जयपुर. देश में इस समय लॉकडाउन टू चल रहा है. ऐसे में सबसे बड़ी चर्चा अगर किसी तबके को लेकर चल रही है तो वह है प्रवासी मजदूर. जिन को वापस अपने प्रदेशों में भेजने के लिए प्रयास हो रहे हैं. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत इसे लेकर लगातार प्रयास भी कर रहे हैं.
शेल्टर होम में निकाल रहे समय
वहीं राजस्थान के बाहर रह गए राजस्थानी प्रवासियों का वापस आना जल्द शुरू भी हो जाएगा, लेकिन अब तक जिन प्रवासी मजदूरों की तस्वीरें सामने आ रही थी. वे पैदल ही अपने घरों के लिए निकल रहे मजदूर थे. अब वह मजदूर हैं जो सरकारों के बनाए शेल्टर होम में लॉकडाउन का समय निकाल रहे हैं.
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मजदूरों को मिल रहा काम
बता दें कि मजदूरों का एक तबका ऐसा भी है जिसे इस लॉकडाउन के समय में भी काम मिल रहा है और उनके खाने-पीने और रहने की परेशानी भी नहीं है.जी हां हम बात कर रहे हैं उन मजदूरों की जो सरकारी खाद्यान्न और खाद का परिवहन करने वाली माल गाड़ियों से माल खाली करवाते हैं, क्योंकि माल गाड़ियों से माल परिवहन चल रहा है.
कमाई घटकर 30 प्रतिशत रह गयी
इस संकट के समय में इन मजदूरों को काम तो मिल रहा है, लेकिन पहले की तुलना में 30 प्रतिशत ही काम मिल रहा है, क्योंकि सरकारी खाद और गेहूं के अलावा कोई अन्य सामान खाली करने को नहीं मिलता है और यह सामान भी रोजाना नहीं आता है. ऐसे में इनकी कमाई घटकर 30 प्रतिशत रह गयी है.
तीन से चार हजार ही मिल पाते
मजदूरों का कहना है कि भले ही उनको काम मिल रहा हो, लेकिन पहले की मुताबिक काफी कम है. जहां पहले 10 हजार रुपए महीना कमाते थे. अब पूरे महीने काम करने के बाद भी तीन से चार हजार ही मिल पा रहे हैं. वहीं इनके समाने दिक्कत यह भी है कि इन प्रवासी मजदूरों में ज्यादातर किसान हैं. जिनका खेती का काम भी अपने प्रदेशों में है. ऐसे में फसल कटाई का समय चल रहा है, तो इन मजदूरों को वापस अपनी फसल को काटने भी जाना है.
अपनों के पास जाने के लिए परेशान
यह मजदूर भूख-प्यास से परेशान नहीं है, बल्कि अपने परिवार के पास जाने के लिए परेशान है. ऐसे में जितने भी मजदूर हैं. वे एक ही स्वर में एक ही बात कहते हुए नजर आते हैं कि 3 मई का इंतजार कर रहे हैं कि लॉकडाउन खुलते ही वह अपने घरों को निकल जाए, हालांकि 3 मई को क्या निर्णय होगा इस पर अभी अंतिम फैसला होना बाकी है.
यह कनकपुरा यार्ड में मजदूरों के हालात
1. जयपुर के कनकपुरा यार्ड में करीब 300 मजदूर हैं जो माल की लोडिंग अनलोडिंग का काम करते हैं.
2. इन मजदूरों को एक कट्टा लोडिंग अनलोडिंग करने पर डेड रुपए दिया जाता है, जिसमें से 10 पैसा ठेकेदार का होता है.
3. पहले कनकपुरा यार्ड पर सरकारी खाद्यान्न के साथ ही सीमेंट और अन्य सामान भी आते थे जिससे इन्हें लगातार काम मिलता रहता था और महीने के करीब 10 हजार रुपये की कमाई हो जाती थी, जबकि अब केवल सरकारी खाद या खाद्यान्न ही आ रहा है. ऐसे में इन्हें केवल 3 से 4 हजार महीना ही आमदानी हो पा रही है.
5. इन मजदूरों को खाने-पीने रहने या काम की तो पूरी तरीके से कमी नहीं है, लेकिन ज्यादातर मजदूर किसान है जिनकी फसल कटाई का भी समय है और उसे बेचने का भी ऐसे में इनका वापस जाना जरूरी है.