ETV Bharat / city

Devshayani Ekadashi 2022: 4 महीने योग निद्रा में रहेंगे भगवान विष्णु, नहीं होंगे मांगलिक कार्य - Jaipur Latest News

मांगलिक कार्यों पर 10 जुलाई से 4 नवंबर तक रोक लग जाएगी. विवाह सहित सभी तरह के शुभ कार्यों के मुहूर्त में महज 3 दिन बचे हैं. उसके बाद से चातुर्मास की शुरुआत हो जाएगी. बता दें कि चतुर्मास 4 महीनों तक (Devshayani Ekadashi ) चलेंगे.

Devshayani Ekadashi
Devshayani Ekadashi
author img

By

Published : Jul 6, 2022, 2:33 PM IST

जयपुर. 10 जुलाई से 4 नवंबर तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी कहलाती है. मान्यता है कि इस एकादशी से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. चातुर्मास को पूजा पाठ के लिए विशेष तो माना जाता है, लेकिन इस बीच किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित रहता है. माना जाता है कि कार्तिक मास में देव उठनी एकादशी पर जिस दिन भगवान नारायण योग निद्रा से जागते हैं, उसी दिन से मांगलिक (Devshayani Ekadashi 2022) कार्यों की शुरुआत होती है.

विवाह सहित सभी तरह के शुभ कार्यों के मुहूर्त में महज 3 दिन बचे हैं. इस दौरान विवाह से चूकने वाले कुंवारों, गृह प्रवेश और दूसरे मांगलिक कार्य करने वाले लोगों को 4 नवम्बर तक इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि देवशयनी एकादशी के साथ ही 10 जुलाई से मांगलिक कार्य भी पूरी तरह से थम जाएंगे. जिसके चलते चार महीने न तो विवाह होंगे, और ना ही यज्ञोपवीत, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, और गृहप्रवेश होंगे. इन चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं.

चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. आचार्य राजेश्वर के अनुसार चातुर्मास शुरू होते ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंपकर खुद योग निद्रा में चले जाते हैं. माना जाता है कि इन 4 महीनों में प्रकृति, सूर्य, चंद्रमा का तेजस कम हो जाता है. इसी के कारण शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. इन 4 महीनों में शुभ शक्तियों का फल नहीं मिलता है. आचार्य ने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा. ऐसे में जो लोग अब तक कुंवारे हैं, उन्हें अब नवंबर तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत आदि करना चाहते हैं , उन्हें भी नवंबर तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. इस बार नवंबर में चार और दिसंबर (Devshayani Ekadashi 2022) में महज सात ही शुभ मुहूर्त हैं.

पढ़ें. राजस्थानः निर्जला एकादशी पर अब्दुल की पतंगबाजी, एक डोर पर उड़ाई 1000 पतंगें, तीन पीढ़ियां 50 साल से कर रही यह काम

पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बली की सारी संपदा को दो पैरों में नापा, तीसरे पैर के लिए जब उन्होंने भूमि मांगी तो राजा बली ने अपना मस्तक आगे कर दिया. इससे प्रसन्न होकर भगवान ने राजा बलि से वर मांगने को कहा. तब बली ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में चलने की इच्छा प्रकट की. ऐसे में भगवान उनके साथ पाताल लोक चले गए. लक्ष्मी जी ने जब रक्षा सूत्र बांधकर बली से भगवान श्री हरि को वापस मांगा, तब भगवान विष्णु ने बलि को वरदान दिया. भगवान विष्णु का वरदान यह था कि वो 4 महीने तक देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में उनके साथ निवास करेंगे.

जयपुर. 10 जुलाई से 4 नवंबर तक मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाएगी. आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी देवशयनी एकादशी कहलाती है. मान्यता है कि इस एकादशी से जगत के पालनहार भगवान विष्णु चार माह की योग निद्रा के लिए चले जाते हैं. चातुर्मास को पूजा पाठ के लिए विशेष तो माना जाता है, लेकिन इस बीच किसी भी तरह के शुभ काम करना वर्जित रहता है. माना जाता है कि कार्तिक मास में देव उठनी एकादशी पर जिस दिन भगवान नारायण योग निद्रा से जागते हैं, उसी दिन से मांगलिक (Devshayani Ekadashi 2022) कार्यों की शुरुआत होती है.

विवाह सहित सभी तरह के शुभ कार्यों के मुहूर्त में महज 3 दिन बचे हैं. इस दौरान विवाह से चूकने वाले कुंवारों, गृह प्रवेश और दूसरे मांगलिक कार्य करने वाले लोगों को 4 नवम्बर तक इंतजार करना पड़ेगा क्योंकि देवशयनी एकादशी के साथ ही 10 जुलाई से मांगलिक कार्य भी पूरी तरह से थम जाएंगे. जिसके चलते चार महीने न तो विवाह होंगे, और ना ही यज्ञोपवीत, दीक्षाग्रहण, यज्ञ, और गृहप्रवेश होंगे. इन चार महीनों को चातुर्मास कहते हैं.

चातुर्मास में कोई भी शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. आचार्य राजेश्वर के अनुसार चातुर्मास शुरू होते ही सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु धरती का कार्य भगवान शिव को सौंपकर खुद योग निद्रा में चले जाते हैं. माना जाता है कि इन 4 महीनों में प्रकृति, सूर्य, चंद्रमा का तेजस कम हो जाता है. इसी के कारण शुभ कार्य बंद हो जाते हैं. इन 4 महीनों में शुभ शक्तियों का फल नहीं मिलता है. आचार्य ने बताया कि देवशयनी एकादशी के बाद कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा. ऐसे में जो लोग अब तक कुंवारे हैं, उन्हें अब नवंबर तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. 4 नवंबर को देवउठनी एकादशी तक कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा. उन्होंने कहा कि जो लोग गृह प्रवेश, यज्ञोपवीत आदि करना चाहते हैं , उन्हें भी नवंबर तक प्रतीक्षा करनी पड़ेगी. इस बार नवंबर में चार और दिसंबर (Devshayani Ekadashi 2022) में महज सात ही शुभ मुहूर्त हैं.

पढ़ें. राजस्थानः निर्जला एकादशी पर अब्दुल की पतंगबाजी, एक डोर पर उड़ाई 1000 पतंगें, तीन पीढ़ियां 50 साल से कर रही यह काम

पौराणिक मान्यता है कि जब भगवान विष्णु ने वामन अवतार लेकर दैत्यराज बली की सारी संपदा को दो पैरों में नापा, तीसरे पैर के लिए जब उन्होंने भूमि मांगी तो राजा बली ने अपना मस्तक आगे कर दिया. इससे प्रसन्न होकर भगवान ने राजा बलि से वर मांगने को कहा. तब बली ने भगवान विष्णु को अपने साथ पाताल लोक में चलने की इच्छा प्रकट की. ऐसे में भगवान उनके साथ पाताल लोक चले गए. लक्ष्मी जी ने जब रक्षा सूत्र बांधकर बली से भगवान श्री हरि को वापस मांगा, तब भगवान विष्णु ने बलि को वरदान दिया. भगवान विष्णु का वरदान यह था कि वो 4 महीने तक देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक पाताल लोक में उनके साथ निवास करेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.