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सरकारी सिस्टम की अनदेखी, कार्मिक विभाग के कागजों में अभी भी पायलट का नाम

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Published : Jul 23, 2020, 8:27 PM IST

प्रदेश में चल रहे सियासी घटनाक्रम के बीच उप मुख्यमंत्री मंत्री सहित तीन मंत्रियों को उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया है. इसके साथ इन मंत्रियों के साथ लगे स्टाफ को भी कार्यमुक्त करते हुए पद की प्रतीक्षा में रखा गया है. बावजूद इसके कार्मिक विभाग के आदेशों में आज भी उप मुख्यमंत्री यानि सचिन पायलट की पोस्ट जिंदा है.

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सरकारी सिस्टम की अनदेखी

जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक के बीच उप मुख्यमंत्री समेत दो मंत्रियों ने सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिया था. ऐसे में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था.

सरकारी सिस्टम की अनदेखी

सरकार ने उप मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने के बाद उनके सहयोग के लिए लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी कार्यमुक्त कर दिया था. दो दिन पहले ही सरकार ने तीन मंत्रियों का सचिवालय सेवा के स्टाफ को एपीओ किया था, जिसमे निजी सचिव राजेंद्र पारीक, महावीर सोनी, दिनेश शर्मा, अनुभाग अधिकारी राजेंद्र शेखावत और सुरेंद्र शर्मा को कार्यमुक्त किया था. बावजूद इसके कार्मिक विभाग के आदेशों में आज भी उपमुख्यमंत्री के निजी सचिव का पद अस्तित्व में है.

यह भी पढ़ेंः विरोधियों पर फिर बरसे गहलोत, कहा- लोकतंत्र की हत्या कर रही है भाजपा

दरअसल, कार्मिक विभाग की तरफ से भारतीय वन सेवा के दो अधिकारियों का तबादला किया गया है. इसमें बी प्रवीण को मुख्य वन संरक्षक उदयपुर से शासन सचिव वन विभाग जयपुर, ये लंबे समय से एपीओ चल रहे थे. उन्हें संयुक्त सचिव पर्यावरण विभाग जयपुर के पद पर लगाया गया है. इन दोनों अधिकारियों के पद स्थापन को लेकर जारी कार्मिक विभाग के आदेश में जो प्रति राज्यपाल से लेकर लेखा पत्रावली तक जारी की जाती है. उसमें तीसरे नंबर पर यानि मुख्यमंत्री के बाद में उप मुख्यमंत्री के निजी सचिव के नाम भी भेजी गई. मतलब साफ है कि भले ही सरकार ने उप मुख्यमंत्री की पोस्ट को खत्म कर दिया हो. लेकिन सरकारी कागजों में अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है. गुरुवार को ही उप मुख्यमंत्री के निजी सचिव का पद अस्तित्व में है, जो कहीं ना कहीं दर्शाता है कि सरकारी सिस्टम में किस तरह से अनदेखी होती है.

जयपुर. राजस्थान में चल रहे सियासी उठापटक के बीच उप मुख्यमंत्री समेत दो मंत्रियों ने सरकार के खिलाफ बगावती तेवर अपना लिया था. ऐसे में पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, पूर्व खाद्य नागरिक आपूर्ति मंत्री रमेश मीणा और पूर्व पर्यटन मंत्री विश्वेंद्र सिंह को अपना मंत्री पद गंवाना पड़ा था.

सरकारी सिस्टम की अनदेखी

सरकार ने उप मुख्यमंत्री और मंत्रियों को हटाने के बाद उनके सहयोग के लिए लगे अधिकारियों और कर्मचारियों को भी कार्यमुक्त कर दिया था. दो दिन पहले ही सरकार ने तीन मंत्रियों का सचिवालय सेवा के स्टाफ को एपीओ किया था, जिसमे निजी सचिव राजेंद्र पारीक, महावीर सोनी, दिनेश शर्मा, अनुभाग अधिकारी राजेंद्र शेखावत और सुरेंद्र शर्मा को कार्यमुक्त किया था. बावजूद इसके कार्मिक विभाग के आदेशों में आज भी उपमुख्यमंत्री के निजी सचिव का पद अस्तित्व में है.

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दरअसल, कार्मिक विभाग की तरफ से भारतीय वन सेवा के दो अधिकारियों का तबादला किया गया है. इसमें बी प्रवीण को मुख्य वन संरक्षक उदयपुर से शासन सचिव वन विभाग जयपुर, ये लंबे समय से एपीओ चल रहे थे. उन्हें संयुक्त सचिव पर्यावरण विभाग जयपुर के पद पर लगाया गया है. इन दोनों अधिकारियों के पद स्थापन को लेकर जारी कार्मिक विभाग के आदेश में जो प्रति राज्यपाल से लेकर लेखा पत्रावली तक जारी की जाती है. उसमें तीसरे नंबर पर यानि मुख्यमंत्री के बाद में उप मुख्यमंत्री के निजी सचिव के नाम भी भेजी गई. मतलब साफ है कि भले ही सरकार ने उप मुख्यमंत्री की पोस्ट को खत्म कर दिया हो. लेकिन सरकारी कागजों में अभी कोई बदलाव नहीं हुआ है. गुरुवार को ही उप मुख्यमंत्री के निजी सचिव का पद अस्तित्व में है, जो कहीं ना कहीं दर्शाता है कि सरकारी सिस्टम में किस तरह से अनदेखी होती है.

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