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हाईकोर्ट पहुंचा मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना का लाभ नहीं देने का मामला, अगले हफ्ते सुनवाई

राजस्थान हाई कोर्ट में मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना का लाभ पीड़ित मरीज को नहीं दिए जाने का मामला पहुंचा है. याचिका में सीएम के प्रमुख सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, टोंक कलेक्टर और शहर के एक निजी अस्पताल को पक्षकार बनाया गया है, जिस पर अगले सप्ताह सुनवाई होगी.

राजस्थान हाई कोर्ट, Rajasthan high Court
राजस्थान हाई कोर्ट
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Published : Jun 19, 2021, 8:43 PM IST

जयपुर. मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना का लाभ पीड़ित मरीज को नहीं देने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है, जिस पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी. टोंक निवासी प्यारेलाल अग्रवाल ने याचिका पेश कर निजी अस्पताल की मनमानी को चुनौती दी है.

याचिका में सीएम के प्रमुख सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, टोंक कलेक्टर और शहर के एक निजी अस्पताल को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता कोरोना होने के चलते गत 27 मई से 31 मई तक निजी अस्पताल में भर्ती रहा. अस्पताल प्रबंधन ने सही होने पर उससे सवा लाख रुपए वसूलने के बाद ही उसे छुट्टी दी, जबकि याचिकाकर्ता के पास चिरंजीवी बीमा योजना, भामाशाह और जनाधार कार्ड भी था.

यह भी पढ़ेंः एडवांस भुगतान के बाद भी Vaccine उपलब्ध नहीं करा रहीं कंपनियां, Rs 40 करोड़ राज्य सरकार के अटके: रघु शर्मा

याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि चिरंजीवी योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का इलाज निशुल्क होगा. संबंधित निजी अस्पताल चिरंजीवी योजना में सूचीबद्ध भी है, लेकिन याचिकाकर्ता को इस योजना का लाभ नहीं दिया गया. याचिका में अदालत से गुहार की गई है कि अस्पताल प्रबंधन से भुगतान की गई राशि का पुनर्भरण कराया जाए.

जयपुर. मुख्यमंत्री चिरंजीवी योजना का लाभ पीड़ित मरीज को नहीं देने के मामले में हाईकोर्ट में याचिका पेश की गई है, जिस पर अगले सप्ताह सुनवाई की जाएगी. टोंक निवासी प्यारेलाल अग्रवाल ने याचिका पेश कर निजी अस्पताल की मनमानी को चुनौती दी है.

याचिका में सीएम के प्रमुख सचिव, प्रमुख स्वास्थ्य सचिव, टोंक कलेक्टर और शहर के एक निजी अस्पताल को पक्षकार बनाया गया है. याचिका में कहा गया कि याचिकाकर्ता कोरोना होने के चलते गत 27 मई से 31 मई तक निजी अस्पताल में भर्ती रहा. अस्पताल प्रबंधन ने सही होने पर उससे सवा लाख रुपए वसूलने के बाद ही उसे छुट्टी दी, जबकि याचिकाकर्ता के पास चिरंजीवी बीमा योजना, भामाशाह और जनाधार कार्ड भी था.

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याचिका में कहा गया कि राज्य सरकार ने घोषणा की थी कि चिरंजीवी योजना के तहत 5 लाख रुपए तक का इलाज निशुल्क होगा. संबंधित निजी अस्पताल चिरंजीवी योजना में सूचीबद्ध भी है, लेकिन याचिकाकर्ता को इस योजना का लाभ नहीं दिया गया. याचिका में अदालत से गुहार की गई है कि अस्पताल प्रबंधन से भुगतान की गई राशि का पुनर्भरण कराया जाए.

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