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राजस्थान में वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी का विशेष अभियान, 5 सप्ताह में 10 हजार से ज्यादा आरोपी गिरफ्तार

राजस्थान पुलिस की ओर से वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. इस अभियान के तहत पुलिस ने 5 सप्ताह में 10,000 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की है. जघन्य अपराधों में वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी पर विशेष जोर दिया जा रहा है.

अपराधियों की गिरफ्तारी का विशेष अभियान, Special drive to arrest criminals
राजस्थान डीजीपी एमएल लाठर
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Published : Aug 16, 2021, 1:36 PM IST

जयपुर. 5 जुलाई 2021 राजस्थान पुलिस की ओर से वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. अभियान की अवधि को 31 अगस्त 2021 तक बढ़ाया गया है. अभियान के दौरान करीब 437 इनामी अपराधियों को भी गिरफ्तार किया गया है. 1588 आरोपियों का न्यायालय में समर्पण हुआ है.

पढ़ेंः ACB की बड़ी कार्रवाई : 50 हजार की रिश्वत लेते कुशलगढ़ विकास अधिकारी और 20 हजार लेते सचिव गिरफ्तार

राजस्थान पुलिस ने हत्या के मामले में 417 आरोपी गिरफ्तार किए हैं. हत्या के प्रयास के मामले में 350 आरोपी, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के तहत 294 आरोपी, अवैध मादक पदार्थों के मामले में 231 आरोपी और राज्य कर्मियों से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में 212 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

इसके साथ ही अवैध हथियारों के मामले में 123 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. अपराध के मामलों को लेकर डीजीपी मोहनलाल लाठर ने सोमवार को प्रेस वार्ता की. डीजीपी एमएल लाठर ने बताया कि राजस्थान में कुछ कैटेगरी के अपराधों में वृद्धि हुई है. अपराध पंजीकरण और अपराधों में वृद्धि दोनों अलग-अलग बातें हैं. नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो आंकड़े निकालता है. राज्य सरकार की ओर से जून 2021 में एक नीति निर्धारित की गई थी. जिसमें कोई भी नागरिक अपनी शिकायत लेकर जाता है, तो उसने पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि उसकी रिपोर्ट पंजीकृत करें.

थाने में पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है तो वह पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचकर अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है. जिसका नतीजा यह है कि 2018 के मुकाबले 2019 में राजस्थान में 31 फीसदी पंजीकृत अपराधों का ग्राफ बढ़ा था. साल 2013 से 2019 तक पूरे इंडिया में 23 प्रतिशत अपराध बढ़ा है. राजस्थान में अपराध 16 फीसदी के करीब बढ़ा है.

2020 की तुलना में 2021 में भी अपराध बढ़ा है, लेकिन साल 2019 के मुकाबले 2021 में अपराध कम है. 2019 के मुकाबले 2021 में 10 फीसदी अपराध कम हुआ है, लेकिन 2020 के मुकाबले 2021 में 14 फीसदी अपराध में वृद्धि हुई है. कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन होने से सभी तरह की गतिविधियां बन्द थी जिससे अपराध में भी कमी आई.

पढ़ेंः चाकू की नोंक पर मां-बेटी से लूट, सरकारी आवास से लाखों के गहने लेकर फरार हुए बदमाश

वहीं, दूसरी लहर के दौरान हुए लॉकडाउन में पूरी तरह गतिविधियां बंद नहीं थी. इस वजह से अपराध कम नहीं हुआ. पुलिस के सामने अपराध को नियंत्रण करने के साथ ही कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा. 2 साल में ऐसा कोई भी अपराध नहीं है जो अनसुलझा हो. पुलिस की ओर से लगभग सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है.

डीजीपी ने बताया कि एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने की व्यवस्था होने से आम नागरिकों को काफी सहूलियत मिली है. पहले 34 फीसदी लोग कोर्ट के माध्यम से मुकदमा दर्ज करवाते थे. जो कि 2021 में घटकर 15 फीसदी रह गया है. अगर थाने में पुलिस अधिकारी रिपोर्ट दर्ज करने से मना करते हैं तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाती है. इस व्यवस्था को लागू करने के बाद 218 परिवादी ऐसे सामने आए हैं, जिन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अपना मुकदमा दर्ज करवाया है. इनमें से 18 पीड़ितों का वास्तव में थाने पर जाना पाया गया था. इन 18 पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई है और 166-ए के मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं.

