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जयपुरः 1885 किमी का हुआ विद्युतीकरण, इसमें से 500 किलोमीटर पर ही दौड़ रही इलेक्ट्रिक ट्रेन

रेलवे की ओर से उत्तर पश्चिम रेलवे में पिछले कुछ समय से रेलवे ट्रैक पर बिजली के तार बिछाने का काम किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में प्रदेश में अभी करीब 500 किलोमीटर में ही इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जा रही है.

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1885 किमी का हुआ विद्युतीकरण
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Published : Mar 5, 2021, 7:11 PM IST

जयपुर. रेलवे की ओर से उत्तर पश्चिम रेलवे में पिछले कुछ समय से रेलवे ट्रैक पर बिजली के तार बिछाने का काम किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में प्रदेश में अभी करीब 500 किलोमीटर में ही इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जा रही है. बता दें कि हकीकत में रेलवे अधिकारी इन दिनों काम को पूरा करने और ट्रेन चलाने में कम और रेल मंत्री और सीआरबी कि गुड्स बुक में नाम शामिल करने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

पढ़ेंः सीएम अशोक गहलोत ने लगवाई कोरोना वैक्सीन, कहा- राजस्थान ने वैक्सीन लगवाने में रचा इतिहास

ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान में 5493 किलोमीटर क्षेत्रफल में पहले रेलवे ट्रैक पर 1885 किलोमीटर ट्रैक पर विद्युतीकरण तो कर लिया गया है, लेकिन अभी ट्रेन को महज 500 किलोमीटर में ही चलाया जा रहा है. जबकि साल 2019 में यह महज 200 किलोमीटर ट्रैक पर दौड़ रही थी. बता दें कि बस 19 सितंबर 2019 में उत्तर पश्चिम रेलवे के अपर महाप्रबंधक एसके अग्रवाल ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से इलेक्ट्रिफिकेशन को लेकर कई सवाल जवाब किए थे.

जिसमें अधिकारियों ने उन्हें इलेक्ट्रिक किए जा चुके रूट की जानकारी भी दी थी. इस पर अग्रवाल ने सभी को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए थे, कि से जुड़े काम तय समय सीमा में पूरा करने के साथ किए जा चुके इलेक्ट्रीफाइड रूट पर ट्रेनों का संचालन शुरू करने की परेशानी आती है. तो उसे उच्च अधिकारी का तबादला हो चुका है और रेलवे के अधिकारियों को बताए.

अलग संगठन है फिर भी काम दूसरे कोः

करीब 10 साल पहले देश भर में इलेक्ट्रिक फिकेशन के काम को मैं तेजी लाने के लिए केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन एक कमेटी बनाई गई थी. जिसका मुख्यालय इलाहाबाद रखा गया था, लेकिन पिछले कुछ समय से इन कार्य में कोर के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आने से काम रेलवे के पीएसयू को भी दिया गया है.

पढ़ेंः जयपुर ग्रेटर निगम की रद्द समितियों को लेकर अग्रिम आदेश नहीं देगी राज्य सरकार

जिसमें इरकॉन, आरवीएनएल, रेलवे का कंस्ट्रक्शन विभाग सहित अन्य शामिल है. इन एजेंसियों के शामिल हो जाने से अलग-अलग रेल ट्रैक पर काम पूरा होने के बाद भी तकनीकी कारणों के चलते ट्रेन नहीं चलाई जा सकती है. रेलवे बोर्ड के अलावा और इन एजेंसियों को देरी होने के बाद भी कुछ नहीं कहा जा सकता. रेल के अधिकारियों की माने एक कार्य में देरी की एक यह भी वजह है.

दिल्ली की ओर से पश्चिमी राजस्थान में अगले 3 साल में रेलवे ट्रैक पर बिजली के तार बिछाने का काम पूरा कर लिया जाएगा रेलवे ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है. केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन के पी एल मीणा ने बताया कि जयपुर प्रोजेक्ट के बिर्ध्वाल लालगढ़ फलोदी जैसलमेर भगत की कोठी और भगत की कोठी बीड़ी के बीच ट्रैक का इलेक्ट्रिक की सैनिक किया जाएगा कोर्ट ने इसे पूरा करने की जिम्मेदारी l&t को सौंप दी है. कंपनी अगले माह से यहां पर कार्य भी शुरू कर देगी.

