जयपुर. प्रदेश में निकाय चुनावों की तारीखों के एलान के साथ ही सियासी माहौल गरम हो गया है. जयपुर, जोधपुर, कोटा के 6 नगर निगमों के लिए चुनाव होने हैं. पार्षद बनने की उम्मीद लगाए बैठे नेताओं में खुशी का माहौल है. राज्य में 2 चरणों में 29 अक्टूबर और 1 नवंबर को मतदान होगा. इसके बाद 3 नवंबर को मतगणना करवाई जाएगी. वहीं, महापौर का चुनाव 10 नवंबर और उप महापौर का चुनाव 11 नवंबर को करवाया जाएगा.
हालांकि इससे पहले पार्षद बनने के लिए जमकर घमासान होगा. जिसकी बड़ी वजह है राजधानी के 91 वार्ड अब 250 में बंट गए हैं. ऐसे में जहां वार्डों का आकार छोटा हुआ है, वहीं मतदाताओं की संख्या भी घटी है. इस वजह से प्रमुख राजनीतिक दलों के पार्षद उम्मीदवारों को निर्दलीय से कड़ी टक्कर मिलेगी.
भाजपा ताज बचाने के लिए उतरेगी मैदान में
जयपुर नगर निगम में अब तक भाजपा का ही बोर्ड बनता आया है. कांग्रेस की पूर्ववर्ती सरकार के समय महापौर जनता के माध्यम से चुना गया था. तब कांग्रेस की ज्योति खंडेलवाल महापौर बनी थी. इसके बाद भाजपा से बागी हुए विष्णु लाटा महापौर बने. लेकिन बोर्ड अभी तक भाजपा का ही बना है. ऐसे में दो नगर निगम बनने के बाद अब भाजपा के सामने इस ताज को बरकरार रखने की बड़ी चुनौती होगी. उधर, कांग्रेस के लिए इस बार जयपुर में बोर्ड बनाने का मौका है. जयपुर हेरिटेज में जो इलाका है, उसमें आमेर को छोड़ दिया जाए तो बाकी विधानसभा क्षेत्रों में कांग्रेस के विधायक ही काबिज हैं. यही नहीं यहां मुस्लिम वोटर की भी बड़ी संख्या है, जो कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक रहा है. ऐसे में हेरिटेज नगर निगम में कांग्रेस का बोर्ड बनने की संभावना ज्यादा है.
बगावत का खतरा
उधर, जयपुर की हेरिटेज और ग्रेटर नगर निगम क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस से टिकट चाहने वालों की भी लंबी फेहरिस्त है. भले ही जिला स्तर पर टिकट निर्धारण के लिए कमेटियों का गठन हो किया गया हो. लेकिन अभी तक देखने में आया है कि राजनीतिक दल अपने विधायक और विधायक प्रत्याशी के कहने पर ही टिकटों का वितरण करते आए हैं. ऐसे में बड़ी संख्या उन नेताओं की होगी जो पार्षद की टिकट से वंचित रहेंगे और इनमें से कई बागी होकर निर्दलीय चुनाव भी लड़ेंगे. ऐसी स्थिति में दोनों पार्टियों के लिए बागियों को मनाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है.
निर्वाचन आयोग की तैयारी
कोरोना संक्रमण के बीच चुनाव जिला निर्वाचन आयोग के लिए भी चुनौती भरा है. हालांकि इसके लिए आयोग ने तैयारी पूरी कर ली है. इस बार मतदान केंद्रों की संख्या बढ़ाने और मतदाताओं की संख्या कोरोना गाइडलाइन के अनुसार तय करने का काम किया गया है. ग्रेटर नगर निगम और हेरिटेज नगर निगम में मतदाता केंद्रों की संख्या 1941 से बढ़ाकर 3629 कर दी गई है. ऐसे में एक मतदान केंद्र पर अधिकतम 850 मतदाताओं की संख्या रहेगी. ताकी सोशल डिस्टेंसिंग के साथ समय पर मतदान पूरा हो सके.
बहरहाल, कोरोना संक्रमण के कारण जहां लोग अभी भी घर से बाहर निकलने से कतराते हैं. ऐसी स्थिति में इन वोटर्स को मतदान केंद्र तक वोट डालने के लिए ले जाना भी पार्षद उम्मीदवारों के लिए चुनौतीपूर्ण होगा. अल्पसंख्यक बाहुल्य और कच्ची बस्ती इलाकों में तो वोटिंग के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. लेकिन रिहायशी इलाकों और मध्यमवर्गीय परिवारों को मतदान के लिए राजी करना आसान नहीं होगा. ऐसी परिस्थितियों में भी कांग्रेस को फायदा मिल सकता है.