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NCRB Report on Rape: राजस्थान में हर तीसरी पीड़ित नाबालिग, 90 % मामलों में परिचित

देश और प्रदेश में दुष्कर्म के आंकड़ों को लेकर आई एनसीआरबी की रिपोर्ट (NCRB on Rajasthan) में नाबालिग बच्चियों को लेकर चिंता बढ़ा दी है. ताजा आंकड़े बताते हैं कि दुष्कर्म की घटनाओं में देश में हर दूसरी और राजस्थान में हर तीसरी रेप विक्टिम नाबालिग है. बेहद शर्मनाक और भयावह बात ये है कि 90 % मामलों में परिचित ही आरोपी होते हैं.

NCRB Report on Rape
राजस्थान में हर तीसरी पीड़ित नाबालिग
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Published : Sep 9, 2022, 1:28 PM IST

जयपुर: देश और प्रदेश में आज भी हमारी लाडो सुरक्षित नहीं है. एनसीआरबी के ताजा आंकड़े (NCRB on Rajasthan) और ज्यादा चिंता बढ़ा देते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में देश में हर दूसरी और राजस्थान में हर तीसरी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग है (Rajasthan Rape cases). डेटा के मुताबिक लगभग 90 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित (परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवनसाथी, कर्मचारी या अन्य) होते हैं .

क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े?- सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल बताते हैं कि एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चिंताजनक हैं (NCRB Report on Rape). देश में और प्रदेश में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश मे हर दूसरी और राजस्थान में हर तीसरी रेप पीड़ित नाबालिग है. देश में दुष्कर्म के कुल मामले 85,551 दर्ज हुए. जिसमें 56,907 मामले नाबालिग बच्चियों के हैं. इसी तरह से राजस्थान की बात करें तो 6,938 मामले दुष्कर्म के कुल दर्ज हुए जिसमें 2102 मामले नाबालिग बच्चियों के हैं. विजय गोयल बताते हैं कि पॉक्सो में दर्ज होने वाले मामले भी दुष्कर्म की श्रेणी में ही माने जाते हैं. ऐसे में देश और प्रदेश में नाबालिग बच्चियों के साथ होने छेड़ छाड़ के दर्ज होने वाले मामलों में पॉक्सो की धाराओं को लगाया जाता है.

90 फीसदी में मामलों में परिचित आरोपी: सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू कहती हैं कि आकंड़े बताते हैं कि लगभग 90 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित होते हैं. इनमें परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवनसाथी, कर्मचारी या अन्य शामिल हैं. दिशा सिद्धू कुछ हद तक सोशल मीडिया को भी इसका जिम्मेदार मानती हैं. बच्चियों के साथ ही लड़कों के साथ हो रही ज्यादती की ओर भी इशारा करती हैं. कहती हैं- न केवल बच्चियों के साथ बल्कि माइनर बच्चों (लड़कों) के साथ भी यौन शोषण की घटनाएं बढ़ी हैं. जो बहुत ज्यादा चिंताजनक है.

इन घटनाओं पर रोक कैसे लगे, ये सवाल बेहद जरूरी हो जाता है. सिद्धू इसमें अभिभावकों की जिम्मेदारी की बात करती हैं. उनका मानना है कि इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी पैरंट्स की बनती है, वो ऐसी घटनाओं पर किसी भी तरह की चुप्पी न साधें.अकसर ही देखा जाता है कि परिवार और समाज लोक लज्जा के डर से चुप रहता है घटनाओं को दबा दिया जाता है. वहीं हम अगर घटनाओं को सामने लेकर आएंगे तो इससे अवेयरनेस बढ़ेगी और पेरेंट्स और ज्यादा सतर्क हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें-Rape In Rajasthan: शर्मनाक! गहलोत सरकार बनने के बाद 15 से ज्यादा रेप Victims ने दी जान

