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SOP issued in Rajasthan: बिना जांच चिकित्साकर्मियों पर नहीं होगा मामला दर्ज, एसपी की मंजूरी के बाद हो सकेगी गिरफ्तारी

चिकित्सकों पर होने वाले हमले और लापरवाही के मामलों में दर्ज होने वाले प्रकरणों को लेकर गृह विभाग (New SOP issued by Home ministry in Rajasthan) ने रविवार को एसओपी जारी किया है. इसके तहत डॉक्टर के खिलाफ मामला दर्ज करने से पहले सरकार की ओर से जारी किए दिशा निर्देश का पालन करना होगा. चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी से पहले एसएचओ को संबंधित पुलिस अधीक्षक या उपायुक्त से मंजूरी लेनी होगी.

New SOP issued by Home Department in Rajasthan
राजस्थान में गृह विभाग ने जारी किया एसओपी चिकित्साकर्मियों
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Published : May 29, 2022, 6:45 PM IST

जयपुर. उपचार के दौरान चिकित्सकों पर होने वाले हमले और लापरवाही के मामलों में दर्ज (New SOP issued by Home ministry in Rajasthan) होने वाले प्रकरणों को लेकर गृह विभाग ने रविवार को एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी किया है. नए एसओपी में इस प्रकार के मामलों में बिना जांच के चिकित्साकर्मियों पर केस दर्ज नहीं किया जाएगा. चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी से पहले एसएचओ को संबंधित पुलिस अधीक्षक या उपायुक्त से मंजूरी लेनी होगी.

पिछले दिनों दोसा के लालसोट में महिला डॉ अर्चना शर्मा सुसाइड मामले के बाद प्रदेश सरकार ने ऐसे प्रकरणों को लेकर नया दिशा निर्देश जारी किया है. सरकार ने एसओपी में कहा है कि वर्तमान में इंटरनेट से आधी अधूरी जानकारी लेकर रोगी के परिजन चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करवा देते हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्साकर्मियों को मानसिक रूप से उत्पीड़ित होना पड़ता है. नई एसओपी में कई प्रावधान किए गए हैं.

एसपी की मंजूरी के बाद ही गिरफ्तारी
किसी मामले में डॉक्टर-चिकित्साकर्मी की लापरवाही सामने आने पर थानाधिकारी बिना पुलिस अधीक्षक और पुलिस कमिश्नर की मंजूरी के डॉक्टर की गिरफ्तारी नहीं कर पाएंगे. एसपी भी डॉक्टर-चिकित्सकर्मी को गिरफ्तार करने के आदेश तब ही तब दे सकते हैं, जब थानाधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हों. सबूत इकट्ठा करने के लिए डॉक्टर-चिकित्सकर्मी की जरूरत हो. या अभियोजन से बचने के लिए खुद को छिपा रहे हों.

पढे़ं. डॉ. अर्चना शर्मा सुसाइड केस : भाजपा नेता जितेन्द्र गोठवाल सहित 2 गिरफ्तार, डॉक्टर के पति ने लगाए गंभीर आरोप

पुलिस करवाएगी पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी
राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति के नुकसान का निवारण) अधिनियम, 2008 के आधार पर नई एसओपी जारी की गई है. इसमें इलाज या ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही की सूचना या परिवाद पर थानाधिकारी रोजनामचे में मामला दर्ज करेंगे. यदि सूचना /परिवाद चिकित्सकीय उपेक्षा के कारण मृत्यु से सम्बन्धित है, तो IPC की धारा 74 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इस स्थिति में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी आवश्यक रूप से करवाई जाएगी.

मेडिकल बोर्ड से राय लेंगे पुलिस एसएचओ
चिकित्सकीय उपेक्षा की शिकायत पर संबंधित थाने के एसएचओ की ओर से प्राथमिक जांच की (Violence against doctors in Rajasthan) जाएगी. जांच के दौरान उन्हें मामले के संबंध में मेडिकल बोर्ड से स्वतंत्र और निष्पक्ष राय लेनी होगी. थानाधिकारी को मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल, सीएमएचओ से तीन दिन में मेडिकल बोर्ड गठित करवाना होगा. डॉक्टर की लापरवाही से मौत होने के मामले में विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मेडिकल बोर्ड का गठन अनिवार्य होगा. इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड को 15 दिन में अपनी राय पुलिस को देनी होगी. जिसकी समयावधि बढ़ाई भी जा सकती है.

पढ़ें. Rajasthan Police Transfer list - 11 डीएसपी के तबादले, पुलिस मुख्यालय से जारी हुई सूची

बोर्ड से राय मिलने पर दर्ज होगी एफआईआर
नई एसओपी के अनुसार चिकित्सकीय लापरवाही की मेडिकल बोर्ड से राय मिलने पर ही थानाधिकारी की ओर से एफआईआर दर्ज की जा सकेगी. जांच क बाद कोर्ट में चालान पेश करने से पहले आईपीसी की श्रेणी में आने वाले सभी मामलों में अभियोजन स्वीकृति ली जाएगी.

