जयपुर. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रदेश के कुछ जिलों में वैक्सीन की हो रही बर्बादी के मामले को गंभीर माना है. आयोग ने इस मामले में गहलोत सरकार से 8 सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है. आयोग ने पूछा है कि सरकार बताए कि कितनी वैक्सीन आई और कितने लोगों को लगी.
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राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने राजस्थान विश्वविद्यालय के छात्र तपिश सारस्वत के परिवाद पर राज्य के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख शासन सचिव सिद्धार्थ महाजन को एक नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में तथ्यात्मक रिपोर्ट आयोग और शिकायतकर्ता को प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं. वैक्सीन बर्बादी के मामले में तपिश सारस्वत ने आयोग को 1 जून को परिवाद भेजकर आवश्यक कार्रवाई का आग्रह किया था. परिवाद में मीडिया में प्रकाशित रिपोर्ट को आधार बनाकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग का ध्यान आकर्षित किया था.
उन्होंने अपने परिवाद में आयोग को बताया था कि राजस्थान के कुछ जिलों में वैक्सीन की बर्बादी ज्यादा है. लगभग सभी जिलों में वैक्सीन की बर्बादी राष्ट्रीय औसत से अधिक है, जो कि 1 फीसदी से भी कम है. इसके अलावा रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि प्रदेश के 35 कोविड-19 टीकाकरण केंद्रों के कचरे के डिब्बे में कोविड-19 टीकों की 500 वैक्सीन की शीशियां पाई गई. कोविड-19 वैक्सीन की प्रत्येक खुराक किसी व्यक्ति के जीवन की रक्षा कर सकती है और इस तरह के अमूल्य संसाधन की बर्बादी मानवाधिकारों का उल्लंघन है.