एकल परिवार बड़ी वजह: आसरा फाउंडेशन की सेक्रेटरी मंगला शर्मा करती है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार नाबालिग बच्चे बच्चियों के साथ में होने वाली यौन हिंसाओं में सबसे ज्यादा परिचित ही शामिल होते हैं. इस पर विश्लेषण के लिए हाल ही में एक सेमिनार आयोजित की गई जिसमें कई विधि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इनमें जज और वकील भी शामिल थे. सब के विचारों को सुनने के बाद हमने निष्कर्ष निकाला कि इस के दो मुख्य कारण हो सकते हैं पहला कारण आजकल संयुक्त परिवारों की कमी होना. चूंकि आजकल अधिकांशतः एकल परिवार का कल्चर है , जहां माता-पिता एक या दो बच्चे होते हैं. इनमें भी ज्यादातर बच्चों के माता-पिता नौकरीपेशा होते हैं. बच्चों को प्रॉपर समय नहीं दे पाते. दूसरा कारण मशरूफ माता-पिता के पास समय की कमी! दरअसल अपने रोजाना की जिन्दगी में Busy पेरेन्ट्स बच्चों को जरूरत के मुताबिक समय नहीं दे पाते. इससे होता ये है कि बच्चा किसी तीसरे शख्स की तरफ अट्रैक्ट हो जाता है. उनके ऊपर जल्दी भरोसा कर लेते हैं. तीसरा व्यक्ति उनके परिवार का सदस्य , पड़ौसी या परिचित हो सकता है. जो बच्ची की नादानी और मजबूरी का फायदा उठा यौन शोषण करता है.

पढ़ें-UP-MP में कुल जितने रेप, उससे ज्यादा अकेले राजस्थान में

क्या होना चाहिए?: मंगला बताती है कि नाबालिग बच्चों में होने वाली यौन हिंसा की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं ? सबसे जरूरी बच्चों को समय देना है. बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि वो जितना संभव हो उतना समय इनके साथ बिताएं. बच्चों के साथ स्कूल , कोचिंग , घर में क्या घटित हो रहा है उन सब के बारे में बच्चों से खुलकर बात करे. स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग हो. गुड टच , बैड टच के बारे में जानकारी दी जाए. अच्छा हो अगर संयुक्त परिवारों की ओर फिर से मुखातिब हुआ जाए.

जयपुर: देश और प्रदेश में आज भी हमारी लाडो सुरक्षित नहीं है. एनसीआरबी के ताजा आंकड़े (NCRB on Rajasthan) और ज्यादा चिंता बढ़ा देते हैं. राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में देश में हर दूसरी और राजस्थान में हर तीसरी दुष्कर्म पीड़िता नाबालिग है (Rajasthan Rape cases). डेटा के मुताबिक लगभग 90 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित (परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवनसाथी, कर्मचारी या अन्य) होते हैं .

क्या कहते हैं एनसीआरबी के आंकड़े?- सामाजिक कार्यकर्ता विजय गोयल बताते हैं कि एनसीआरबी के ताजा आंकड़े चिंताजनक हैं (NCRB Report on Rape). देश में और प्रदेश में नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं. आंकड़े बताते हैं कि देश मे हर दूसरी और राजस्थान में हर तीसरी रेप पीड़ित नाबालिग है. देश में दुष्कर्म के कुल मामले 85,551 दर्ज हुए. जिसमें 56,907 मामले नाबालिग बच्चियों के हैं. इसी तरह से राजस्थान की बात करें तो 6,938 मामले दुष्कर्म के कुल दर्ज हुए जिसमें 2102 मामले नाबालिग बच्चियों के हैं. विजय गोयल बताते हैं कि पॉक्सो में दर्ज होने वाले मामले भी दुष्कर्म की श्रेणी में ही माने जाते हैं. ऐसे में देश और प्रदेश में नाबालिग बच्चियों के साथ होने छेड़ छाड़ के दर्ज होने वाले मामलों में पॉक्सो की धाराओं को लगाया जाता है.

