बांसवाड़ा: भारतीय जनता पार्टी का नया जिलाध्यक्ष अधिवक्ता पुंजीलाल गायरी को चुना गया. गायरी घाटोल क्षेत्र के रहने वाले हैं. मंत्री सुमित गोदारा और निर्वाचन अधिकारी मोतीलाल मीणा ने 100 से ज्यादा पार्टी पदाधिकारियों की बैठक के दौरान मंगलवार शाम को उनके नाम की घोषणा की. जबकि, पार्टी सूत्रों के अनुसार जिन 7 पदाधिकारियों ने नामांकन दाखिल किया था.
उदयपुर रोड स्थित पार्टी कार्यालय में मंगलवार शाम करीब 3 बजे जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए बैठक रखी गई. बैठक में केवल पार्टी पदाधिकारी मौजूद थे. करीब 20 मिनट के बाद भाजपा जिलाध्यक्ष के रूप में पुंजीलाल गायरी के नाम की घोषणा की गई. मंत्री गोदारा, निर्वाचन अधिकारी के साथ ही वर्तमान और पूर्व विधायकों ने गायरी का माला पहना कर स्वागत किया. इसके बाद गायरी को जिलाध्यक्ष के चैंबर में कुर्सी सौंपी गई. गायरी ने कहा कि पार्टी की रीति और नीति से काम किया जाएगा. आने वाले दिनों में पंचायत राज के चुनाव हैं, इनमें पार्टी को जिताया जाएगा.
मंत्री गोदारा से सवाल-जवाब
सवाल- जिला अध्यक्ष की नियुक्ति मनोनयन है या निर्वाचन?
मंत्री- निश्चित रूप से यह निर्वाचन है.
सवाल- बंद कमरे में निर्वाचन कब से होने लगे?
मंत्री- सब हो रहे हैं. यही तो पार्टी की रीति है. उसी के अनुसार निर्वाचन किया गया है. पार्टी के समर्पित कार्यकर्ता पुंजीलाल गायरी को जिलाध्यक्ष बनाया गया है. हर संगठन में काम किया है. लंबा अनुभव है.
सवाल- जिले के कुल 27 मंडल में से 16 को ही नए मंडल अध्यक्ष मिले हैं.
मंत्री- पार्टी का नियम है कि 50 प्रतिशत से अधिक मंडल अध्यक्ष बनते ही जिलाध्यक्ष का निर्वाचन हो जाता है.
सवाल- बताया तो यह भी गया था कि जिलाध्यक्ष के निर्वाचन के लिए 16 मंडल अध्यक्ष प्रस्तावक होने चाहिए.
जवाब- सारे प्रस्तावक थे, पार्टी के नियम के अनुसार काम हुआ है. विधि अनुसार काम हुआ है. सबसे श्रेष्ठ को जिलाध्यक्ष बनाया गया.
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दिल छोटा नहीं करो: पार्टी कार्यालय से निकलते हुए गोदारा ने लाभचंद्र पटेल को पास बुलाया, तो वह थोड़े भावुक हो गए. ऐसे में गोदारा ने कहा कि यह पार्टी है. आप तो पार्टी की सेवा करो. इससे भी आगे जाओगे. जबकि अपने आखरी संबोधन में पटेल ने कहा था कि पार्टी से हमेशा जुड़ा रहूंगा. मुझे जिलाध्यक्ष बनाएं या नहीं. साथ ही भरोसा दिलाया था कि जिस को भी अध्यक्ष बनाया जाएगा, उसी के साथ रहेंगे.
मंच पर भी नहीं थे गायरी: भाजपा कार्यालय के हॉल में मीटिंग हुई. इसके मंच पर करीब 20 पदाधिकारी बैठे थे. इनमें कहीं पर भी गायरी नजर नहीं आए. हालांकि बैठक के बाद तस्वीर ही बदल गई. गायरी के निर्वाचन होने के कुछ ही समय में पूर्व मंत्री मालविया और धनसिंह ने पार्टी कार्यालय छोड़ दिया. जबकि हकरू मईड़ा और उनके साथ ही काफी देर तक कार्यालय में जश्न मनाते नजर आए.