जयपुर. चांद नजर आने के बाद ही शनिवार को पहला रोजा रखा जायगा. मुस्लिम समाज के लोग ने शनिवार को तड़के उठकर सेहरी करंगे ओर शाम इफ्तार करेंगे. वहीं चांद रात के साथ ही तरावीह की विशेष नमाज का दौर भी शुरू हो चुका है. लेकिन इस बार कोरोना संक्रमण और लॉकडाउन को देखते हुए इस बार धार्मिक उलेमाओं ने रमजान के मुकद्दस महीने में घर में इबादत करने की अपील की है.
उलेमाओं के साथ-साथ राजस्थान के अल्पसंख्यक मंत्री सालेह मोहम्मद और मुस्लिम वक्फ बोर्ड के चेयरमैन डॉ. खानू खान बुधवाली ने भी मुस्लिम समुदाय के लोगों से अपील करते हुए कहा कि यह मुकद्दस महीना हमें सवाब कमाने का मौका देता है. कोरोना वायरस की वजह से धारा 144 भी लागू है. ऐसे में तमाम लोगों से अपील है कि सभी लोग इस मुकद्दस महीने में इबादत अपने घरों में ही रहकर करें. दोनों नेताओं ने लोगों से अपील करते हुए कहा कि इस बार वह लोगों से अपील करते हैं कि वह अपने घरों में ही रहकर इबादत करेंगे.
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हर मुसलमान का यह फर्ज बनता है कि इस मुकद्दस महीने में इबादत ज्यादा से ज्यादा करें और कोरोना वायरस जैसी बीमारी के खात्मे के लिए खास दुआ भी करें. बता दें कि इस्लामिक कैलेंडर के मुताबिक नौवां महीना रमजान का होता है. रमजान के पवित्र महीने में पूरे माह मुसलमान लोग रोजा रखते हैं और उसके बाद 29वें या 30वें रोजे के दिन चांद देखकर अगले दिन ईद-उल-फित्र का त्योहार मनाते हैं.
खास बात आपको बता दें कि इस बार कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते जो लोग क्वॉरेंटाइन हैं, उनके लिए भी सरकार की ओर से विशेष इंतजाम किए गए हैं कि जब वह रोजे रखे तो उनको कोई परेशानी ना हो. भरतपुर में तो इसे लेकर एक आदेश भी निकल गया है, जिसमें यह लिखा है कि क्वॉरेंटाइन सेंटरों पर मुस्लिम समुदाय के व्यक्ति भी ठहरे हुए हैं, जिनमें से कुछ लोगों का रोजे रखे जाना संभावित है. रमजान के महीने में रोजेदारों द्वारा शहरी रोजा इफ्तार की रस्म में चाय, नाश्ता, नींबू, खजूर और फल इत्यादि का उपयोग किया जाता है. ऐसे में क्वॉरेंटाइन सेंटरों में इनकी व्यवस्था की जाए.