ETV Bharat / city

जून महीने में भी हो सकता है टिड्डियों का हमला, अंडे देने वाले स्थानों पर रखनी होगी विशेष नजर

author img

By

Published : Jun 2, 2020, 4:54 AM IST

जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में सोमवार को जयपुर में टिड्डियों के हमले के कारणों, आने वाले समय में इन हमलों की गंभीरता जैसे विषयों पर मंथन और उनके प्रकोप से निपटने की रणनीति पर चर्चा की गई. कलेक्ट्रेट में हुई बैठक के दौरान यह बात भी सामने आई कि जून में टिड्डियों का हमला और भी हो सकता है.

Drug spraying on sand soils, Locust laying eggs
जयपुर कलेक्ट्रेट में बैठक

जयपुर. जयपुर में मई के दूसरे सप्ताह में करीब 26 साल बाद टिड्डियों का हमला अभी भी जारी है. ये हमला जून में और भी भीषण तौर पर हो सकता है. इससे बचाव के लिए कई स्तर पर तैयारी की जरूरत है. इसमें जयपुर के पड़ोसी और सीमावर्ती जिलों के साथ समंवित योजना की जरूरत होगी.

टिड्डियों के अंडे देने की स्थिति में आने में 10 से 15 दिन ही शेष हैं. इसलिए जिले में सैंडी सॉयल वाले स्थानों पर विशेष नजर भी रखनी होगी. साथ ही टिड्डियों के खात्मे के लिए उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों की भी अपने नुकसान है. इसे देखते हुए दवा के निर्धारित मात्रा का ही उपयोग किया जाना चाहिए.

जयपुर कलेक्ट्रेट में बैठक

ये बातें जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में सोमवार को टिड्डियों के हमले के कारणों, आने वाले समय में इन हमलों की गंभीरता जैसे विषयों पर मंथन के दौरान सामने आई. कलेक्ट्रेट में टिड्डियों के प्रकोप से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा की गई. इस बैठक में कीट विज्ञानियों, कीट विज्ञान से जुड़े शिक्षाविदों, कृषि, पशुपालन एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया. इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला कलेक्टर उत्तर बीरबल सिंह ने की.

पढ़ें- चूरू: जिम्मेदारों की लापरवाही ले सकती थी कई लोगों की जान, शहर के मुख्य बाजार में गिरी हवेली

बैठक में उप निदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद बीआर कड़वा ने जिले में टिड्डियों के अब तक हुए हमलों के पैटर्न और उनके नियंत्रण के प्रयासों की जानकारी दी. प्रोफेसर और हेड कीट विज्ञान आरएआरआई दुर्गापुरा, डॉ. ए एस बलौदा का कहना था कि टिड्डियों के स्वार्म से निपटने के लिए दवाओं के उपयोग के अलावा कोई विकल्प अभी नहीं है. लेकिन दवाओं की मात्रा विशेषज्ञों के निर्देशन में ही डाली जानी चाहिए.

जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डियां जल्दी अंडे देने की स्थिति में आ जाएंगी और जयपुर में चौमू, जोबनेर, विराटनगर, जयपुर में सैंडी सॉयल के स्थानों पर नजर रखनी होगी. अगर ऐसा हुआ तो इन अंडों से निकला निम्फ (फाका) खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

टिड्डियों के रंग बदलने से उनके मैच्योर होने का पता चल जाएगा

विशेषज्ञ का मानना था कि जिस जगह टिड्डी स्वार्म के खात्मे के लिए कीटनाशक छिड़के जाएं, वहां कम से कम 10 दिन पशुओं को चराना चाहिए. अन्यथा कीटनाशक जनसंख्या में शामिल हो सकते हैं. सहायक निदेशक एलडब्यूओ जयपुर सी एस रानावत का कहना था कि टिड्डी स्वार्म नियंत्रण में अधिकतम सफलता के लिए सुबह 3:00 से 8:00 के बीच में इनके खात्मे के लिए ऑपरेशन किया जाना चाहिए.

पढ़ें- रोडवेज बसों को सभी जिलों से जोड़ने की कवायद शुरू, 3 जून से 100 नए मार्गों पर चलेगी बसें

इसी कड़ी में जोबनेर कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर और अध्यक्ष कीट विभाग केसी कुमावत ने टिड्डी के लाइफ साइकिल के बारे में जानकारी दी. इसके बारे में किसानों को अधिक से अधिक जानकारी देने की जरूरत बताई ताकि फसलों को बचाया जा सके और मूवमेंट की जानकारी मिल सके. उन्होंने बताया कि दिन बड़े होने के कारण टिड्डी अब ज्यादा देर उड़ रही है.

हवा के पैटर्न के कारण सभी बार-बार जयपुर की ओर आ रही हैं. सभी विशेषज्ञ इस बात पर एकमत थे कि जून में टिड्डियों का प्रकोप बढ़ सकता है. इससे निपटने के लिए राज्य स्तर पर योजना और मॉनिटरिंग की जरूरत है. अतिरिक्त जिला कलेक्टर बीरबल सिंह ने बताया कि सभी विशेषज्ञ टिड्डियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए सुझाव देंगे और ब्लॉक लेवल समितियों को प्रशिक्षित करेंगे. साथ ही किसानों और पशुपालकों के लिए जल्द एडवाइजरी बनाकर जिला प्रशासन को सौंपेंगे.

