जयपुर. गुर्जर समाज के बाद अब मुस्लिम मिरासी समुदाय ने भी विशेष पिछड़ा वर्ग में शामिल (Rajasthan Muslim Mirasi Community Demands Reservation) करने की मांग तेज कर दी है. हाईकोर्ट के आदेश के बाद भी समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिलने से नाराज समाज के लोगों ने मुख्यमंत्री और मुख्यसचिव के समक्ष मांग रखी है.
अखिल राजस्थान मिरासी-ढाढ़ी विकास समिति के हाजी रहीम खान ने कहा कि 26 अक्टूबर को उच्च न्यायालय की खण्डपीठ ने प्रदेश में निवासरत मुस्लिम मिरासी समुदाय जिसमे मिरासी, ढाढी, मीर, मांगणियार, दमामी, नगारची लंगा, राणा, बायती बारोट जातियों को अति पिछड़ा वर्ग ( MBC) में शामिल करने का आदेश दिया. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश की पालना नही हो रही है.
रहीम खान ने कहा कि मुस्लिम मिरासी समुदाय का आरक्षण के अभाव में विकास नहीं हो पा रहा है, प्रदेश के सभी जिलों में मिरासी समुदाय के लोग रहते हैं. लेकिन इस जाती का कोई भी एक व्यक्ति अफसर नहीं है. समाज को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए आरक्षण का लाभ मिले. इसके लिए सरकार से विशेष पिछड़ा वर्ग में आरक्षण की मांग की जा रही है.
मिरासी समाज के अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खान (Folk Artist Fakira Khan on Reservation) ने कहा कि इस समाज के पास आजीविका चलाने के लिए लोक कला ही एक माध्यम है. लोक कला को मिरासी समाज ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाया है. लेकिन इस समाज को सरकारी लाभ नहीं मिलने से युवा वर्ग सरकार में भागीदारी नहीं निभा पा रहा है. फकीरा ने कहा कि इस समुदाय का परम्परागत पेशा अपने-अपने घरों में सगाई, विवाह, नामकरण, गृहप्रेयश, रियाण इत्यादि मांगलिक अवसरों पर गाने बजाने मांगने लोक संगीत गायन, वंशावली वाचन का कार्य रहा है.
उसके बदले प्राप्त दान से अपना गुजर-बसर करते हैं. इनका सामाजिक स्तर अत्यन्त ही पिछड़ा हुआ है. समिति के सदस्य धन्ना राम और लोक कलाकार रमजान लंगा ने कहा कि इस समुदाय के परिवार आज भी गाना बजाना करने और मांगकर अपना जीवन बसर करते हैं. अधिकांशतः परिवारों के पास स्वयं के आवासीय भूखण्ड और मकान भी नहीं है. रहने के लिए पक्के मकान नहीं हैं. अधिकांश परिवार भूमिहीन है और गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करते है.
उन्होंने कहा कि शैक्षणिक स्थिति, आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण इस समुदाय के बच्चों को अच्छे स्कूलों कॉलेजा, शिक्षण संस्थानों में शिक्षा दिलवा पाना सामर्थ्य से बाहर हैं. यह समुदाय OBC में शामिल हैं. ऐसी स्थिति में आर्थिक रूप से सक्षम समाज में पढ़े-पले बच्चों के साथ अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) में प्रतियोगिता परीक्षा में चयन करवा पाना एक सपने के बराबर है. मुस्लिम मिरासी समुदाय का कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रशासनिक पद पर पदस्थापित नहीं है. विकास अध्ययन संस्था की ओर से जारी 2007 से 2012 तक की सर्वे रिपोर्ट के अनुसार इस समुदाय से प्रदेश में मात्र एक लेखाकार राजकीय सेवा में पाया गया था. इस प्रकार इस समुदाय का प्रदेश में प्रशासनिक क्षेत्र में प्रतिनिधित्व शून्य है.
राजनैतिक क्षेत्र : मुस्लिम मिरासी समुदाय का कोई भी सदस्य प्रदेश में सांसद, विधायक, जिला प्रमुख, प्रधान किसी भी आयोग बोर्ड, ट्रस्ट, निगम में अध्यक्ष यहां तक कि सरपंच भी निर्वाचित/नियुक्त नहीं है. इस प्रकार इस प्रदेश में समुदाय का राजनैतिक क्षेत्र में भी प्रतिनिधित्व शून्य है. फकीरा खान ने कहा कि यह बड़ी विडम्बना है कि देश के आजाद होने के 76 वर्षों बाद आज तक किसी भी सरकार की ओर से मुस्लिम मिरासी समुदाय की जातियों के उत्थान के लिए कोई ठोस कदम या कोई कल्याणकारी योजनाऐं नहीं बनाई हैं.