जयपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने पशुधन सहायक भर्ती-2013 में अदालती आदेश से वर्ष 2017 में नियुक्त हुए अभ्यर्थियों को पूर्व में चयनित पशुधन सहायकों के समान वरिष्ठता और अन्य नोशनल परिलाभ देने के आदेश दिए हैं. न्यायाधीश दिनेश मेहता की एकलपीठ ने यह आदेश मुकेश और अन्य की याचिका पर दिए.
याचिका में अधिवक्ता रामप्रताप सैनी ने अदालत को बताया कि पशुधन सहायक भर्ती-2013 में राज्य सरकार ने महिलाओं को तय पदों से अधिक पर नियुक्ति दे दी थी. जिसके चलते याचिकाकर्ताओं को नियुक्ति से वंचित रहना पड़ा था. वहीं याचिकाकर्ताओं को हाईकोर्ट के आदेश से वर्ष 2017 में नियुक्ति दी गई.
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याचिका में कहा गया कि एक ही भर्ती में पूर्व में चयनित अभ्यर्थियों से याचिकाकर्ताओं को वरिष्ठता सहित अन्य परिलाभों से वंचित रहना पड़ रहा है. जबकि यदि महिला आरक्षण की सही गणना की जाती तो उन्हें भी पूर्व में नियुक्ति मिल जाती. ऐसे में याचिकाकर्ताओं को पूर्व में चयनित अन्य अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और परिलाभ दिलाए जाएं. जिस पर सुनवाई करते हुए एकलपीठ ने याचिकाकर्ताओं को अन्य चयनित अभ्यर्थियों के समान वरिष्ठता और परिलाभ देने को कहा है.
शिक्षा सचिव और निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी
राजस्थान सिविल सेवा अपीलीय अधिकरण ने सीनियर टीचर की वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ताओं को दूसरे कनिष्ठ शिक्षकों से नीचे रखने पर शिक्षा सचिव और निदेशक सहित अन्य को नोटिस जारी किए हैं. इसके साथ ही अदालत ने आगामी डीपीसी में याचिकाकर्ताओं को शामिल करने को कहा है. अधिकरण ने यह आदेश अशोक कुमार और अन्य की अपील पर दिए.
अपील में अधिवक्ता सुनील सिंगोदिया ने अधिकरण को बताया कि शिक्षा विभाग ने उदयपुर संभाग के वरिष्ठ अध्यापकों की पदोन्नति के लिए हाल ही में जारी वरिष्ठता सूची में याचिकाकर्ता शिक्षकों को दूसरे जूनियर शिक्षकों के नीचे स्थान दिया है. जबकि पूर्व की सूची में याचिकाकर्ताओं को उच्च स्थान पर जगह दी गई थी. जिसके चलते उन्हें डीपीसी से वंचित किया जा रहा है.
इस संबंध में याचिकाकर्ताओं ने विभाग में शिकायत भी पेश की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. जिस पर सुनवाई करते हुए अधिकरण ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी करते हुए याचिकाकर्ताओं को आगामी डीपीसी में शामिल करने को कहा है.