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सहकारिता को लेकर दावे कई सच्चाई कुछ और, सहकारी बैंकों में कर्मचारियों का टोटा

राजस्थान में सहकारी बैंक और सहकारी समितियों में 5000 से अधिक पद खाली चल रहे हैं. सहकारी बैंकों में 1105 और समितियों में 4000 से अधिक पद वेकेंट हैं. इन खाली पदों की वजह से बैंक से जुड़े काम और सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. गहलोत सरकार ने 715 रिक्त पदों को भरा तो है लेकिन ये भी ऊंट के मुंह में जीरे समान ही है.

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Published : Aug 19, 2022, 7:49 AM IST

Updated : Aug 19, 2022, 12:28 PM IST

जयपुर. प्रदेश में सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं की मजबूती की बात तो हर सरकार करती है लेकिन उस पर ध्यान कोई नहीं देता. राजस्थान में ही सहकारी बैंक और सहकारी समितियों (Rajasthan State Cooperative Banks) में 5000 से अधिक पद खाली चल रहे हैं. मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सहकारी बैंकों में 715 अलग-अलग पदों पर भर्ती की गई वहीं 3 हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के पद पर सीधी भर्ती का एलान किया गया है लेकिन इसकी प्रक्रिया कब शुरू होगी इसका खुलासा नहीं किया गया.

29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और 1 अपेक्स बैंक में 1100 पद रिक्त: राजस्थान में 29 जिलों में सीसीबी यानी केंद्रीय जिला सहकारी बैंक है वही एक अपेक्स बैंक जयपुर में है जिसकी कई शाखाएं चल रही है. सहकारिता विभाग से जुड़े इन बैंकों में वर्तमान में करीब 1100 पद रिक्त चल रहे हैं. स्थिति इतनी खराब है कि प्रोबेशन पर चल रहे कर्मचारियों को तो कुछ शाखाओं में मैनेजर तक का भी चार्ज दे दिया गया है. वहीं अधिकतर शाखाओं में रिटायर्ड कर्मचारियों की संविदा पर सेवाएं ली जा रही है. कर्मचारियों की कमी के चलते बैंक से जुड़े काम और सेवाएं भी प्रभावित होना लाजिमी है जिसका असर यहां से जुड़े आम उपभोक्ता और किसानों पर पड़ता है.

ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के महासचिव सूरजभान आमेरा

7320 सहकारी समितियों में यह है हालात: ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के महासचिव सूरजभान आमेरा के अनुसार प्रदेश में 7320 ग्राम सेवा सहकारी समितियां है और हर समितियों में एक-एक पद व्यवस्थापक और अन्य पद सहायक व्यवस्थापक सहित अलग-अलग कर्मचारियों के होते हैं लेकिन करीब चार हजार समितियों में व्यवस्थापकों के पद खाली चल रहे हैं (RCRB). इस स्थिति की भरापूर्ति या तो सहायक व्यवस्थापकों को जिम्मेदारी देकर की जा रही है या फिर एक ही व्यवस्थापक को दो से तीन समितियों का चार्ज दिया हुआ है.

पढ़ें-सहकारी समिति व्यवस्थापकों के नए सेवा नियमों के विरोध में कर्मचारी, कही ये बात...

ये भी पढ़ें- नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन के संशोधन आदेश जारी, हिस्सा राशि 3 लाख रूपये व सदस्य संख्या को 300 किया...

सरकारी कोष पर नहीं पड़ेगा भार: सरकारी बैंकों में होने वाली भर्तियों का भार राज्य सरकार पर नहीं पड़ता बल्कि ये सरकारी बैंक ही अपने कर्मचारियों का वेतन भत्ता वहन करते हैं. यही स्थिति ग्राम सहकारी समितियों में भी है लेकिन इन बैंकों में भर्ती के लिए स्वीकृति सरकार के स्तर पर जारी होती है.

पिछले साढ़े 3 साल में सहकारी बैंकों में हुई ये भर्ती: प्रदेश की गहलोत सरकार के कार्यकाल में यदि बात की जाए तो सहकारी बैंकों में 715 पदों पर भर्ती की गई है इनमें बैंक मैनेजर, सीनियर मैनेजर और बैंक की सहायक सहित कुछ पदों पर भर्तियां की गई है. ग्राम सेवा सहकारी समितियों की बात की जाए तो पिछले कई सालों से इनमें कोई भर्तियां नहीं की गई. हालांकि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना कहते हैं कि जल्द ही 3000 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों की सीधी भर्ती की जाएगी. हालांकि यह भर्ती स्क्रीनिंग के बाद शेष बचे हुए पदों पर की जाएगी लेकिन भर्ती प्रक्रिया कब शुरू होगी इसका खुलासा नहीं किया गया.

