जयपुर. माली समाज की ओर से 12 प्रतिशत आरक्षण सहित 11 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन किया जा रहा है. सरकार की ओर से सुनवाई नहीं होने पर माली समाज में आक्रोश है. सोमवार को राष्ट्रीय फूले ब्रिगेड की ओर से पिंक सिटी प्रेस क्लब में प्रेस वार्ता के जरिए सरकार के सामने अपनी मांगे पूरी करने की अपील की (Rashtriya Fule Brigade demands for reservation) गई. मांगे पूरी नहीं करने पर आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी गई.
माली समाज की मांग है कि माली, सैनी, कुशवाहा, मौर्य, रेड्डी समाज को अलग से 12 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए. महात्मा ज्योतिबा फूले दंपति को भारत रत्न दिलवाने के लिए राज्य सरकार केंद्र को प्रस्ताव भेजे. महात्मा फूले कल्याण बोर्ड और महात्मा फूले बागवानी विकास बोर्ड का गठन किया जाए. महात्मा फूले फाउंडेशन का निर्माण किया जाए.
पढ़ें: राजधानी में माली समाज की महारैली, आरक्षण की मांग पर गहलोत सरकार को अल्टीमेटम
भारतीय सेनाओं में सैनी रेजिमेंट के लिए राज्य सरकार प्रस्ताव बनाकर भेजे. फूले दंपति के नाम से संग्रहालय का निर्माण किया जाए. उनकी जयंती पर अवकाश घोषित किया जाए. माली सैनी समाज के लिए एक एक्ट का निर्माण किया जाए, जिससे अत्याचार करने वालों पर कार्रवाई हो. विश्वविद्यालयों में महात्मा ज्योतिबा फूले और सावित्रीबाई फूले के नाम से शोधपीठ की स्थापना की जाए.
राष्ट्रीय फूले ब्रिगेड के राष्ट्रीय संयोजक चंद्र प्रकाश सैनी ने बताया कि लंबे समय से प्रदेश का माली सैनी समाज अपनी 11 सूत्री मांगों को लेकर आंदोलन कर रहा है. राज्य सरकार की ओर से इस संबंध में जल्द कार्रवाई का आश्वासन दिया गया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई. ऐसे में माली समाज के लोगों ने रास्ता रोक कर विरोध जताया तो सरकार ने पुलिस प्रशासन के जरिए दमनकारी नीति अपनाई और निहत्थे लोगों पर लाठियां भांजी. इससे समाज में आक्रोश है. राज्य सरकार जल्द से जल्द मांगों पर कार्रवाई करे, नहीं तो प्रदेश भर में उग्र आंदोलन किया जाएगा.
पढ़ें: माली समाज आरक्षण मामला: पूनिया बोले- लाठी और दमन से किसी की आवाज दबाई नहीं जा सकती
चंद्र प्रकाश सैनी ने बताया कि माली समाज अपने हक के लिए शांतिपूर्वक तरीके से प्रयास कर रहा है. आंदोलन के दौरान प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में आंदोलनकारियों के खिलाफ पुलिस प्रशासन एक गंभीर धाराओं में मुकदमे दर्ज किए हैं. मुकदमों में ज्यादातर युवाओं को टारगेट किया गया है. इन मुकदमों को वापस लिया जाए. आंदोलनकारियों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करने वाले पुलिसकर्मियों और अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.