90 फीसदी में मामलों में परिचित आरोपी: सामाजिक कार्यकर्ता निशा सिद्धू कहती हैं कि आकंड़े बताते हैं कि लगभग 90 प्रतिशत मामलों में आरोपी पीड़ितों के परिचित होते हैं. इनमें परिवार के सदस्य, दोस्त, सह जीवनसाथी, कर्मचारी या अन्य शामिल हैं. दिशा सिद्धू कुछ हद तक सोशल मीडिया को भी इसका जिम्मेदार मानती हैं. बच्चियों के साथ ही लड़कों के साथ हो रही ज्यादती की ओर भी इशारा करती हैं. कहती हैं- न केवल बच्चियों के साथ बल्कि माइनर बच्चों (लड़कों) के साथ भी यौन शोषण की घटनाएं बढ़ी हैं. जो बहुत ज्यादा चिंताजनक है.

इन घटनाओं पर रोक कैसे लगे, ये सवाल बेहद जरूरी हो जाता है. सिद्धू इसमें अभिभावकों की जिम्मेदारी की बात करती हैं. उनका मानना है कि इस तरह की घटनाओं की रोकथाम के लिए सबसे बड़ी जिम्मेदारी पैरंट्स की बनती है, वो ऐसी घटनाओं पर किसी भी तरह की चुप्पी न साधें.अकसर ही देखा जाता है कि परिवार और समाज लोक लज्जा के डर से चुप रहता है घटनाओं को दबा दिया जाता है. वहीं हम अगर घटनाओं को सामने लेकर आएंगे तो इससे अवेयरनेस बढ़ेगी और पेरेंट्स और ज्यादा सतर्क हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें-Rape In Rajasthan: शर्मनाक! गहलोत सरकार बनने के बाद 15 से ज्यादा रेप Victims ने दी जान

एकल परिवार बड़ी वजह: आसरा फाउंडेशन की सेक्रेटरी मंगला शर्मा करती है कि एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार नाबालिग बच्चे बच्चियों के साथ में होने वाली यौन हिंसाओं में सबसे ज्यादा परिचित ही शामिल होते हैं. इस पर विश्लेषण के लिए हाल ही में एक सेमिनार आयोजित की गई जिसमें कई विधि विशेषज्ञों ने हिस्सा लिया. इनमें जज और वकील भी शामिल थे. सब के विचारों को सुनने के बाद हमने निष्कर्ष निकाला कि इस के दो मुख्य कारण हो सकते हैं पहला कारण आजकल संयुक्त परिवारों की कमी होना. चूंकि आजकल अधिकांशतः एकल परिवार का कल्चर है , जहां माता-पिता एक या दो बच्चे होते हैं. इनमें भी ज्यादातर बच्चों के माता-पिता नौकरीपेशा होते हैं. बच्चों को प्रॉपर समय नहीं दे पाते. दूसरा कारण मशरूफ माता-पिता के पास समय की कमी! दरअसल अपने रोजाना की जिन्दगी में Busy पेरेन्ट्स बच्चों को जरूरत के मुताबिक समय नहीं दे पाते. इससे होता ये है कि बच्चा किसी तीसरे शख्स की तरफ अट्रैक्ट हो जाता है. उनके ऊपर जल्दी भरोसा कर लेते हैं. तीसरा व्यक्ति उनके परिवार का सदस्य , पड़ौसी या परिचित हो सकता है. जो बच्ची की नादानी और मजबूरी का फायदा उठा यौन शोषण करता है.

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क्या होना चाहिए?: मंगला बताती है कि नाबालिग बच्चों में होने वाली यौन हिंसा की घटनाओं को कम करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं ? सबसे जरूरी बच्चों को समय देना है. बच्चों के माता-पिता को चाहिए कि वो जितना संभव हो उतना समय इनके साथ बिताएं. बच्चों के साथ स्कूल , कोचिंग , घर में क्या घटित हो रहा है उन सब के बारे में बच्चों से खुलकर बात करे. स्कूलों में बच्चों की काउंसलिंग हो. गुड टच , बैड टच के बारे में जानकारी दी जाए. अच्छा हो अगर संयुक्त परिवारों की ओर फिर से मुखातिब हुआ जाए.

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