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गरीबों की मदद करने वाले गहलोत के मंत्रियों के दावे निकले खोखले, विवेक अनुदान राशि नहीं की खर्च - मुख्यमंत्री अशोक गहलोत

कांग्रेस की सरकार को डेढ़ साल से ज्यादा सत्ता में आए हुए हो गया. इस बीच कोरोना काल और सियासी संग्राम से भी प्रदेश की सरकार ने गुजर बसर किया. लेकिन जनता के हित और गरीबों की मदद की बात करने वाले गहलोत सरकार के अधिकतर मंत्री अभी तक अपने विवेक अनुदान कोष का उपयोग नहीं कर पाए.

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जरूतमंदों को भूल गए गहलोत के मंत्री
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Published : Aug 22, 2020, 3:38 PM IST

जयपुर. पिछले दिनों में प्रदेश की जनता ने बहुत कुछ देखा. पहले कोरोना काल का संकट, फिर सरकार की कुर्सी का संकट. इन संकट में सरकार बच गई और माननीयों की कुर्सी भी. लेकिन मंत्रियों की इस दौरान गरीब और जरूतमंदों की तनिक भी याद नहीं आई. आये भी क्यों सभी जो फाइव स्टार में ठहरे हुए थे. जो मंत्री पिछले दिनों सरकार के सियासी संग्राम में बार-बार बोल रहे थे कि सरकार ने गांव तक काम किया और लोगों की मदद की. लेकिन शायद एक छलावा था.

जरूतमंदों को भूल गए गहलोत के मंत्री

इस वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को छोड़ दे तो एक भी मंत्री ने अभी तक विवेक अनुदान राशि का बजट नहीं लिया. सीएम गहलोत ने 3 लाख 10 हजार रुपए विवेक अनुदान राशि जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च की है. जबकि इस वित्त वर्ष के शुरुआत से ही प्रदेश कोरोना संकट से गुजर रहा है. प्रदेश की जनता को इस दौर में जो मदद की जरूरत थी, वो माननीय नहीं कर पाए.

जानिए कौन कितना कर सकता है खर्च...

  • सीएम सालाना विवेकानुदान राशि के रूप में 50 लाख तक फंड खर्च कर सकते हैं
  • कैबिनेट मंत्री 2 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • राज्य मंत्री को 1 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • संसदीय सचिव 1 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • इसमें एक व्यक्ति को अधिकतम 1 हजार रुपये प्रति व्यक्ति देने का प्रावधान है.

इसके बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी को बैठे बिठाए एक और मुद्दा मिल गया. सरकार और उसके मंत्रियों को घेरने का. बीजेपी प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार इस बार हर मोर्चे पर विफल रही है. गरीबों के हितों की बात करने और हित करने में अंतर है. दरअसल विवेक अनुदान राशि सरकार 1959 से देती आ रही है. जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और संसदीय सचिव अपने क्षेत्र में जाते है और जरूरतमंद लोगों की मदद करते थे.

पढ़ेंः पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने CM गहलोत को लिखा पत्र, इंदिरा रसोई को लेकर किया कटाक्ष

ऐसा नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष में मंत्री और संसदीय सचिवों ने विवेक अनुदान राशि का इस्तेमाल नहीं किया. अगर पिछले वित्त वर्ष के आंकड़ों पर भी नजर डाले तो 5 मंत्रियों ने अपने विवेक अनुदान राशि के कुछ हिस्से का उपयोग किया. बाकी ने तो उस ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया. गहलोत सरकार में 22 मंत्री है. इससे पहले 25 मंत्री थे. 3 मंत्रियों को सियासी संग्राम के बीच हटा दिया गया. वहीं सरकार में अभी तक कोई संसदीय सचिव नहीं है. इस लिए मंत्री ही अपने विवेक अनुदान राशि का उपयोग कर सकते है.

विवेक अनुदान राशि खर्च करने वाले मंत्री

  • परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 1 लाख 40 हजार.
  • सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग मंत्री भंवर लाल मेघवाल 1 लाख 45 हजार.
  • खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने 1 लाख 70 हजार.
  • प्रसादी लाल मीणा ने 2 लाख रुपये खर्च किये थे.

