जयपुर. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपने बजट पेश करने से पहले सभी वर्गों से सुझाव ले रहे हैं. दूसरे दिन पहले दौर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एनजीओ, सिविल सोसाइटी और उपभोक्ता फोरम के प्रतिनिधियों के साथ संवाद किया. सीएम गहलोत से संवाद के दौरान प्रतिनिधियों ने कई सुझाव रखे हैं. ETV भारत ने विभिन्न संगठनों से खास बात की और जानना चाहा कि आखिर कोरोना के बीच आने वाले इस बजट से क्या खास उम्मीदें हैं...
सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे ने कहा कि सरकार इस बार कोरोना काल के बीच अपना बजट पेश कर रही है. सरकार के सामने वैसे ही आर्थिक संकट है, लेकिन कम पैसे में बेहतर बजट कैसे पेश किया जाए और उस बजट का किस तरह से सदुपयोग हो, इसको लेकर सुझाव दिए जाएंगे. उन्होंने कहा कि जब तक बजट का सही उपयोग नहीं होगा, तब तक उसका लाभ नहीं होगा.
सरकार जवाबदेही कानून की मांग...
निखिल डे ने कहा कि जवाबदेही कानून को लेकर पूर्व में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की थी. लेकिन, अभी तक लागू नहीं हुआ, जबकि उसको लेकर कमेटी बन चुकी है. अलग-अलग दौर की कई बार वार्ता हो चुकी है. यहां तक कमेटी अपनी रिपोर्ट दे चुकी है. इसका ड्राफ्ट तैयार हो चुका है. अब इस बार जो बजट पेश होगा, उसमें उम्मीद की जा सकती है कि सरकार जवाबदेही कानून को लागू करेगी. अगर जवाबदेही कानून लागू होगा, तो अधिकारियों की जवाबदेही तय होगी. किसी भी कार्य को समय पर तरीके से करना, अगर समय पर नहीं करते तो उसका जवाब देना इस कानून के दायरे में आएगा. जिसके जरिए न केवल आम आदमी को, बल्कि सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं को भी गति मिलेगी.
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सड़क सुरक्षा को लेकर सुझाव...
मुस्कान संस्था मैनेजिंग ट्रस्टी प्रमोद भसीन ने कहा कि यह अच्छी बात है. बजट के पूर्व मुख्यमंत्री अलग-अलग संगठनों के साथ में सुझाव ले रहे हैं और संवाद कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि हमारी तरफ से जो प्रमुख सुझाव है, वह है कि प्रदेश की सड़क दुर्घटनाओं में लोगों की मृत्यु हो रही है. उसे किस तरह से कम किया जाए. उन्होंने कहा कि हमने इससे पहले भी सरकार को अपनी ओर से सड़क सुरक्षा पर किए जाने वाले कार्यों को लेकर सुझाव दिए हैं.
प्रमोद भसीन ने कहा कि राजस्थान में हर साल 10,000 से अधिक सड़क दुर्घटनाएं से मौत हो रही है. जरूरत इस बात की सबसे ज्यादा है कि दुर्घटना होने के बाद चिकित्सा व्यवस्था समय पर मिले और इसके लिए जरूरी है कि दुर्घटना स्थल पर 10 मिनट के भीतर एंबुलेंस पहुंचे. इसके साथ ही दुर्घटना से ग्रसित व्यक्ति को शुरुआती 24 घंटे निशुल्क चिकित्सा उपचार दिया जाए. फिर चाहे वह सरकारी अस्पताल हो या प्राइवेट अस्पताल किसी भी तरह के दस्तावेज की डिमांड किए बगैर प्राथमिकता के साथ दुर्घटना से ग्रसित व्यक्ति का इलाज किया जाए.
वहीं, दलित अधिकारों के लिए काम करने वाले सतीश कुमार ने कहा कि राजस्थान में तेलंगाना राज्य की तर्ज पर अनुसूचित जाति जनजाति विशेष विकास और विधि संसाधनों का उपयोग अधिनियम 2021 कानून बनाया जाए. इसके साथ अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति उप योजना के प्रभावी क्रियान्वयन को लेकर मुख्य रूप से सुझाव दिये गए हैं.