जयपुर. शहर के सत्र न्यायालय ने मिराज ग्रुप से जुड़े 869 करोड़ रुपए की जीएसटी चोरी के मामले में मोंटेग पैकेजिंग के निदेशक धनंजय सिंह को राहत देने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने धनंजय सिंह की ओर से पेश जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा है कि आरोपी पर कर चोरी में मिलीभगत करने का गंभीर आरोप है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
इससे पहले आर्थिक अपराध मामलों की विशेष अदालत भी आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर चुकी है. आरोपी की ओर से जमानत अर्जी में कहा गया कि उसे प्रकरण में फंसाया गया है. प्रार्थी की फर्म ने एक अन्य फर्म को पैकिंग मैटेरियल बेचा था. जिसका जीएसटी जमा कराया गया था. वहीं दूसरी फर्म यदि कर चोरी करती है तो उसकी जिम्मेदारी प्रार्थी की नहीं है. इसके अलावा उससे कोई पूछताछ भी शेष नहीं है. डीजीजीआई ने उसके खिलाफ केवल संदेह के आधार पर ही मामला दर्ज किया है. इसलिए उसे जमानत पर रिहा किया जाए. जिसका विरोध करते हुए डीजीजीआई की ओर से कहा गया कि आरोपी करोड़ों रुपए की कर चोरी की मिलीभगत में शामिल रहा है. ऐसे में उसे जमानत का लाभ नहीं दिया जा सकता.
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दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने आरोपी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया है. गौरतलब है कि डीजीजीआई ने 24 अक्टूबर को मिराज प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक विनय कांत आमेटा और मोंटेग पैकेजिंग सेल्स प्राइवेट लिमिटेड नोएडा के निदेशक धनंजय सिंह को गिरफ्तार किया था. वहीं अदालत ने दोनों आरोपियों को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया था. मामले में डीजीजीआई अन्य लोगों की भूमिका की जांच कर रही है.