जोधपुर. जिले में पहले जैसलमेर से लगते इलाके में टिड्डी का हमला हुआ था. अब जिले के बाड़मेर से लगती लूणी तहसील के एक क्षेत्र में सोमवार रात से टिड्डी दल की आंख मिचौली चल रही है. कभी टिड्डियां हवा के साथ जोधपुर के लूणी में घुस जाती हैं तो कभी बाड़मेर के गांवों में.
बता दें कि लूणी के धुंधाड़ा भानवास के साथ बाड़मेर के अजीत गांव के खेतों पर टिड्डी मंडराती नजर आ रही हैं. इसके अलावा जगह-जगह अधमरी टिड्डियों के ढेर नजर आ रहे हैं. रातभर में टिड्डियों ने इलाके में बोई गई जीरे की फसल को भी चट कर दिया. बता दें कि जीरे की महंगी फसल होने से सबसे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.
सरकारी कीटनाशक नहीं हो रहे कारगर साबित...
खास बात यह है कि सरकारी कीटनाशक भी पूरी तरह से कारगर साबित नहीं हो रहा है. टिड्डियों से बचने के लिए किसान टायर जला कर धुंआ कर रहे हैं. इसके अलावा खेतों में म्यूजिक सिस्टम की गूंज सुनाई दे रही है जो कि सामान्यतः जागरण में लगाए जाते हैं. वहीं कईं जगहों पर कनस्तर, थाली, बाजे बजाते पूरे परिवार नजर आ रहे हैं, जिनकी पीड़ा है कि खेत चट हो रहे हैं कुछ बच जाए तो जीवन चल जाएगा.
टिड्डी दल की सूचना जोधपुर कलेक्टर को मिलने के बाद उन्होंने लूणी एसडीएम गोपाराम परिहार को सीमावर्ती इलाके में भेज दिया है. परिहार के साथ तहसीलदार, कृषि अधिकारी और टिड्डी नियंत्रण विभाग के कर्मचारी तैनात हैं, लेकिन इनके संसाधन सीमित हैं.
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टिड्डी से प्रभावित इलाके के किसानों की मांग है कि सरकार उन्हें मुआवजा दें और जो खर्चा उन्होंने टिड्डियों से निपटने में किया है और जो लगातार उनकी फसल खराब हुई है, उसके लिए गिरदावरी करवाई जाए.
इन फसलों को हुआ नुकसान...
वहीं इलाके में जीरा, इसबगोल और अरंडी की फसल को बड़ा नुकसान हुआ है. एक अनुमान के मुताबिक जिले में करीब 50 हजार से अधिक बीघा की फसल टिड्डियां चट कर चुकी हैं.