जयपुर. जयपुर में मई के दूसरे सप्ताह में करीब 26 साल बाद टिड्डियों का हमला अभी भी जारी है. ये हमला जून में और भी भीषण तौर पर हो सकता है. इससे बचाव के लिए कई स्तर पर तैयारी की जरूरत है. इसमें जयपुर के पड़ोसी और सीमावर्ती जिलों के साथ समंवित योजना की जरूरत होगी.

टिड्डियों के अंडे देने की स्थिति में आने में 10 से 15 दिन ही शेष हैं. इसलिए जिले में सैंडी सॉयल वाले स्थानों पर विशेष नजर भी रखनी होगी. साथ ही टिड्डियों के खात्मे के लिए उपयोग किए जाने वाले कीटनाशकों की भी अपने नुकसान है. इसे देखते हुए दवा के निर्धारित मात्रा का ही उपयोग किया जाना चाहिए.

जयपुर कलेक्ट्रेट में बैठक

ये बातें जयपुर जिला कलेक्ट्रेट में सोमवार को टिड्डियों के हमले के कारणों, आने वाले समय में इन हमलों की गंभीरता जैसे विषयों पर मंथन के दौरान सामने आई. कलेक्ट्रेट में टिड्डियों के प्रकोप से निपटने की रणनीति पर भी चर्चा की गई. इस बैठक में कीट विज्ञानियों, कीट विज्ञान से जुड़े शिक्षाविदों, कृषि, पशुपालन एवं जिला प्रशासन के अधिकारियों ने भाग लिया. इस बैठक की अध्यक्षता अतिरिक्त जिला कलेक्टर उत्तर बीरबल सिंह ने की.

पढ़ें- चूरू: जिम्मेदारों की लापरवाही ले सकती थी कई लोगों की जान, शहर के मुख्य बाजार में गिरी हवेली

बैठक में उप निदेशक कृषि विस्तार जिला परिषद बीआर कड़वा ने जिले में टिड्डियों के अब तक हुए हमलों के पैटर्न और उनके नियंत्रण के प्रयासों की जानकारी दी. प्रोफेसर और हेड कीट विज्ञान आरएआरआई दुर्गापुरा, डॉ. ए एस बलौदा का कहना था कि टिड्डियों के स्वार्म से निपटने के लिए दवाओं के उपयोग के अलावा कोई विकल्प अभी नहीं है. लेकिन दवाओं की मात्रा विशेषज्ञों के निर्देशन में ही डाली जानी चाहिए.

जोबनेर कृषि विश्वविद्यालय के विशेषज्ञों का कहना है कि टिड्डियां जल्दी अंडे देने की स्थिति में आ जाएंगी और जयपुर में चौमू, जोबनेर, विराटनगर, जयपुर में सैंडी सॉयल के स्थानों पर नजर रखनी होगी. अगर ऐसा हुआ तो इन अंडों से निकला निम्फ (फाका) खरीफ की फसलों को नुकसान पहुंचा सकता है.

टिड्डियों के रंग बदलने से उनके मैच्योर होने का पता चल जाएगा

विशेषज्ञ का मानना था कि जिस जगह टिड्डी स्वार्म के खात्मे के लिए कीटनाशक छिड़के जाएं, वहां कम से कम 10 दिन पशुओं को चराना चाहिए. अन्यथा कीटनाशक जनसंख्या में शामिल हो सकते हैं. सहायक निदेशक एलडब्यूओ जयपुर सी एस रानावत का कहना था कि टिड्डी स्वार्म नियंत्रण में अधिकतम सफलता के लिए सुबह 3:00 से 8:00 के बीच में इनके खात्मे के लिए ऑपरेशन किया जाना चाहिए.

पढ़ें- रोडवेज बसों को सभी जिलों से जोड़ने की कवायद शुरू, 3 जून से 100 नए मार्गों पर चलेगी बसें

इसी कड़ी में जोबनेर कृषि महाविद्यालय के प्रोफेसर और अध्यक्ष कीट विभाग केसी कुमावत ने टिड्डी के लाइफ साइकिल के बारे में जानकारी दी. इसके बारे में किसानों को अधिक से अधिक जानकारी देने की जरूरत बताई ताकि फसलों को बचाया जा सके और मूवमेंट की जानकारी मिल सके. उन्होंने बताया कि दिन बड़े होने के कारण टिड्डी अब ज्यादा देर उड़ रही है.

हवा के पैटर्न के कारण सभी बार-बार जयपुर की ओर आ रही हैं. सभी विशेषज्ञ इस बात पर एकमत थे कि जून में टिड्डियों का प्रकोप बढ़ सकता है. इससे निपटने के लिए राज्य स्तर पर योजना और मॉनिटरिंग की जरूरत है. अतिरिक्त जिला कलेक्टर बीरबल सिंह ने बताया कि सभी विशेषज्ञ टिड्डियों के प्रभावी नियंत्रण के लिए सुझाव देंगे और ब्लॉक लेवल समितियों को प्रशिक्षित करेंगे. साथ ही किसानों और पशुपालकों के लिए जल्द एडवाइजरी बनाकर जिला प्रशासन को सौंपेंगे.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.