विजिलेंस के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर डिकॉय ऑपरेशन किए जाते हैं. जिसकी वजह से भी अपराध पंजीकरण में भी वृद्धि हुई है. डीजीपी लाठर ने बताया कि पूरे प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट अगेंस्ट वूमेन बनाई गई थी. शुरुआत में यह डिप्टी एसपी के नेतृत्व में बनाई गई थी. लेकिन इस साल डिप्टी एसपी की पोस्ट को अपग्रेड करवा कर एडिशनल एसपी पद स्थापित किए गए हैं.

इस यूनिट की वजह से जहां पहले 288 दिन इन्वेस्टिगेशन के लगते थे वह घटकर अब 140 पर आ गया है. ऑल इंडिया लेवल पर क्राईम अगेंस्ट विमेन का पेंडिंग परसेंटेज 34 प्रतिशत है. इस यूनिट का फायदा है कि केस डिस्पोजल में तेजी आई है. न्यायालय को भी अपनी कार्रवाई में काफी आसानी हुई है. इस महीने में करीब 18 केसों में न्यायालय की ओर से ट्रायल कंप्लीट करके सजा दी गई है.

झुंझुनू पिलानी में 5 साल की बालिका से दरिंदगी के मामले में आरोपी को सजा सुनाई गई है. वहीं, सवाई माधोपुर में नाबालिक के साथ दुष्कर्म, नवलगढ़ जिला झुंझुनू में ढाई साल की मासूम के साथ दुष्कर्म, अजमेर के दरगाह क्षेत्र में 3 साल की बच्ची का अपहरण, पाली में नाबालिग से बलात्कार जैसे करीब 18 मामलों में आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी है. पुलिस की अच्छी इन्वेस्टिगेशन से आरोपियों को जल्दी सजा मिली है.

पढ़ेंः कुख्यात हार्डकोर अपराधी संजय मीणा और उसके तीन साथियों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, हथियार बरामद

18 केस में से 9 केस ब्लाइंड थे. डीजीपी के मुताबिक 90 फीसदी दुष्कर्म के मामले ऐसे होते हैं, जिनमें जानकार और रिश्तेदार ही आरोपी होते हैं. किसी भी अपराधी के साथ पुलिस कर्मी या अधिकारी की मिलीभगत सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है.

जयपुर. 5 जुलाई 2021 राजस्थान पुलिस की ओर से वांछित अपराधियों की गिरफ्तारी के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. अभियान की अवधि को 31 अगस्त 2021 तक बढ़ाया गया है. अभियान के दौरान करीब 437 इनामी अपराधियों को भी गिरफ्तार किया गया है. 1588 आरोपियों का न्यायालय में समर्पण हुआ है.

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राजस्थान पुलिस ने हत्या के मामले में 417 आरोपी गिरफ्तार किए हैं. हत्या के प्रयास के मामले में 350 आरोपी, बलात्कार और पॉक्सो एक्ट के तहत 294 आरोपी, अवैध मादक पदार्थों के मामले में 231 आरोपी और राज्य कर्मियों से मारपीट और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के मामले में 212 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है.

इसके साथ ही अवैध हथियारों के मामले में 123 आरोपी गिरफ्तार किए गए हैं. अपराध के मामलों को लेकर डीजीपी मोहनलाल लाठर ने सोमवार को प्रेस वार्ता की. डीजीपी एमएल लाठर ने बताया कि राजस्थान में कुछ कैटेगरी के अपराधों में वृद्धि हुई है. अपराध पंजीकरण और अपराधों में वृद्धि दोनों अलग-अलग बातें हैं. नेशनल क्राइम रिपोर्ट ब्यूरो आंकड़े निकालता है. राज्य सरकार की ओर से जून 2021 में एक नीति निर्धारित की गई थी. जिसमें कोई भी नागरिक अपनी शिकायत लेकर जाता है, तो उसने पुलिस अधिकारी का कर्तव्य है कि उसकी रिपोर्ट पंजीकृत करें.

थाने में पीड़ित की रिपोर्ट दर्ज नहीं होती है तो वह पुलिस अधीक्षक के कार्यालय पहुंचकर अपनी रिपोर्ट दर्ज करवा सकता है. जिसका नतीजा यह है कि 2018 के मुकाबले 2019 में राजस्थान में 31 फीसदी पंजीकृत अपराधों का ग्राफ बढ़ा था. साल 2013 से 2019 तक पूरे इंडिया में 23 प्रतिशत अपराध बढ़ा है. राजस्थान में अपराध 16 फीसदी के करीब बढ़ा है.

