जयपुर. माघ महीने की अमावस्या को मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2022) भी कहा जाता है. सनातन धर्म में मौनी अमावस्या का अहम स्थान है. इस दिन पवित्र नदी या तीर्थ स्थल पर स्नान का विशेष महत्व है. इस बार मौनी अमावस्या 1 फरवरी मंगलवार को मनाई जाएगी. दरअसल, अमावस्या तिथि 31 जनवरी 2022 को रात 2:18 बजे शुरू होकर 1 फरवरी की रात 11:15 बजे तक रहेगी.
ज्योतिर्विद श्रीराम गुर्जर का कहना है कि मौनी अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या सरोवर में स्नान करने के बाद आटे की गोलियां बनाकर मछलियों को खिलाएं खिलाने से सभी परेशानियों से मुक्ति मिलती है और बड़ी से बड़ी मुसीबतों का अंत हो जाता है. मौनी अमावस्या के दिन चींटियों को आटा और चीनी खिलाने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
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पौराणिक ग्रंथों के अनुसार मौनी अमावस्या के दिन विधि विधान के साथ चंद्रदेव की पूजा-अर्चना करने से किसी भी काम में आ रही बाधाओं का अंत होता है और कठिन से कठिन रास्ते भी आसान हो जाते हैं. अमावस्या की तिथि भगवान विष्णु को भी अत्यंत प्रिय बताई गई है. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने से धन प्राप्ति के नए रास्ते खुलते हैं और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद बना रहता है.
इस दिन धन संपदा में वृद्धि के लिए तुलसी पूजन की भी परंपरा है. तुलसी पूजन के बाद 108 बार तुलसी की परिक्रमा करने से देवी लक्ष्मी प्रसन्न होती है और धन संपदा में वृद्धि होती है. मौनी अमावस्या के दिन पीपल पूजन का भी विधान है. कहा जाता है कि पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों देवताओं का वास होता है. इस दिन पीपल के पेड़ पर 108 बार कच्चा सूत लपेटने और फल अर्पित करने से घर से दरिद्रता दूर होती है और जीवन में आने वाली सभी विघ्न बाधाओं का अंत होता है.
पितरों की तृप्ति के लिए करें तर्पण: मौनी अमावस्या के दिन पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण करने का भी विशेष महत्व है. मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पितरों का तर्पण करने से हमारे पूर्वज प्रसन्न होते हैं और वंश में वृद्धि व सुख समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है. इस दिन जरूरतमंद व्यक्ति को दान देने से शनिदेव की कृपा बनी रहती है.