चिकित्सकों को भी दिए ये निर्देश
गृह विभाग की ओर से जारी एसओपी में राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था अधिनियम, 2008 की कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों से कहा गया कि उनके कार्य की प्रकृति और जनसाधारण के जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी अप्रिय घटना होने पर या अपनी किसी मांग को मनवाने के लिए अपने कार्य का दुरूपयोग नहीं करेंगे.

जयपुर. उपचार के दौरान चिकित्सकों पर होने वाले हमले और लापरवाही के मामलों में दर्ज (New SOP issued by Home ministry in Rajasthan) होने वाले प्रकरणों को लेकर गृह विभाग ने रविवार को एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर) जारी किया है. नए एसओपी में इस प्रकार के मामलों में बिना जांच के चिकित्साकर्मियों पर केस दर्ज नहीं किया जाएगा. चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी से पहले एसएचओ को संबंधित पुलिस अधीक्षक या उपायुक्त से मंजूरी लेनी होगी.

पिछले दिनों दोसा के लालसोट में महिला डॉ अर्चना शर्मा सुसाइड मामले के बाद प्रदेश सरकार ने ऐसे प्रकरणों को लेकर नया दिशा निर्देश जारी किया है. सरकार ने एसओपी में कहा है कि वर्तमान में इंटरनेट से आधी अधूरी जानकारी लेकर रोगी के परिजन चिकित्सक और चिकित्सा कर्मियों के खिलाफ आपराधिक प्रकरण दर्ज करवा देते हैं. ऐसी स्थिति में चिकित्साकर्मियों को मानसिक रूप से उत्पीड़ित होना पड़ता है. नई एसओपी में कई प्रावधान किए गए हैं.

एसपी की मंजूरी के बाद ही गिरफ्तारी
किसी मामले में डॉक्टर-चिकित्साकर्मी की लापरवाही सामने आने पर थानाधिकारी बिना पुलिस अधीक्षक और पुलिस कमिश्नर की मंजूरी के डॉक्टर की गिरफ्तारी नहीं कर पाएंगे. एसपी भी डॉक्टर-चिकित्सकर्मी को गिरफ्तार करने के आदेश तब ही तब दे सकते हैं, जब थानाधिकारी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हों. सबूत इकट्ठा करने के लिए डॉक्टर-चिकित्सकर्मी की जरूरत हो. या अभियोजन से बचने के लिए खुद को छिपा रहे हों.

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पुलिस करवाएगी पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी
राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था (हिंसा और सम्पत्ति के नुकसान का निवारण) अधिनियम, 2008 के आधार पर नई एसओपी जारी की गई है. इसमें इलाज या ऑपरेशन के दौरान चिकित्सकीय लापरवाही की सूचना या परिवाद पर थानाधिकारी रोजनामचे में मामला दर्ज करेंगे. यदि सूचना /परिवाद चिकित्सकीय उपेक्षा के कारण मृत्यु से सम्बन्धित है, तो IPC की धारा 74 के तहत मामला दर्ज किया जाएगा. इस स्थिति में पोस्टमार्टम की वीडियोग्राफी आवश्यक रूप से करवाई जाएगी.

मेडिकल बोर्ड से राय लेंगे पुलिस एसएचओ
चिकित्सकीय उपेक्षा की शिकायत पर संबंधित थाने के एसएचओ की ओर से प्राथमिक जांच की (Violence against doctors in Rajasthan) जाएगी. जांच के दौरान उन्हें मामले के संबंध में मेडिकल बोर्ड से स्वतंत्र और निष्पक्ष राय लेनी होगी. थानाधिकारी को मेडिकल कॉलेज प्रिंसीपल, सीएमएचओ से तीन दिन में मेडिकल बोर्ड गठित करवाना होगा. डॉक्टर की लापरवाही से मौत होने के मामले में विशेषज्ञ डॉक्टर के साथ मेडिकल बोर्ड का गठन अनिवार्य होगा. इसके साथ ही मेडिकल बोर्ड को 15 दिन में अपनी राय पुलिस को देनी होगी. जिसकी समयावधि बढ़ाई भी जा सकती है.

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बोर्ड से राय मिलने पर दर्ज होगी एफआईआर
नई एसओपी के अनुसार चिकित्सकीय लापरवाही की मेडिकल बोर्ड से राय मिलने पर ही थानाधिकारी की ओर से एफआईआर दर्ज की जा सकेगी. जांच क बाद कोर्ट में चालान पेश करने से पहले आईपीसी की श्रेणी में आने वाले सभी मामलों में अभियोजन स्वीकृति ली जाएगी.

चिकित्सकों को भी दिए ये निर्देश
गृह विभाग की ओर से जारी एसओपी में राजस्थान चिकित्सा परिचर्या सेवाकर्मी और चिकित्सा परिचर्या सेवा संस्था अधिनियम, 2008 की कड़ाई से पालन करने के निर्देश दिए हैं. साथ ही डॉक्टरों और चिकित्साकर्मियों से कहा गया कि उनके कार्य की प्रकृति और जनसाधारण के जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, उनसे ये अपेक्षा की जाती है कि वे किसी भी अप्रिय घटना होने पर या अपनी किसी मांग को मनवाने के लिए अपने कार्य का दुरूपयोग नहीं करेंगे.

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