जयपुर. अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम 8 ने ग्रेटर नगर निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह देव से अभद्रता करने से जुड़े मामले में महापौर सौम्या गुर्जर को बड़ी राहत देते हुए आरोप मुक्त (Mayor Soumya Gurjar freed from charge of indecency) कर दिया है. अदालत ने निलंबित आरोपी पार्षद अजय सिंह, पारस कुमार जैन, शंकर शर्मा और रामकिशोर प्रजापत के खिलाफ चार्ज फ्रेम करते हुए ट्रायल शुरू की है. मामले में ज्योतिनगर थाना पुलिस ने गत वर्ष 30 जून को आरोप पत्र पेश किया था.
चार जून को निगम आयुक्त यज्ञमित्र सिंह ने ज्योति नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करवा कर मेयर सौम्या गुर्जर पर अभद्रता करने और पार्षद अजय सिंह, शंकर शर्मा, पारस जैन और राम किशोर प्रजापत पर मारपीट और धक्का-मुक्की करने का आरोप (Soumya Gurjar was accused of indecency) लगाया था. एफआईआर पर जांच करते हुए पुलिस ने अतिरिक्त मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-8 अदालत में सौम्या सहित अन्य चारों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था.
चार्ज बहस में सौम्या गुर्जर की ओर से कहा गया की उन्हें मामले में द्वेषता के चलते फंसाया गया है. ऐसे में उन्हें प्रकरण से डिस्चार्ज किया जाए. जिसका विरोध करते हुए सरकारी वकील ने कहा की सौम्या के खिलाफ अभद्रता करने के पर्याप्त साक्ष्य हैं. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने सौम्या गुर्जर को आरोप मुक्त करते हुए तत्कालीन पार्षदों के विरुद्ध आरोप तय किए हैं.
1 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने दिया था स्टेः एक फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने सौम्या गुर्जर को पद से निलंबित करके उनके खिलाफ न्यायिक जांच शुरू करने के राज्य सरकार के आदेश पर स्टे दिया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद सौम्या गुर्जर ने 2 फरवरी को वापस मेयर की कुर्सी संभाल ली थी. वहीं अब निचली अदालत से भी सौम्या गुर्जर को राहत मिल गई है. कोर्ट के फैसले के बाद निगम मुख्यालय पर विभिन्न समितियों के चेयरमैन, पार्षद और उपमहापौर भी सौम्या गुर्जर को बधाई देने पहुंचे.
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आखिर जीत सत्य की ही होती हैः महापौर सौम्या गुर्जर ने कहा कि उन्होंने पहले भी कहा था कि सच सामने आएगा. सत्य का रास्ता कठिन होता है और परेशानी भी आती है, लेकिन आखिर में जीत सत्य की ही होती है. न्यायालय ने आज अपने मत से ये स्पष्ट कर दिया है कि सत्य हमेशा जीतता है. उन्हें न्यायालय पर भरोसा था, सत्य परेशान हो सकता है पराजित नहीं. वहीं उपमहापौर पुनीत कर्णावट ने कोर्ट के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि अभी भी चार साथियों पर चार्ज फ्रेम किया गया है. वो लड़ाई लड़नी अभी बाकी है. उस लड़ाई को भी जीता जाएगा. क्योंकि जनहित में बात करने का अधिकार जनप्रतिनिधि का है. इस आधार पर मुकदमे दर्ज किया जाना गलत है. आज एक जीत हुई है, और जल्द ही बाकी चार पार्षद भी न्याय प्रक्रिया से गुजरते हुए निर्दोष साबित होंगे.
यह था मामलाः पिछले साल 6 जून को आयुक्त यज्ञमित्र सिंह और मेयर सौम्या गुर्जर के बीच हुए विवाद हुआ था. इसके बाद आयुक्त ने चार पार्षद अजय सिंह, पारस जैन, शंकर शर्मा और रामकिशोर के खिलाफ धक्का मुक्की और मारपीट करने का आरोप लगाते हुए ज्योति नगर थाने में शिकायत दर्ज कराई थी. एफआईआर में इन पार्षदों के साथ मेयर सौम्या गुर्जर का नाम नहीं था, लेकिन पुलिस ने सौम्या को भी इसमें शामिल करते हुए कोर्ट में चालान पेश कर दिया. 4 बार हुई सुनवाई और बहस के बाद सोमवार को कोर्ट ने सौम्या को दोषमुक्त किया. हालांकि मेयर के खिलाफ अभी भी न्यायिक जांच जारी है.