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पुलिस की कार्रवाई से नाराज विधायक संयम लोढ़ा पहुंचे मुख्य सचिव के पास, उठाए सवाल और मांगा मुआवजा, जानिए मामला

विधायक संयम लोढ़ा शनिवार को सीएस उषा शर्मा से (Sanyam Lodha met CS in Sirohi case) मिले. उन्होंने इस दौरान सिरोही जिले के थाना बरलूट प्रकरण में पुलिस की कार्यशैली पर नाराजगी जाहिर की और कहा कि पुलिस निर्दोषों को हत्या के झूठे मामले में फंसा रही है. उन्होंने इस मामले में पीड़ितों को मुआवजा जारी करने की भी मांग की.

MLA Sanyam Lodha met CS in Sirohi case, level allegations against police
पुलिस की कार्रवाई से नाराज विधायक संयम लोढ़ा पहुंचे मुख्य सचिव के पास, उठाए सवाल और मांगा मुआवजा, जानिए मामला
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Published : Jun 25, 2022, 11:20 PM IST

जयपुर. पुलिस की कार्यशैली को लेकर अब तक विपक्ष सवाल उठाता रहा है, लेकिन अब कांग्रेस समर्थित विधायक ने भी पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. विधायक संयम लोढ़ा ने पुलिस की बदनीयती से की जाने वाली कार्रवाई की शिकायत मुख्य सचिव से की है. लोढ़ा ने आरोप लगाया कि पुलिस निर्दोषों को हत्या के झूठे मामले में फंसा रही (Sanyam Lodha allegations on police in Sirohi case) है.

विधायक पहुंचे सीएस दफ्तर: दरअसल विधायक संयम लोढ़ा ने राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा से शासन सचिवालय में मुलाकात की. लोढ़ा ने सिरोही जिले के थाना बरलूट प्रकरण में हत्या के आरोप में झूठा फंसाये गये लखमाराम देवासी और गेमाराम गरासिया के मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर बर्खास्ती के लिए सीसीए नियम 16 अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग की. साथ ही दोनों पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा देने की बात कही.

पढ़ें: पुलिस मुख्यालय से शराब तस्करी के तार जुड़े हैं: संयम लोढ़ा

इस पर मुख्य सचिव शर्मा ने लोढ़ा को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. लोढ़ा ने बताया कि लखमाराम देवासी अभी जमानत पर है और गेमाराम गरासिया अभी भी सिरोही कारागृह में बंद है. लोढ़ा ने मुख्य सचिव से कहा कि अपराध में बिना लिप्तता के पुलिस की ओर से वर्षो जेल में बंद करने से दोनों नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का गम्भीर हनन हुआ है. उन्होंने कहा कि गेमाराम गरासिया हत्या के दिन बाली जेल में बंद था, लेकिन उसे महीनों बाद एसओजी की ओर से इसमें फंसाया गया.

निर्दोष को किया गिरफ्तार: लोढ़ा ने कहा कि इससे पहले निर्दोष गिरफ्तार किये गये लखमाराम देवासी के मामले में तीन साल बाद 2021 में पुलिस ने जिला न्यायालय सिरोही में 169 की अर्जी पेश कर कहा कि लखमाराम देवासी को गलत गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि लखमाराम देवासी की गलत गिरफ्तारी के खिलाफ 2018 में भी उन्होंने देवासी समाज के लोगों के साथ भाजपा शासनकाल के दौरान बरलूट थाने का घेराव किया था. गेमाराम उर्फ गेमला के न्यायिक अभिरक्षा में होने के बावजूद हत्या में फंसाना पुलिस की आपराधिक मानसिकता को प्रदर्शित करता है.

