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कोरोना संकट के बीच जयपुर में दिखी 'गंगा-जमुनी तहजीब', हिंदू की मौत पर मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा

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Published : Apr 13, 2020, 4:50 PM IST

Updated : Apr 13, 2020, 5:31 PM IST

जयपुर के बजरंग नगर में रहने वाले एक व्यक्ति की सोमवार को मौत हो गई. जिसके बाद कोरोना संक्रमण के डर और कर्फ्यू के कारण मृतक के घर कोई भी रिश्तेदार नहीं पहुंचा. ऐसे में क्षेत्र के मुस्लिम भाईयों ने मृतक को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार भी करवाया.

हिंदू की मौत पर मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा, Muslim brothers give shoulder on Hindu's death
हिंदू की मौत पर मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा

जयपुर. राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच मजहबी सियासत से दूर गंगा जमुनी तहजीब का भी नजारा देखने को मिला है. दरअसल, भट्टा बस्ती इलाके में एक हिंदू व्यक्ति की मौत के बाद जब कोई भी रिश्तेदार कंधा देने के लिए सामने नहीं आया, तो आसपास रहने वाले मुस्लिम भाइयों ने ही मृतक को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार भी कराया.

हिंदू की मौत पर मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा

जयपुर के बजरंग नगर में रहने वाले राजेंद्र को कैंसर था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. लेकिन कर्फ्यू और संक्रमण के डर के चलते कोई भी रिश्तेदार मृतक के घर नहीं पहुंचा. डरना लाजमी भी था, क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. उसके बाद हर कोई एक दूसरे से दूरी बनाए रखना चाहता है.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: आखिर क्यों रामगंज में लागू नहीं हो पा रहा 'भीलवाड़ा मॉडल'?

मृतक के परिवार के समक्ष भी यही संकट था और आसपास कोई हिंदू परिवार भी नहीं था. लेकिन इस दौरान क्षेत्र में रहने वाले समाजसेवी पप्पू कुरैशी उनके यहां पहुंचे और आसपास के मुस्लिम भाइयों को अपने साथ में लेकर मृतक राजेंद्र को कंधा दिया. इस दौरान उन्होंने अंतिम यात्रा में 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष करते हुए कुछ दूर तक शव यात्रा भी निकाली.

मुस्लिम भाइयों ने मृतक राजेंद्र का अंतिम संस्कार करवाने में पूरा सहयोग दिया. ये अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द का एक जीता जागता उदाहरण है. खुद पप्पू कुरैशी कहते हैं कि जिस तरह देश में सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है, उसके बीच यह घटना उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो अपनी सियासी रोटियां सेकने के लिए लोगों को धर्म और मजहब के नाम पर लड़ाते हैं.

ये भी पढ़ें- SPECIAL: लॉकडाउन में रेलवे के प्रयासों की तारीफ, साढ़े तीन साल के बच्चे के लिए मुंबई पहुंचाया ऊंटनी का दूध

आपको बता दें कि भट्टा बस्ती के कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ था. लिहाजा शव को मोक्ष धाम तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने गाड़ी का इंतजाम भी किया. लेकिन मृतक व्यक्ति का घर जिस क्षेत्र में था वहां की गलियां काफी सकरी थी. ऐसे में ना चाहते हुए भी कुछ स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना हुई. लेकिन इस दौरान कुरैशी और उनके सहयोगी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने की अपील करते नजर आए. जिसके बाद उन्होंने शव को वाहन में रख कर मोक्ष धाम के लिए रवाना किया.

संकट की इस घड़ी में लॉकडाउन के बीच मुस्लिम भाइयों ने हिंदू मृतक का अंतिम संस्कार करा कर एक मिसाल पेश की है. आपदा की इस घड़ी में ये मिसाल इसलिए भी सुकून देने वाली है, क्योंकि कोरोना से इस जंग को इसी सौहार्द और एकजुटता के साथ जीता जा सकता है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी रखा जाए और मन में दूरियां भी ना रहे.

जयपुर. राजधानी में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच मजहबी सियासत से दूर गंगा जमुनी तहजीब का भी नजारा देखने को मिला है. दरअसल, भट्टा बस्ती इलाके में एक हिंदू व्यक्ति की मौत के बाद जब कोई भी रिश्तेदार कंधा देने के लिए सामने नहीं आया, तो आसपास रहने वाले मुस्लिम भाइयों ने ही मृतक को कंधा दिया और उसका अंतिम संस्कार भी कराया.

हिंदू की मौत पर मुस्लिम भाइयों ने दिया कंधा

जयपुर के बजरंग नगर में रहने वाले राजेंद्र को कैंसर था, जिसके चलते उसकी मौत हो गई. लेकिन कर्फ्यू और संक्रमण के डर के चलते कोई भी रिश्तेदार मृतक के घर नहीं पहुंचा. डरना लाजमी भी था, क्योंकि कोरोना वायरस का संक्रमण जिस तेजी से लोगों को अपनी गिरफ्त में ले रहा है. उसके बाद हर कोई एक दूसरे से दूरी बनाए रखना चाहता है.

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मृतक के परिवार के समक्ष भी यही संकट था और आसपास कोई हिंदू परिवार भी नहीं था. लेकिन इस दौरान क्षेत्र में रहने वाले समाजसेवी पप्पू कुरैशी उनके यहां पहुंचे और आसपास के मुस्लिम भाइयों को अपने साथ में लेकर मृतक राजेंद्र को कंधा दिया. इस दौरान उन्होंने अंतिम यात्रा में 'राम नाम सत्य है' का उद्घोष करते हुए कुछ दूर तक शव यात्रा भी निकाली.

मुस्लिम भाइयों ने मृतक राजेंद्र का अंतिम संस्कार करवाने में पूरा सहयोग दिया. ये अपने आप में सांप्रदायिक सौहार्द का एक जीता जागता उदाहरण है. खुद पप्पू कुरैशी कहते हैं कि जिस तरह देश में सांप्रदायिकता का जहर घोला जा रहा है, उसके बीच यह घटना उन लोगों के मुंह पर तमाचा है, जो अपनी सियासी रोटियां सेकने के लिए लोगों को धर्म और मजहब के नाम पर लड़ाते हैं.

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आपको बता दें कि भट्टा बस्ती के कुछ क्षेत्रों में कर्फ्यू लगा हुआ था. लिहाजा शव को मोक्ष धाम तक पहुंचाने के लिए क्षेत्र के लोगों ने गाड़ी का इंतजाम भी किया. लेकिन मृतक व्यक्ति का घर जिस क्षेत्र में था वहां की गलियां काफी सकरी थी. ऐसे में ना चाहते हुए भी कुछ स्थानों पर सोशल डिस्टेंसिंग की अवहेलना हुई. लेकिन इस दौरान कुरैशी और उनके सहयोगी लोगों से सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखने की अपील करते नजर आए. जिसके बाद उन्होंने शव को वाहन में रख कर मोक्ष धाम के लिए रवाना किया.

संकट की इस घड़ी में लॉकडाउन के बीच मुस्लिम भाइयों ने हिंदू मृतक का अंतिम संस्कार करा कर एक मिसाल पेश की है. आपदा की इस घड़ी में ये मिसाल इसलिए भी सुकून देने वाली है, क्योंकि कोरोना से इस जंग को इसी सौहार्द और एकजुटता के साथ जीता जा सकता है, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान भी रखा जाए और मन में दूरियां भी ना रहे.

Last Updated : Apr 13, 2020, 5:31 PM IST
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