मथुरा/ जयपुर. राजस्थान के बहुचर्चित भरतपुर के मान सिंह समेत तीन लोगों की हत्या के मामले मंगलवार को जिला न्यायालय मथुरा कोर्ट ने डीएसपी कान सिंह समेत 11 पुलिसकर्मियों को आरोपी माना है. जबकि मंगलवार को जिला न्यायालय कोर्ट ने तीन लोगों को मानसिंह हत्याकांड में बरी कर दिया गया.
क्या था मामला:
21 फरवरी 1985 को राजस्थान में चुनाव प्रचार हो रहा था. डीग विधानसभा क्षेत्र के निर्दलीय उम्मीदवार मानसिंह अपनी जोंगा जीप लेकर चुनाव प्रचार के लिए लाल कुंडा चुनाव कार्यालय पहुंचे. तभी पुलिस ने उन्हें घेर लिया और ताबड़तोड़ फायरिंग हुई. घटना में मान सिंह, उनके साथी सुमेर सिंह और हरि सिंह की मौत हो गई. जिसके बाद उनके शव जोंगा जीप में मिले थे.
मानसिंह के दामाद विजय सिंह ने सिरोही में 23 फरवरी को राजा मानसिंह और दो अन्य की हत्या के मामले में पुलिस कर्मियों पर रिपोर्ट लिखवाई. वहीं इस घटना में तत्कालीन सीओ कान सिंह भाटी, एसएचओ वीरेंद्र सिंह और कई पुलिसकर्मी आरोपी थे.
हत्या के मामले में जयपुर की सीबीआई विशेष अदालत में मुकदमा चला. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मुकदमा 1990 में मथुरा न्यायालय स्थानांतरण कर दिया गया. 20 फरवरी 1985 को मानसिंह के खिलाफ राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवचरण माथुर का हेलीकॉप्टर से मंच तोड़ने की एफआईआर डीग थाने में दर्ज हुई.
मानसिंह हत्याकांड में सीबीआई की ओर से कुल 18 अभियुक्त के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई. जिसमें से तीन अभियुक्त कांस्टेबल गनेकराम, कांस्टेबल कुलदीप और सीताराम की मौत हो चुकी है. जबकि तत्कालीन सीओ गाड़ी चालक वीरेंद्र सिंह को जिला न्यायालय कोर्ट ने बरी कर दिया है.
पढ़ेंः CBI पर भरोसा नहीं, इसलिए SOG से करवा रहे जांचः खाचरियावास
जिला न्यायालय जज साधना रानी ठाकुर ने मंगलवार को मानसिंह हत्याकांड के मामले में डीएसपी समेत ग्यारह पुलिस कर्मियों को दोषी माना है. बुधवार को सभी आरोपियों के सजा का ऐलान होगा और आर्थिक दंड भी लगाया जाएगा. मानसिंह हत्याकांड के मामले में जिला न्यायालय कोर्ट में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं पीएसी पुलिस फोर्स तैनात की गई है.