2020 की तुलना में 2021 में भी अपराध बढ़ा है, लेकिन साल 2019 के मुकाबले 2021 में अपराध कम है. 2019 के मुकाबले 2021 में 10 फीसदी अपराध कम हुआ है, लेकिन 2020 के मुकाबले 2021 में 14 फीसदी अपराध में वृद्धि हुई है. कोरोना की पहली लहर में लॉकडाउन होने से सभी तरह की गतिविधियां बन्द थी जिससे अपराध में भी कमी आई.

पढ़ेंः चाकू की नोंक पर मां-बेटी से लूट, सरकारी आवास से लाखों के गहने लेकर फरार हुए बदमाश

वहीं, दूसरी लहर के दौरान हुए लॉकडाउन में पूरी तरह गतिविधियां बंद नहीं थी. इस वजह से अपराध कम नहीं हुआ. पुलिस के सामने अपराध को नियंत्रण करने के साथ ही कोरोना गाइडलाइन की पालना करवाना भी काफी चुनौतीपूर्ण रहा. 2 साल में ऐसा कोई भी अपराध नहीं है जो अनसुलझा हो. पुलिस की ओर से लगभग सभी मामलों में त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधियों को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया गया है.

डीजीपी ने बताया कि एसपी ऑफिस में मुकदमा दर्ज कराने की व्यवस्था होने से आम नागरिकों को काफी सहूलियत मिली है. पहले 34 फीसदी लोग कोर्ट के माध्यम से मुकदमा दर्ज करवाते थे. जो कि 2021 में घटकर 15 फीसदी रह गया है. अगर थाने में पुलिस अधिकारी रिपोर्ट दर्ज करने से मना करते हैं तो उनके विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाती है. इस व्यवस्था को लागू करने के बाद 218 परिवादी ऐसे सामने आए हैं, जिन्होंने पुलिस अधीक्षक कार्यालय से अपना मुकदमा दर्ज करवाया है. इनमें से 18 पीड़ितों का वास्तव में थाने पर जाना पाया गया था. इन 18 पुलिस अधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की गई है और 166-ए के मुकदमे भी दर्ज किए गए हैं.

विजिलेंस के अधिकारियों के साथ समन्वय स्थापित कर डिकॉय ऑपरेशन किए जाते हैं. जिसकी वजह से भी अपराध पंजीकरण में भी वृद्धि हुई है. डीजीपी लाठर ने बताया कि पूरे प्रदेश में राज्य सरकार की ओर से स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट अगेंस्ट वूमेन बनाई गई थी. शुरुआत में यह डिप्टी एसपी के नेतृत्व में बनाई गई थी. लेकिन इस साल डिप्टी एसपी की पोस्ट को अपग्रेड करवा कर एडिशनल एसपी पद स्थापित किए गए हैं.

इस यूनिट की वजह से जहां पहले 288 दिन इन्वेस्टिगेशन के लगते थे वह घटकर अब 140 पर आ गया है. ऑल इंडिया लेवल पर क्राईम अगेंस्ट विमेन का पेंडिंग परसेंटेज 34 प्रतिशत है. इस यूनिट का फायदा है कि केस डिस्पोजल में तेजी आई है. न्यायालय को भी अपनी कार्रवाई में काफी आसानी हुई है. इस महीने में करीब 18 केसों में न्यायालय की ओर से ट्रायल कंप्लीट करके सजा दी गई है.

झुंझुनू पिलानी में 5 साल की बालिका से दरिंदगी के मामले में आरोपी को सजा सुनाई गई है. वहीं, सवाई माधोपुर में नाबालिक के साथ दुष्कर्म, नवलगढ़ जिला झुंझुनू में ढाई साल की मासूम के साथ दुष्कर्म, अजमेर के दरगाह क्षेत्र में 3 साल की बच्ची का अपहरण, पाली में नाबालिग से बलात्कार जैसे करीब 18 मामलों में आरोपियों को सजा सुनाई जा चुकी है. पुलिस की अच्छी इन्वेस्टिगेशन से आरोपियों को जल्दी सजा मिली है.

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18 केस में से 9 केस ब्लाइंड थे. डीजीपी के मुताबिक 90 फीसदी दुष्कर्म के मामले ऐसे होते हैं, जिनमें जानकार और रिश्तेदार ही आरोपी होते हैं. किसी भी अपराधी के साथ पुलिस कर्मी या अधिकारी की मिलीभगत सामने आती है तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाती है.

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