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Good News : इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के क्रियान्वयन के लिए नवीन दिशा-निर्देशों को मंजूरी

अब मनरेगा की तर्ज पर शहर के लोगों को भी मांगने पर 100 दिन का रोजगार मिलेगा. श्रमिकों को काम का पेंमेंट सीधे उनके बैंक खातों में 15 दिन में मिलेगा. इस संबंध में सीएम अशोक गहलोत ने नए दिशा-निर्देश जारी किए (New guidelines for Indira Gandhi Sheri Rojgar Yojana) हैं. योजना के अंतर्गत 18 से 60 साल की आयु तक के शहरी लोगों का जन आधार कार्ड के आधार पर रजिस्ट्रेशन किया जाएगा.

New guidelines for Indira Gandhi Sheri Rojgar Yojana approved by CM
शहर के लोगों को मिलेगा 100 दिन का रोजगार, सीएम ने जारी किए इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना नए दिशा-निर्देश
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Published : May 22, 2022, 4:35 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के क्रियान्वयन के लिए नवीन दिशा-निर्देशों को स्वीकृति दी (New guidelines for Indira Gandhi Sheri Rojgar Yojana) है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई है.

सीएम गहलोत ने वर्ष 2022-23 के बजट में यह घोषणा की थी कि शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिन का रोजगार इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत उपलब्ध करवाया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी योजना पर राज्य सरकार प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपए व्यय करेगी. नवीन दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रस्तावित योजना में स्थानीय निकाय क्षेत्र में निवास कर रहे 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के सदस्य का जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीयन किया जाएगा. योजना में अनुमत कार्य करवाने के लिए राज्य/जिला/निकाय स्तर पर कमेटियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत और निष्पादित करवाया जाएगा. सामान्य प्रकृति के कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराने की सामग्री लागत व पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25:75 और विशेष प्रकृति के कार्यों के लिए सामग्री लागत व पारिश्रमिक भुगतान का अनुपात 75:25 होगा.

पढ़ें : इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में तय किए गए मिनीमम वेजेस पर बेरोजगारों ने उठाए सवाल

इसी तरह कार्यों का भुगतान मनरेगा के अनुरूप श्रमिकों के बैंक खाते में 15 दिवस में किया जाएगा. साथ ही, कार्यस्थल पर श्रमिकों को सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही शिकायतों के निवारण व सामाजिक अंकेक्षण के लिए भी योजना में प्रावधान किए गए हैं. योजना के संचालन के लिए स्थानीय निकाय विभाग तथा निकाय स्तर पर योजना प्रकोष्ठ गठित करते हुए विभिन्न अधिकारियों/कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति/संविदा नियुक्ति की जाएगी. साथ ही मनरेगा योजना के अनुरूप प्रस्तावित योजना के लिए प्रशासनिक व्यय को 800 करोड़ रुपए के 6 प्रतिशत तक सीमित रखे जाने के प्रस्ताव पर भी सहमति प्रदान की है.

जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के क्रियान्वयन के लिए नवीन दिशा-निर्देशों को स्वीकृति दी (New guidelines for Indira Gandhi Sheri Rojgar Yojana) है. ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार उपलब्ध कराने के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) की तर्ज पर शहरी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से यह योजना शुरू की गई है.

सीएम गहलोत ने वर्ष 2022-23 के बजट में यह घोषणा की थी कि शहरी क्षेत्रों में निवास करने वाले परिवारों को प्रति वर्ष 100 दिन का रोजगार इंदिरा गांधी शहरी रोजगार योजना के अन्तर्गत उपलब्ध करवाया जाएगा. इस महत्वाकांक्षी योजना पर राज्य सरकार प्रतिवर्ष 800 करोड़ रुपए व्यय करेगी. नवीन दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रस्तावित योजना में स्थानीय निकाय क्षेत्र में निवास कर रहे 18 वर्ष से 60 वर्ष की आयु के सदस्य का जन आधार कार्ड के आधार पर पंजीयन किया जाएगा. योजना में अनुमत कार्य करवाने के लिए राज्य/जिला/निकाय स्तर पर कमेटियों के माध्यम से कार्य स्वीकृत और निष्पादित करवाया जाएगा. सामान्य प्रकृति के कार्य स्वीकृत और निष्पादित कराने की सामग्री लागत व पारिश्रमिक लागत का अनुपात 25:75 और विशेष प्रकृति के कार्यों के लिए सामग्री लागत व पारिश्रमिक भुगतान का अनुपात 75:25 होगा.

पढ़ें : इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना में तय किए गए मिनीमम वेजेस पर बेरोजगारों ने उठाए सवाल

इसी तरह कार्यों का भुगतान मनरेगा के अनुरूप श्रमिकों के बैंक खाते में 15 दिवस में किया जाएगा. साथ ही, कार्यस्थल पर श्रमिकों को सुविधाएं प्रदान करने के साथ ही शिकायतों के निवारण व सामाजिक अंकेक्षण के लिए भी योजना में प्रावधान किए गए हैं. योजना के संचालन के लिए स्थानीय निकाय विभाग तथा निकाय स्तर पर योजना प्रकोष्ठ गठित करते हुए विभिन्न अधिकारियों/कार्मिकों की प्रतिनियुक्ति/संविदा नियुक्ति की जाएगी. साथ ही मनरेगा योजना के अनुरूप प्रस्तावित योजना के लिए प्रशासनिक व्यय को 800 करोड़ रुपए के 6 प्रतिशत तक सीमित रखे जाने के प्रस्ताव पर भी सहमति प्रदान की है.

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