ETV Bharat / state

अगर आपके बच्चे में भी दिख रहे ये लक्षण तो हो जाएं अलर्ट, तुरंत लें डॉक्टर की सलाह - CANCER AWARENESS

अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस हर साल 15 फरवरी को मनाया जाता है. जानिए बच्चों में कैंसर के लक्षण, पहचान और चिकित्सा के बारे में..

अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस
अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस (ETV Bharat Symbolic)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 15, 2025, 12:42 PM IST

Updated : Feb 15, 2025, 1:14 PM IST

जयपुर : अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस का मकसद इस जानलेवा बीमारी के खात्मे के लिए जागरूक करना है. अगर वक्त पर इलाज की शुरुआत हो तो बच्चों को कैंसर मुक्त करना आसान है. आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी से ज्यादा बाल कैंसर रोगी उसे हराकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा के मुताबिक बच्चों में होने वाले कैंसर कई तरह की चुनौतियों के साथ आते हैं. कई बार हम देखते हैं कि बच्चों में भूख न लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना, वजन कम होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं. यह लक्षण बच्चों में होने वाले कैंसर को बताते हैं. वक्त पर जांच और इलाज की शुरुआत से बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा सकता है. आम तौर पर महंगे इलाज का डर, देर से पहचान और जागरूकता की कमी इस बीमारी को बढ़ा देती है. बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं. ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए खास तरह की चिकित्सा की जरूरत होती है.

अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस विशेष (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को कैंसर का टीका बनाने की मिली अनुमति, बना देश का पहला मेडिकल कॉलेज

लक्षणों की पहचान है जरूरी : सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत शर्मा के मुताबिक बच्चों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डियों का कैंसर) है. इन बच्चों में होनी सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है. डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के कई लक्षण हैं, जिनमें अत्यधिक थकान और कमजोरी, लगातार बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, आंखों की रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना शामिल है. अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

कैंसर के लक्षण
कैंसर के लक्षण (ETV Bharat GFX)

आनुवंशिक कारक है प्रमुख : बच्चों में होने वाले कैंसर का कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है. इनमें आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारणों से रेडिएशन, प्रदूषण और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने और प्रतिरक्षा प्रणाली (डिफेंस सिस्टम) की गड़बड़ी भी शामिल है. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के मुताबिक भारत में 26 हजार 16 कैंसर रोगी की पहचान हर साल हो रही है. राजस्थान में भी हर साल सैकड़ों की संख्या में नए कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है.

पढ़ें. चौंकाने वाली स्टडी : धूम्रपान के अलावा इस कारण भी हो सकता है लंग्स कैंसर

चुनिंदा ब्लड-किडनी कैंसर का मुफ्त इलाज संभव : डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है. इसमें जीवनदान परियोजना की शुरुआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया (AMPL), होजकिन्स लिम्फोमा (HL) शामिल हैं. अगस्त 2014 से दिसंबर 2024 तक इस योजना में 9.71 करोड़ रुपए की लागत से 261 बच्चों को इलाज दिया जा रहा है. इनमें से 161 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है. मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 18 बच्चें रजिस्टर्ड हुए हैं, जिन्हें 27.22 लाख रुपए की लागत का उपचार देकर सभी बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा चुका है.

जयपुर : अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस का मकसद इस जानलेवा बीमारी के खात्मे के लिए जागरूक करना है. अगर वक्त पर इलाज की शुरुआत हो तो बच्चों को कैंसर मुक्त करना आसान है. आंकड़े बताते हैं कि 80 फीसदी से ज्यादा बाल कैंसर रोगी उसे हराकर सामान्य जीवन जी रहे हैं.

जयपुर के भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल और रिसर्च सेंटर के कैंसर रोग विशेषज्ञ डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा के मुताबिक बच्चों में होने वाले कैंसर कई तरह की चुनौतियों के साथ आते हैं. कई बार हम देखते हैं कि बच्चों में भूख न लगना, बार-बार इन्फेक्शन होना, वजन कम होना जैसे लक्षण देखे जाते हैं. यह लक्षण बच्चों में होने वाले कैंसर को बताते हैं. वक्त पर जांच और इलाज की शुरुआत से बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा सकता है. आम तौर पर महंगे इलाज का डर, देर से पहचान और जागरूकता की कमी इस बीमारी को बढ़ा देती है. बच्चों में होने वाले कैंसर वयस्कों के कैंसर से अलग होते हैं. ये आमतौर पर तेजी से विकसित होते हैं और इनके इलाज के लिए खास तरह की चिकित्सा की जरूरत होती है.