जयपुर. प्रदेश में सहकारिता से जुड़ी संस्थाओं की मजबूती की बात तो हर सरकार करती है लेकिन उस पर ध्यान कोई नहीं देता. राजस्थान में ही सहकारी बैंक और सहकारी समितियों (Rajasthan State Cooperative Banks) में 5000 से अधिक पद खाली चल रहे हैं. मौजूदा सरकार के कार्यकाल में सहकारी बैंकों में 715 अलग-अलग पदों पर भर्ती की गई वहीं 3 हजार ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों के पद पर सीधी भर्ती का एलान किया गया है लेकिन इसकी प्रक्रिया कब शुरू होगी इसका खुलासा नहीं किया गया.

29 जिला केंद्रीय सहकारी बैंक और 1 अपेक्स बैंक में 1100 पद रिक्त: राजस्थान में 29 जिलों में सीसीबी यानी केंद्रीय जिला सहकारी बैंक है वही एक अपेक्स बैंक जयपुर में है जिसकी कई शाखाएं चल रही है. सहकारिता विभाग से जुड़े इन बैंकों में वर्तमान में करीब 1100 पद रिक्त चल रहे हैं. स्थिति इतनी खराब है कि प्रोबेशन पर चल रहे कर्मचारियों को तो कुछ शाखाओं में मैनेजर तक का भी चार्ज दे दिया गया है. वहीं अधिकतर शाखाओं में रिटायर्ड कर्मचारियों की संविदा पर सेवाएं ली जा रही है. कर्मचारियों की कमी के चलते बैंक से जुड़े काम और सेवाएं भी प्रभावित होना लाजिमी है जिसका असर यहां से जुड़े आम उपभोक्ता और किसानों पर पड़ता है.

ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के महासचिव सूरजभान आमेरा

7320 सहकारी समितियों में यह है हालात: ऑल राजस्थान कोऑपरेटिव एंप्लाइज यूनियन के महासचिव सूरजभान आमेरा के अनुसार प्रदेश में 7320 ग्राम सेवा सहकारी समितियां है और हर समितियों में एक-एक पद व्यवस्थापक और अन्य पद सहायक व्यवस्थापक सहित अलग-अलग कर्मचारियों के होते हैं लेकिन करीब चार हजार समितियों में व्यवस्थापकों के पद खाली चल रहे हैं (RCRB). इस स्थिति की भरापूर्ति या तो सहायक व्यवस्थापकों को जिम्मेदारी देकर की जा रही है या फिर एक ही व्यवस्थापक को दो से तीन समितियों का चार्ज दिया हुआ है.

पढ़ें-सहकारी समिति व्यवस्थापकों के नए सेवा नियमों के विरोध में कर्मचारी, कही ये बात...

ये भी पढ़ें- नई ग्राम सेवा सहकारी समितियों के गठन के संशोधन आदेश जारी, हिस्सा राशि 3 लाख रूपये व सदस्य संख्या को 300 किया...

सरकारी कोष पर नहीं पड़ेगा भार: सरकारी बैंकों में होने वाली भर्तियों का भार राज्य सरकार पर नहीं पड़ता बल्कि ये सरकारी बैंक ही अपने कर्मचारियों का वेतन भत्ता वहन करते हैं. यही स्थिति ग्राम सहकारी समितियों में भी है लेकिन इन बैंकों में भर्ती के लिए स्वीकृति सरकार के स्तर पर जारी होती है.

पिछले साढ़े 3 साल में सहकारी बैंकों में हुई ये भर्ती: प्रदेश की गहलोत सरकार के कार्यकाल में यदि बात की जाए तो सहकारी बैंकों में 715 पदों पर भर्ती की गई है इनमें बैंक मैनेजर, सीनियर मैनेजर और बैंक की सहायक सहित कुछ पदों पर भर्तियां की गई है. ग्राम सेवा सहकारी समितियों की बात की जाए तो पिछले कई सालों से इनमें कोई भर्तियां नहीं की गई. हालांकि सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना कहते हैं कि जल्द ही 3000 ग्राम सेवा सहकारी समितियों में व्यवस्थापकों की सीधी भर्ती की जाएगी. हालांकि यह भर्ती स्क्रीनिंग के बाद शेष बचे हुए पदों पर की जाएगी लेकिन भर्ती प्रक्रिया कब शुरू होगी इसका खुलासा नहीं किया गया.

Last Updated : Aug 19, 2022, 12:28 PM IST
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