जयपुर. एक तरफ जेसीटीएसएल घाटे में चल रहा है, वहीं दूसरी तरफ इलेक्ट्रिक बसों पर लगभग दोगुना दाम खर्च किया जाएगा. तर्क दिया जा रहा है कि इलेक्ट्रिक बसें पॉल्यूशन फ्री होंगी. लेकिन शहर में बढ़ते पॉल्यूशन के बावजूद डीजल बसें भी खरीदी जा रही हैं. जेसीटीएसएल की इस दोहरी मानसिकता से कई सवाल खड़े हो रहे हैं. इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए Etv Bharat ने जेसीटीएसएल के कार्यवाहक एमडी और ओएसडी वीरेंद्र वर्मा से खास बातचीत की.
सवाल: शहर की जरूरत को देखते हुए कितनी बसें ली जा रही हैं?
जवाब: जयपुर शहर की जनसंख्या को देखते हुए काफी बसों की जरूरत है. राज्य सरकार और केंद्र सरकार के सहयोग से नई बसें ली जा रही हैं. 100 इलेक्ट्रिक बसें हैं, जो सांगानेर डिपो से संचालित होंगी और 100 डीजल बसें हैं, जो बगराना से चलेंगी. डीजल बसें स्मार्ट सिटी के सहयोग से ली जा रही हैं. सभी 200 बसें साढ़े 8 से साढ़े 9 मीटर की मिनी बसें होंगी. इससे ट्रैफिक जाम की समस्या से भी निजात मिलेगी और आमजन को आने-जाने में भी सुविधा रहेगी.
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सवाल: घाटे में चल रहा जेसीटीएसएल, महंगी पड़ेगी इलेक्ट्रिक बसें?
जवाब: जो 100 इलेक्ट्रिक बसें ली जा रही हैं, वो भारत सरकार की फेम इंडिया स्कीम के तहत ली जा रही हैं. इस स्कीम का उद्देश्य ही इलेक्ट्रिक बसों को बढ़ावा देने का है. ये बसें प्रदूषण रहित हैं और जब जयपुर महानगर बनने की ओर अग्रसर है, तो यहां प्रदूषण भी एक बड़ा मसला रहेगा. ऐसे में भविष्य की पीढ़ियों को ध्यान में रखते हुए इलेक्ट्रिक बसें संचालित करने का फैसला लिया गया है. जो पैसा आज खर्च होगा, वो लोगों के जीवन और सेहत से ज्यादा महत्वपूर्ण नहीं है.
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सवाल: फिर क्यों ली जा रही 100 डीजल बस?
जवाब: जेसीटीएसएल 100 से ज्यादा इलेक्ट्रिक बसों के लिए अप्लाई किया था. लेकिन केंद्र सरकार ने फिलहाल 100 बसें ही दी हैं. भविष्य में यदि कोई स्कीम आती है, तो और इलेक्ट्रिक बस लेने की कोशिश की जाएगी. लेकिन शहर की जरूरत को देखते हुए राज्य सरकार की अनुमति और स्मार्ट सिटी के सहयोग से 100 डीजल बसें ली जा रही हैं.
सवाल: नई बसों का लंबे समय से चल रहा है इंतजार कब होगा खत्म?
जवाब: शहर के विस्तार को देखते हुए लंबे समय से 300 इलेक्ट्रिक और 300 डीजल बस खरीदने की प्लानिंग थी. फिलहाल, राज्य सरकार ने 100 डीजल बस उपलब्ध कराई है. इसके अलावा 100 डीजल बस और देने की तैयारी में है. इसके लिए मंजूरी मिल गई है, टेंडर नहीं किया गया है. जबकि 100 इलेक्ट्रिक बस केंद्र सरकार से मिली है. फिलहाल, जो बसें मिल रही हैं ये सभी आधुनिक होंगी और इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम से सुसज्जित होंगी.
सवाल: वर्तमान में संचालित कंडम हो चुकी बसों का क्या किया जाएगा?
जवाब: जो बसें कंडम हो चुकी हैं, उन्हें घोषित किया जा चुका है. कुछ बस ऐसी हैं, जो दो चार महीने में कंडम हो जाएंगी. इनमें से जो बसें चलने योग्य होंगी, उनका मेंटेनेंस कराया जाएगा. अन्यथा, उन्हें कंडम घोषित कर दिया जाएगा.
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बहरहाल, जेसीटीएसएल 100 इलेक्ट्रिक बस भी ले रहा है, और 100 डीजल बसें भी. इलेक्ट्रिक बस पॉल्यूशन फ्री होगी, लेकिन जेसीटीएसएल की जेब पर भारी पड़ेगी. वहीं डीजल बस पैसा बचाएगी, लेकिन आबोहवा पर भारी पड़ेगी. इन सबके बीच राहत की खबर ये है कि शहर की सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा जरूर पहले से बेहतर होगी.