जयपुर. रेलवे की ओर से उत्तर पश्चिम रेलवे में पिछले कुछ समय से रेलवे ट्रैक पर बिजली के तार बिछाने का काम किया जा रहा है, लेकिन वास्तविकता में प्रदेश में अभी करीब 500 किलोमीटर में ही इलेक्ट्रिक ट्रेनें चलाई जा रही है. बता दें कि हकीकत में रेलवे अधिकारी इन दिनों काम को पूरा करने और ट्रेन चलाने में कम और रेल मंत्री और सीआरबी कि गुड्स बुक में नाम शामिल करने में ज्यादा ध्यान दे रहे हैं.

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ऐसा इसलिए क्योंकि राजस्थान में 5493 किलोमीटर क्षेत्रफल में पहले रेलवे ट्रैक पर 1885 किलोमीटर ट्रैक पर विद्युतीकरण तो कर लिया गया है, लेकिन अभी ट्रेन को महज 500 किलोमीटर में ही चलाया जा रहा है. जबकि साल 2019 में यह महज 200 किलोमीटर ट्रैक पर दौड़ रही थी. बता दें कि बस 19 सितंबर 2019 में उत्तर पश्चिम रेलवे के अपर महाप्रबंधक एसके अग्रवाल ने विद्युत विभाग के अधिकारियों से इलेक्ट्रिफिकेशन को लेकर कई सवाल जवाब किए थे.

जिसमें अधिकारियों ने उन्हें इलेक्ट्रिक किए जा चुके रूट की जानकारी भी दी थी. इस पर अग्रवाल ने सभी को फटकार लगाते हुए निर्देश दिए थे, कि से जुड़े काम तय समय सीमा में पूरा करने के साथ किए जा चुके इलेक्ट्रीफाइड रूट पर ट्रेनों का संचालन शुरू करने की परेशानी आती है. तो उसे उच्च अधिकारी का तबादला हो चुका है और रेलवे के अधिकारियों को बताए.

अलग संगठन है फिर भी काम दूसरे कोः

करीब 10 साल पहले देश भर में इलेक्ट्रिक फिकेशन के काम को मैं तेजी लाने के लिए केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन एक कमेटी बनाई गई थी. जिसका मुख्यालय इलाहाबाद रखा गया था, लेकिन पिछले कुछ समय से इन कार्य में कोर के अधिकारियों की मिलीभगत सामने आने से काम रेलवे के पीएसयू को भी दिया गया है.

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जिसमें इरकॉन, आरवीएनएल, रेलवे का कंस्ट्रक्शन विभाग सहित अन्य शामिल है. इन एजेंसियों के शामिल हो जाने से अलग-अलग रेल ट्रैक पर काम पूरा होने के बाद भी तकनीकी कारणों के चलते ट्रेन नहीं चलाई जा सकती है. रेलवे बोर्ड के अलावा और इन एजेंसियों को देरी होने के बाद भी कुछ नहीं कहा जा सकता. रेल के अधिकारियों की माने एक कार्य में देरी की एक यह भी वजह है.

दिल्ली की ओर से पश्चिमी राजस्थान में अगले 3 साल में रेलवे ट्रैक पर बिजली के तार बिछाने का काम पूरा कर लिया जाएगा रेलवे ने इसकी रूपरेखा तैयार कर ली है. केंद्रीय रेल विद्युतीकरण संगठन के पी एल मीणा ने बताया कि जयपुर प्रोजेक्ट के बिर्ध्वाल लालगढ़ फलोदी जैसलमेर भगत की कोठी और भगत की कोठी बीड़ी के बीच ट्रैक का इलेक्ट्रिक की सैनिक किया जाएगा कोर्ट ने इसे पूरा करने की जिम्मेदारी l&t को सौंप दी है. कंपनी अगले माह से यहां पर कार्य भी शुरू कर देगी.

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