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कोरोना संकट काल में श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण, बिना काम किए लौटना पड़ रहा - ईटीवी भारत की खबर

मनरेगा में कार्यरत श्रमिक काम मिलने के बाद भी बेरोजगार होते नजर आ रहें हैं. क्योंकि ये श्रमिक 1 महीने से चल रहे सड़क के ग्रेवल कार्य में कार्यरत थे. लेकिन एक अतिक्रमण की वजह से इन्हें 1 हफ्तें से बिना काम किए ही लौटना पड़ रहा है. जिससे इनके सामने एक बार फिर रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है.

जयपुर मनरेगा श्रमिक, Jaipur MNREGA workers
मनरेगा श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण
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Published : Jun 20, 2020, 1:37 PM IST

जयपुर. मनरेगा श्रमिकों के लिए आर्थिक मदद और रोजगार की ऐसी योजना है, जिसके तहत मजदूर वर्ग छुटपुट कार्य के बदले सरकार से मजदूरी प्राप्त कर अपना पालन पोषण करता है. लेकिन मजदूर की इस आमदनी पर किसी की नजर लग जाए तो उसके जीने का सहारा छीन जाए तो उसकी उम्मीद खत्म होने लगती है. कुछ इसी तरह की घटना बस्सी के कमेटी बोहरा गांव की ढाणी में हुई है.

मनरेगा श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण

यहां पिछले 1 महीने से सड़क के ग्रेवल का कार्य चल रहा है. लेकिन योजना के तहत चल रहे मनरेगा कार्य को कुछ दबंगों न केवल काम बंद करवाया बल्कि सड़क के बीच पड़े अतिक्रमण को भी नहीं हटा रहें हैं. जिसके चलते मनरेगा मजदूरों को मजदूरी से विमुख होना पड़ रहा है. आपको बता दें कि तहसीलदार की ओर से क्षेत्र का एक बार हल्का पटवारी की ओर से सीमाज्ञान करवा दिया गया था. लेकिन अतिक्रमणकारी ने अतिक्रमण वहां से नहीं हटाया जिस वजह से मनरेगा का कार्य रोक दिया गया.

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जिसके बाद एसडीएम रामकुमार वर्मा ने अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर तुरंत कमेटी गठित कर सीमाज्ञान कराया. वहीं एक व्यक्ति की ओर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया और अतिक्रमण कार्यों के मामले को राजनीतिक रंग देकर कार्यों को बंद करवाया जा रहा है. हालांकि एसडीएम ने मामले को लेकर सोमवार तक इंतजार करने की बात कही है. लेकिन ग्रामीणों की माने तो अतिक्रमणकारी किसी भी सूरत में रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं है.

पढ़ेंः SPECIAL: कोरोना की भेंट चढ़ा मोलेला का 800 साल पुराना टेराकोटा आर्ट

ग्रामीणों ने निर्माण के व्यवधान पर क्षेत्र के विधायक को शिकायत पत्र लिखकर सुनवाई की मांग की. हालांकि प्रशासन भी इस बार मामले को लेकर सख्त कार्रवाई करने की बात कर रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि प्रशासन इस अतिक्रमण की समस्या को कितने दिन में सुलझाता है और कब इन मजदूरों को मजदूरी मिलती है. जिससे इनके परिवार का पालन पोषण हो सकें.

जयपुर. मनरेगा श्रमिकों के लिए आर्थिक मदद और रोजगार की ऐसी योजना है, जिसके तहत मजदूर वर्ग छुटपुट कार्य के बदले सरकार से मजदूरी प्राप्त कर अपना पालन पोषण करता है. लेकिन मजदूर की इस आमदनी पर किसी की नजर लग जाए तो उसके जीने का सहारा छीन जाए तो उसकी उम्मीद खत्म होने लगती है. कुछ इसी तरह की घटना बस्सी के कमेटी बोहरा गांव की ढाणी में हुई है.

मनरेगा श्रमिकों का दुश्मन बना अतिक्रमण

यहां पिछले 1 महीने से सड़क के ग्रेवल का कार्य चल रहा है. लेकिन योजना के तहत चल रहे मनरेगा कार्य को कुछ दबंगों न केवल काम बंद करवाया बल्कि सड़क के बीच पड़े अतिक्रमण को भी नहीं हटा रहें हैं. जिसके चलते मनरेगा मजदूरों को मजदूरी से विमुख होना पड़ रहा है. आपको बता दें कि तहसीलदार की ओर से क्षेत्र का एक बार हल्का पटवारी की ओर से सीमाज्ञान करवा दिया गया था. लेकिन अतिक्रमणकारी ने अतिक्रमण वहां से नहीं हटाया जिस वजह से मनरेगा का कार्य रोक दिया गया.

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जिसके बाद एसडीएम रामकुमार वर्मा ने अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंच कर तुरंत कमेटी गठित कर सीमाज्ञान कराया. वहीं एक व्यक्ति की ओर से अतिक्रमण नहीं हटाया गया और अतिक्रमण कार्यों के मामले को राजनीतिक रंग देकर कार्यों को बंद करवाया जा रहा है. हालांकि एसडीएम ने मामले को लेकर सोमवार तक इंतजार करने की बात कही है. लेकिन ग्रामीणों की माने तो अतिक्रमणकारी किसी भी सूरत में रास्ता छोड़ने को तैयार नहीं है.

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ग्रामीणों ने निर्माण के व्यवधान पर क्षेत्र के विधायक को शिकायत पत्र लिखकर सुनवाई की मांग की. हालांकि प्रशासन भी इस बार मामले को लेकर सख्त कार्रवाई करने की बात कर रहा है. ऐसे में अब देखना होगा कि प्रशासन इस अतिक्रमण की समस्या को कितने दिन में सुलझाता है और कब इन मजदूरों को मजदूरी मिलती है. जिससे इनके परिवार का पालन पोषण हो सकें.

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