जयपुर. कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन के चलते डिस्कॉम ने मीटर रीडिंग का काम रोका तो बिजली चोरी की वारदातें बढ़ने लगी. इसका खुलासा तब हुआ जब डिस्कॉम ने फील्ड में मीटर रीडिंग का काम फिर से शुरू करवा दिया. वहीं विजिलेंस टीम ने भी फील्ड में मोर्चा संभाला तो बीते 1 सप्ताह में 800 से अधिक मामले बिजली चोरी के सामने आ गए.
दरअसल पिछले दिनों मुख्यमंत्री के स्तर पर हुई डिस्कॉम की समीक्षा बैठक में जब अधिकारियों ने बिजली छीजत के आंकड़े सीएम गहलोत के समक्ष रखें तो उन्होंने इसे रोकने के सख्त आदेश दिए. अधिकारियों की माने तो प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान प्रतिदिन 2 हजार लाख यूनिट बिजली की सप्लाई हो रही थी. लेकिन, इसमें से रोजाना करीब 800 लाख यूनिट तो बिजली चोरी और सिस्टम लॉस में ही बर्बाद हो रही थी. मतलब कुल सप्लाई का 40 फीसदी हिस्सा छीजत में जा रहा था. छीजत में बिजली चोरी भी शामिल है और सिस्टम का तकनीकी लॉस भी.
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करीब 1 सप्ताह पहले डिस्कॉम ने अपने सभी कर्मचारियों को फील्ड में उतार दिया और एक के बाद एक बिजली चोरी की वारदातें सामने आने लगी. खासतौर पर भरतपुर, धौलपुर, करौली, दौसा, नागौर, प्रतापगढ़ और बारां ऐसे जिले हैं जहां पर सर्वाधिक बिजली चोरी के मामले सामने आए. आपको बता दें की जयपुर, जोधपुर और अजमेर डिस्कॉम के यदि वित्तीय साल 2018-19 की बात की जाए तो बिजली चोरी करीब 20.10 प्रतिशत थी, जो साल 2019-20 में घटकर केवल 18.43 प्रतिशत रह गई. लेकिन, लॉकडाउन के चलते बीते 22 मार्च से 15 मई तक डिस्कॉम की विजिलेंस टीम ने प्रदेश में एक भी जगह जांच नहीं की. ऐसे में बिजली चोरी की घटनाएं एकदम से बढ़ गई. जिसका नुकसान डिस्कॉम को हुआ.