जयपुर. जयपुर नगर निगम हैरिटेज में कांग्रेस ने 47 वार्ड पर जीत दर्ज की है. इसमें से 21 पर मुस्लिम पार्षद चुने गए हैं. साथ ही 7 अन्य मुस्लिम निर्दलीय पार्षदों ने भी कांग्रेस को समर्थन देकर बहुमत में ला दिया है.
ऐसे में जयपुर के अल्पसंख्यक समुदाय को पूरी उम्मीद थी, इस बार उन्हें महापौर का पद मिलेगा. लेकिन कांग्रेस की आंतरिक लड़ाई और सचिन पायलट फैक्टर का असर ये रहा कि कांग्रेस के खेमे में 28 मुस्लिम पार्षद होने के बावजूद मुनेश गुर्जर को जयपुर हैरिटेज नगर निगम में कांग्रेस ने महापौर पद का उम्मीदवार बनाया. इसी के बाद से लगातार अल्पसंख्यक समुदाय विरोध दर्ज करा रहा है.
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इसी क्रम में शनिवार को मुस्लिम समाज के 11 लोगों का प्रतिनिधिमंडल मुस्लिम पार्षदों से मुलाकात करने के लिए कूकस स्थित निजी होटल के लिए रवाना हुआ. लेकिन यहां बीच रास्ते ही उन्हें पुलिस प्रशासन द्वारा रोक दिया गया, जिसके चलते समुदाय के लोग सड़क पर प्रदर्शन करते हुए धरने पर जा बैठे. हालांकि इस दौरान मुख्य सचेतक महेश जोशी मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधियों से मिलने पहुंचे. इस दौरान उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक पार्षदों के नामों पर विचार किया गया था. लेकिन उन पर सहमति नहीं बन पाई, जिस पर प्रदर्शनकारियों ने प्रदेशाध्यक्ष और मुख्य सचेतक की बातों में अंतर होने की बात कही. हालांकि उन्हें आश्वासन भी दिया गया कि उन्हें पार्षदों से मिलाया जाएगा. लेकिन 11 प्रतिनिधियों की जगह पांच को ही होटल तक आने के लिए कहा गया. इस पर समुदाय के लोग रजामंद नहीं हुए, और नाराज होकर दोबारा लौट गए.
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गुस्साए समुदाय के लोगों ने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें सिर्फ वोट बैंक समझा जाता है. 100 में से 30 मुस्लिम पार्षद होने के बावजूद उन्हें मेयर बनने का मौका नहीं दिया जा रहा. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि कांग्रेस मुस्लिम समुदाय की मांगों को नहीं मानती है, और 6 महीने बाद सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाकर मेयर का बदलाव नहीं करती है, तो आने वाले चुनाव में नतीजे भुगतने के लिए तैयार रहे.
हालांकि अभी जयपुर नगर निगम हैरिटेज में डिप्टी मेयर का पद मुस्लिम समुदाय की झोली में आ सकता है. लेकिन इसमें भी कशमकश कम नहीं है. वरिष्ठता के हिसाब से पार्षद उमर दराज और आयशा सिद्धकी आते हैं. लेकिन उपमहापौर पद पर असलम फारुकी और निर्दलीय जीत कर आने वाली राबिया गुडएज की भी दावेदारी रहेगी.