पढ़ें: विधायक संयम लोढ़ा ने सतीश पूनिया के खिलाफ लगाया विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव

पुलिस ने जिस गैर कानूनी तरीके से इसमें काम किया है. उससे समाज में गहरा अविश्वास उत्पन्न हुआ है और यह प्रकट हुआ है कि पुलिस के लिए लोगों के अधिकार और संविधान कोई महत्व नहीं रखते. इस वर्ष राजस्थान विधानसभा के कार्य संचालन नियम 131 के तहत उनकी ओर से यह मामला उठाये जाने पर भी सरकार ने गलती स्वीकार की थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस उप महानिरीक्षक जैसे अधिकारी से जांच कराने की घोषणा की थी. क्योंकि उक्त घटना दिवस पर स्वयं पुलिस अधीक्षक मौके पर आये थे और उनकी लिप्तता से ही यह अपराधिक कृत्य निर्दोष नागरिक के साथ हुआ.

मुआवजा देने की मांग: लोढ़ा ने मुख्य सचिव से कहा कि नागरिक अधिकारों के हनन के अनेक मामलो में सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा दिलाया है. पूर्व इसरो वैज्ञानिक नामबी नारायणन को 50 लाख रुपए मुआवजा दिया गया. पुलिस की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का घोर उल्लंघन है. सरकार का यह नैतिक दायित्व बनता है कि दो नौजवानों के चार साल की जिदंगी तबाह करने की वह जिम्मेदारी ले. लेकिन मुआवजे का सीधा अभी तक कोई प्रावधान नहीं है. राजस्थान सरकार अपने नागरिकों के हितों के प्रति सजग है, राज्य सरकार इस संबंध में मुआवजा जारी (Sanyam Lodha demands compensation in Sirohi case) करे.

पढ़ें: सिरोही शराब प्रकरण पर विधायक लोढ़ा ने फिर उठाए सवाल, ट्वीट कर पूछा- असली सरगना और सरकारी करिंदे कब पकड़े जाएंगे

कार्यकारी समिति गठित करने का दिया सुझाव: लोढ़ा ने सीएस से माउंट आबू में पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाने के लिये डवलपमेंट के प्रोजेक्ट को गति देने को शीघ्र आबू विकास समिति के साथ-साथ एक कार्यकारी समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित करने का सुझाव दिया. जिससे माउंट आबू में पर्यटकों के आकर्षण के लिये नियमित रूप से विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके. साथ ही लोढ़ा ने स्पोर्ट्स एडवेंचर गतिविधिया भी शुरू करने की बात कही. इस पर मुख्य सचिव ने माउंट आबू को पर्यटन नक्शे में उभारने के लिए और वहां के लोगों को सम्बल देने के लोढ़ा के सुझावों पर शीघ्र अमल का आश्वासन दिया.

जयपुर. पुलिस की कार्यशैली को लेकर अब तक विपक्ष सवाल उठाता रहा है, लेकिन अब कांग्रेस समर्थित विधायक ने भी पुलिस की कार्यशैली को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं. विधायक संयम लोढ़ा ने पुलिस की बदनीयती से की जाने वाली कार्रवाई की शिकायत मुख्य सचिव से की है. लोढ़ा ने आरोप लगाया कि पुलिस निर्दोषों को हत्या के झूठे मामले में फंसा रही (Sanyam Lodha allegations on police in Sirohi case) है.

विधायक पहुंचे सीएस दफ्तर: दरअसल विधायक संयम लोढ़ा ने राज्य की मुख्य सचिव उषा शर्मा से शासन सचिवालय में मुलाकात की. लोढ़ा ने सिरोही जिले के थाना बरलूट प्रकरण में हत्या के आरोप में झूठा फंसाये गये लखमाराम देवासी और गेमाराम गरासिया के मामले में दोषी पुलिस अधिकारियों को निलंबित कर बर्खास्ती के लिए सीसीए नियम 16 अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की मांग की. साथ ही दोनों पीड़ितों को 10-10 लाख मुआवजा देने की बात कही.