जयपुर. पिछले दिनों में प्रदेश की जनता ने बहुत कुछ देखा. पहले कोरोना काल का संकट, फिर सरकार की कुर्सी का संकट. इन संकट में सरकार बच गई और माननीयों की कुर्सी भी. लेकिन मंत्रियों की इस दौरान गरीब और जरूतमंदों की तनिक भी याद नहीं आई. आये भी क्यों सभी जो फाइव स्टार में ठहरे हुए थे. जो मंत्री पिछले दिनों सरकार के सियासी संग्राम में बार-बार बोल रहे थे कि सरकार ने गांव तक काम किया और लोगों की मदद की. लेकिन शायद एक छलावा था.

जरूतमंदों को भूल गए गहलोत के मंत्री

इस वित्तीय वर्ष यानी 2020-21 में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को छोड़ दे तो एक भी मंत्री ने अभी तक विवेक अनुदान राशि का बजट नहीं लिया. सीएम गहलोत ने 3 लाख 10 हजार रुपए विवेक अनुदान राशि जरूरतमंदों की मदद के लिए खर्च की है. जबकि इस वित्त वर्ष के शुरुआत से ही प्रदेश कोरोना संकट से गुजर रहा है. प्रदेश की जनता को इस दौर में जो मदद की जरूरत थी, वो माननीय नहीं कर पाए.

जानिए कौन कितना कर सकता है खर्च...

  • सीएम सालाना विवेकानुदान राशि के रूप में 50 लाख तक फंड खर्च कर सकते हैं
  • कैबिनेट मंत्री 2 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • राज्य मंत्री को 1 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • संसदीय सचिव 1 लाख तक खर्च कर सकते है.
  • इसमें एक व्यक्ति को अधिकतम 1 हजार रुपये प्रति व्यक्ति देने का प्रावधान है.

इसके बाद विपक्ष में बैठी बीजेपी को बैठे बिठाए एक और मुद्दा मिल गया. सरकार और उसके मंत्रियों को घेरने का. बीजेपी प्रवक्ता और विधायक रामलाल शर्मा ने कहा कि सरकार इस बार हर मोर्चे पर विफल रही है. गरीबों के हितों की बात करने और हित करने में अंतर है. दरअसल विवेक अनुदान राशि सरकार 1959 से देती आ रही है. जिसमें सीएम, कैबिनेट मंत्री, राज्य मंत्री और संसदीय सचिव अपने क्षेत्र में जाते है और जरूरतमंद लोगों की मदद करते थे.

पढ़ेंः पूर्व मंत्री अरुण चतुर्वेदी ने CM गहलोत को लिखा पत्र, इंदिरा रसोई को लेकर किया कटाक्ष

ऐसा नहीं है कि इस वित्तीय वर्ष में मंत्री और संसदीय सचिवों ने विवेक अनुदान राशि का इस्तेमाल नहीं किया. अगर पिछले वित्त वर्ष के आंकड़ों पर भी नजर डाले तो 5 मंत्रियों ने अपने विवेक अनुदान राशि के कुछ हिस्से का उपयोग किया. बाकी ने तो उस ओर कोई ध्यान भी नहीं दिया. गहलोत सरकार में 22 मंत्री है. इससे पहले 25 मंत्री थे. 3 मंत्रियों को सियासी संग्राम के बीच हटा दिया गया. वहीं सरकार में अभी तक कोई संसदीय सचिव नहीं है. इस लिए मंत्री ही अपने विवेक अनुदान राशि का उपयोग कर सकते है.

विवेक अनुदान राशि खर्च करने वाले मंत्री

  • परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने 1 लाख 40 हजार.
  • सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग मंत्री भंवर लाल मेघवाल 1 लाख 45 हजार.
  • खान मंत्री प्रमोद जैन भाया ने 1 लाख 70 हजार.
  • प्रसादी लाल मीणा ने 2 लाख रुपये खर्च किये थे.
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