जयपुर. देश भर में मकर संक्रांति का दिन उमंग, उत्साह और चेहरे पर खुशी लेकर आता है. आधुनिकता के दौर में मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने की परंपरा आज भी उसी हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है, जो कई साल से बदस्तूर जारी है. इसी बीच दुकानें भी पतंगों से सजी-धजी हैं और व्यापारी पतंगें बेचने में मशगूल हैं. लेकिन जयपुर में एक ऐसे भी बुजुर्ग व्यापारी हैं. जो कई साल से एक खास तरह की पतंगें बना जरूर रहे हैं. लेकिन बेचना उसकी फितरत में नहीं हैं, जानिए क्या है खास वजह.
हम बात कर रहे हैं जयपुर के हांड़ीपुरा निवासी अब्दुल गफूर अंसारी की, जो करीब 40 साल से मकर संक्रांति पर खास तरह की पतंगें बनाने को लेकर मशहूर हैं. खास कागज की रंग-बिरंगी उनकी पतंगें आसमान के रण में नजर तो आती हैं. लेकिन शर्त जब किसी खास शख्सियत के हाथों में चरखी हो. क्योंकि उनकी पतंगें भी कोई आम नहीं बल्कि बेहद खास तरह की होती हैं, जिसमें कई राजनैतिक पार्टियों के प्रमुख लीडरों से लेकर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, अभिनेताओं और क्रिकेटरों की अनूठी बड़ी-बड़ी पतंगें आकर्षण का केंद्र रहती हैं.
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मकर संक्रांति पर इस बार भी अब्दुल गफूर उर्फ चाचा ने भिन्न-भिन्न प्रकार की रंग-बिरंगी पतंगे बनाई हैं. इसमें उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, सांसद असदुद्दीन ओवैसी, महाराष्ट्र मुख्यमंत्री उद्वव ठाकरे, दिल्ली मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के अलावा राजस्थान के रण में राजनीतिक धाक जमाने वाले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की नोक-झोंक के बीच कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास की पतंगें भी लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रही हैं. वहीं पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की पतंग बीजेपी के अन्य लीडरों से हटकर दिखाई दे रही है. जैसा की फिलहाल राजस्थान की बीजेपी में भी दिखाई दे रहा है. साथ ही क्रिकेटर विराट कोहली और अनुष्का शर्मा के घर एक नन्ही परी के आगमन पर उनकी पतंगें भी लुभा रही हैं.
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राजनीति के धुरंधरों को पतंगों के जरिए रण में उतारने वाले अब्दुल गफूर बताते हैं कि, बचपन में उनको छोटी-छोटी पतंगें बनाने का शौक था, जो आज भी बदस्तूर जारी है. धीरे-धीरे अपनी अनूठी पतंगों को लेकर गफूर अंसारी ने अपनी अलग पहचान बना ली. आज वह दिग्गज नेताओं से लेकर फिल्मी कलाकारों और खिलाड़ियों की पतंगें बनाते हैं. इसके अलावा कोरोना से बचाव संबंधित पतंगें भी इस बार उन्होंने बनाई है, जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को मास्क में दर्शाया है. भले ही वह इन पतंगों को बेचते न हों. लेकिन वह कई राजनेताओं को पतंग भेंट कर चुके हैं, जिन्हें वह खुद उड़ाते भी नजर आते हैं.
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अब्दुल गफूर उर्फ चाचा का पतंग बनाकर ही शौक खत्म नहीं हो जाता, इसके पीछे उनका एक खास मकदम भी है. वह है एकता और भाईचारा का संदेश, जिसका संदेश वो मकर संक्रांति पर देते नजर आ रहे हैं. उनकी नजर में हिन्दू-मुस्लिम-सिख-ईसाई सब एक हैं. यही वजह है कि जयपुर में भी मकर संक्रांति पर सभी घरों की छतों से एक स्वर में वो काटा-वो मारा का शोर गुंजायमान होता है.