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इस पर मुख्य सचिव शर्मा ने लोढ़ा को उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया. लोढ़ा ने बताया कि लखमाराम देवासी अभी जमानत पर है और गेमाराम गरासिया अभी भी सिरोही कारागृह में बंद है. लोढ़ा ने मुख्य सचिव से कहा कि अपराध में बिना लिप्तता के पुलिस की ओर से वर्षो जेल में बंद करने से दोनों नागरिकों के मूलभूत अधिकारों का गम्भीर हनन हुआ है. उन्होंने कहा कि गेमाराम गरासिया हत्या के दिन बाली जेल में बंद था, लेकिन उसे महीनों बाद एसओजी की ओर से इसमें फंसाया गया.

निर्दोष को किया गिरफ्तार: लोढ़ा ने कहा कि इससे पहले निर्दोष गिरफ्तार किये गये लखमाराम देवासी के मामले में तीन साल बाद 2021 में पुलिस ने जिला न्यायालय सिरोही में 169 की अर्जी पेश कर कहा कि लखमाराम देवासी को गलत गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने कहा कि लखमाराम देवासी की गलत गिरफ्तारी के खिलाफ 2018 में भी उन्होंने देवासी समाज के लोगों के साथ भाजपा शासनकाल के दौरान बरलूट थाने का घेराव किया था. गेमाराम उर्फ गेमला के न्यायिक अभिरक्षा में होने के बावजूद हत्या में फंसाना पुलिस की आपराधिक मानसिकता को प्रदर्शित करता है.

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पुलिस ने जिस गैर कानूनी तरीके से इसमें काम किया है. उससे समाज में गहरा अविश्वास उत्पन्न हुआ है और यह प्रकट हुआ है कि पुलिस के लिए लोगों के अधिकार और संविधान कोई महत्व नहीं रखते. इस वर्ष राजस्थान विधानसभा के कार्य संचालन नियम 131 के तहत उनकी ओर से यह मामला उठाये जाने पर भी सरकार ने गलती स्वीकार की थी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए पुलिस उप महानिरीक्षक जैसे अधिकारी से जांच कराने की घोषणा की थी. क्योंकि उक्त घटना दिवस पर स्वयं पुलिस अधीक्षक मौके पर आये थे और उनकी लिप्तता से ही यह अपराधिक कृत्य निर्दोष नागरिक के साथ हुआ.

मुआवजा देने की मांग: लोढ़ा ने मुख्य सचिव से कहा कि नागरिक अधिकारों के हनन के अनेक मामलो में सर्वोच्च न्यायालय ने पीड़ितों को आर्थिक मुआवजा दिलाया है. पूर्व इसरो वैज्ञानिक नामबी नारायणन को 50 लाख रुपए मुआवजा दिया गया. पुलिस की कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 21 और 22 का घोर उल्लंघन है. सरकार का यह नैतिक दायित्व बनता है कि दो नौजवानों के चार साल की जिदंगी तबाह करने की वह जिम्मेदारी ले. लेकिन मुआवजे का सीधा अभी तक कोई प्रावधान नहीं है. राजस्थान सरकार अपने नागरिकों के हितों के प्रति सजग है, राज्य सरकार इस संबंध में मुआवजा जारी (Sanyam Lodha demands compensation in Sirohi case) करे.

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कार्यकारी समिति गठित करने का दिया सुझाव: लोढ़ा ने सीएस से माउंट आबू में पर्यटकों के आकर्षण को बढ़ाने के लिये डवलपमेंट के प्रोजेक्ट को गति देने को शीघ्र आबू विकास समिति के साथ-साथ एक कार्यकारी समिति मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित करने का सुझाव दिया. जिससे माउंट आबू में पर्यटकों के आकर्षण के लिये नियमित रूप से विकास कार्यों को आगे बढ़ाया जा सके. साथ ही लोढ़ा ने स्पोर्ट्स एडवेंचर गतिविधिया भी शुरू करने की बात कही. इस पर मुख्य सचिव ने माउंट आबू को पर्यटन नक्शे में उभारने के लिए और वहां के लोगों को सम्बल देने के लोढ़ा के सुझावों पर शीघ्र अमल का आश्वासन दिया.

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