियाली तीज से एक दिन पहले बुधवार को गुलाबी नगरी सिंजारे के रंग में रंगी नजर आई. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किए. इस दौरान घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनाए गए.

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सोलह श्रृंगार कर नव विवाहिताओं ने मनाया 'सिंजारा' लोकपर्व
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Published : Jul 22, 2020, 7:51 PM IST

जयपुर. हरियाली तीज से एक दिन पहले बुधवार को गुलाबी नगरी लोकपर्व सिंजारे के रंग में रंगी नजर आई. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किए. घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनाए गए. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार महिला संगठनों ने सामुहिक रूप से सिंजारा महोत्सव का आयोजन नहीं किया.

सिंजारा लोकपर्व

हालांकि जयपुर के घरों में सिंजारे की अलग ही छठा देखने को मिली. सिंजारे पर जहां नवविवाहिता के ससुराल से विशेष रूप से घेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रंगार की सामग्री भेजी गई. वहीं सिंजारा पर कई जगहों पर महिलाओं ने प्रकृति की बिछी हरियाली की चादर के मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए बाग-बगीचों में जाकर झूले झूलती नजर आई. साथ ही राजस्थानी लोक गीत पर नृत्य कर सिंजारा उत्सव मनाया.

पढ़ें: बुधवार को लोकपर्व 'सिंजारा' के रंग में रंगी नजर आएगी गुलाबी नगरी

आज के दिन कुवांरी कन्याओं के लिए ससुराल से विशेष रूप से सिंजारा आया. जिसमें राजस्थानी परंपरा के अनुसार लहरिया, घेवर और सुहाग का सामान था. सिंजारे पर मेहंदी लगाने की भी परंपरा है. ऐसे में महिलाओं और युवतियों ने अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी से हाथ रचाए. नवविवाहिता को पैरों में आलता भी लगाया गया. जो महिलाओं के सुहाग की निशानी होती है. वहीं सुहागिनों ने सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती दिखी. अब गुरुवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा. राजस्थान में इस बार सिंजारा कोरोना के कारण उतने चाव से नहीं मनाया जा सका. इस तरह के पर्व सांस्कृतिक रूप से बच्चे, जवान, महिलाओं को एक साथ लेकर आते हैं.

जयपुर. हरियाली तीज से एक दिन पहले बुधवार को गुलाबी नगरी लोकपर्व सिंजारे के रंग में रंगी नजर आई. सुहागिन महिलाओं ने लहरिया की पोशाक पहनकर मेहंदी रचाई और सोलह श्रृंगार किए. घरों में तरह-तरह के पकवान भी बनाए गए. हालांकि कोरोना संक्रमण के चलते इस बार महिला संगठनों ने सामुहिक रूप से सिंजारा महोत्सव का आयोजन नहीं किया.

सिंजारा लोकपर्व

हालांकि जयपुर के घरों में सिंजारे की अलग ही छठा देखने को मिली. सिंजारे पर जहां नवविवाहिता के ससुराल से विशेष रूप से घेवर, मेवा, आभूषण, साड़ियां, सोलह श्रंगार की सामग्री भेजी गई. वहीं सिंजारा पर कई जगहों पर महिलाओं ने प्रकृति की बिछी हरियाली की चादर के मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए बाग-बगीचों में जाकर झूले झूलती नजर आई. साथ ही राजस्थानी लोक गीत पर नृत्य कर सिंजारा उत्सव मनाया.

पढ़ें: बुधवार को लोकपर्व 'सिंजारा' के रंग में रंगी नजर आएगी गुलाबी नगरी

आज के दिन कुवांरी कन्याओं के लिए ससुराल से विशेष रूप से सिंजारा आया. जिसमें राजस्थानी परंपरा के अनुसार लहरिया, घेवर और सुहाग का सामान था. सिंजारे पर मेहंदी लगाने की भी परंपरा है. ऐसे में महिलाओं और युवतियों ने अपने हाथों पर तरह-तरह की कलाकृतियों में मेहंदी से हाथ रचाए. नवविवाहिता को पैरों में आलता भी लगाया गया. जो महिलाओं के सुहाग की निशानी होती है. वहीं सुहागिनों ने सास के पैर छूकर उन्हें सुहागी देती दिखी. अब गुरुवार को घरों में महिलाओं का पर्व तीज मनाया जाएगा. राजस्थान में इस बार सिंजारा कोरोना के कारण उतने चाव से नहीं मनाया जा सका. इस तरह के पर्व सांस्कृतिक रूप से बच्चे, जवान, महिलाओं को एक साथ लेकर आते हैं.

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