अंतरराष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस विशेष (ETV Bharat Jaipur)

पढे़ं. महात्मा गांधी मेडिकल कॉलेज को कैंसर का टीका बनाने की मिली अनुमति, बना देश का पहला मेडिकल कॉलेज

लक्षणों की पहचान है जरूरी : सर्जिकल ऑन्कोलॉजिस्ट डॉक्टर प्रशांत शर्मा के मुताबिक बच्चों में सबसे ज्यादा पाए जाने वाले कैंसर में ल्यूकेमिया (ब्लड कैंसर), ब्रेन ट्यूमर, लिम्फोमा, न्यूरोब्लास्टोमा, विल्म्स ट्यूमर (किडनी कैंसर), रेटिनोब्लास्टोमा, ऑस्टियो सारकोमा और इविंग सारकोमा (हड्डियों का कैंसर) है. इन बच्चों में होनी सर्जरी भी बहुत चुनौतीपूर्ण होती है. डॉ प्रशांत शर्मा ने बताया कि बच्चों में कैंसर के कई लक्षण हैं, जिनमें अत्यधिक थकान और कमजोरी, लगातार बुखार रहना, असामान्य वजन घटना, हड्डियों या जोड़ों में दर्द, बार-बार संक्रमण होना, शरीर पर असामान्य सूजन या गांठ, आंखों की रोशनी में गिरावट या सफेद चमक दिखना शामिल है. अगर ये लक्षण लंबे समय तक बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए.

कैंसर के लक्षण
कैंसर के लक्षण (ETV Bharat GFX)

आनुवंशिक कारक है प्रमुख : बच्चों में होने वाले कैंसर का कोई एक स्पष्ट कारक नहीं है, लेकिन कुछ संभावित कारणों पर शोध किया गया है. इनमें आनुवंशिक कारक, पर्यावरणीय कारणों से रेडिएशन, प्रदूषण और जहरीले रसायनों के संपर्क में आने और प्रतिरक्षा प्रणाली (डिफेंस सिस्टम) की गड़बड़ी भी शामिल है. ग्लोबल कैंसर ऑब्जर्वेटरी 2022 के मुताबिक भारत में 26 हजार 16 कैंसर रोगी की पहचान हर साल हो रही है. राजस्थान में भी हर साल सैकड़ों की संख्या में नए कैंसर रोगियों की पहचान हो रही है.

पढ़ें. चौंकाने वाली स्टडी : धूम्रपान के अलावा इस कारण भी हो सकता है लंग्स कैंसर

चुनिंदा ब्लड-किडनी कैंसर का मुफ्त इलाज संभव : डॉक्टर उपेन्द्र शर्मा ने बताया कि उनके अस्पताल में बच्चों के कैंसर से जुड़ी दो परियोजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत बच्चों का मुफ्त इलाज किया जाता है. इसमें जीवनदान परियोजना की शुरुआत के तहत लो रिस्क वाले तीन तरह के ब्लड कैंसर एक्यूट लिम्फोब्लास्टिक ल्यूकेमिया (ALL), एक्यूट प्रोमाइलोसाइटिक ल्यूकेमिया (AMPL), होजकिन्स लिम्फोमा (HL) शामिल हैं. अगस्त 2014 से दिसंबर 2024 तक इस योजना में 9.71 करोड़ रुपए की लागत से 261 बच्चों को इलाज दिया जा रहा है. इनमें से 161 बच्चे कैंसर मुक्त होकर सामान्य जीवन जी रहे हैं. इसी के साथ किडनी कैंसर से पीड़ित बच्चों के लिए विल्मस टयूम नाम से परियोजना चल रही है. मई 2016 में शुरू हुई इस परियोजना के तहत अब तक 18 बच्चें रजिस्टर्ड हुए हैं, जिन्हें 27.22 लाख रुपए की लागत का उपचार देकर सभी बच्चों को कैंसर मुक्त किया जा चुका है.

Last Updated : Feb 15, 2025, 1:14 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.