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Kishan Bagh desert park project : न्यू ईयर सीजन में नया टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरा किशनबाग रेगिस्तानी थीम पार्क

जयपुर शहर के लोगों के लिए किशनबाग रेगिस्तानी थीम पार्क (First desert park project in Rajasthan) नया टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरा है. यहां भ्रमण के साथ वैज्ञानिक और शैक्षिक अभिरूचि पैदा करने के लिए राजस्थान में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के बलुआ चट्टानों के बनने के बारे में जानकारी और राजस्थान की विषम परिस्थितियों में उगने वाले पौधों की जानकारी लोगों को मिल रही है.

Kishan Bagh desert park project
किशनबाग रेगिस्तानी थीम पार्क
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Published : Jan 1, 2022, 10:35 PM IST

जयपुर. किशनबाग वानिकी परियोजना रेतीले टीले, चट्टानें, जीव जंतु, रेगिस्तानी वनस्पति का अध्ययन केंद्र के साथ-साथ इस न्यू ईयर सीजन में बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरा है. जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से हाल ही में बनाए गए इस रेगिस्तानी थीम पार्क (Desert Park in Vidhyadhar Nagar Jaipur) को बड़ी संख्या में लोग निहारने पहुंचे. इस परियोजना की कैपेसिटी 300 से 400 पर्यटकों की है. लेकिन साल के पहले दिन यहां 1300 से ज्यादा विजिटर्स पहुंचे.

राजधानी में इस बार पर्यटकों को एक नए टूरिस्ट स्पॉट ने अपनी ओर आकर्षित किया. नाहरगढ़ की तलहटी में प्राकृतिक रूप से बने रेत की टीलों के रूप में अनुपयोगी पड़ी जेडीए की जमीन पर किशनबाग (JDA project in Kishan Bagh) के धोरें विकसित किया गया है. यहां पर्यटकों को धरती पर ऑक्सीजन कैसे आई? अरावली की पहाड़ियों में उगने वाले धोक के पेड़ों का क्या इतिहास है? रेत से पत्थर बनने में कितने साल लगे? ऐसे कई सवालों के जवाब मिले.

पढ़ें: Kota Education City: कोटा बनी इंजीनियरिंग और मेडिकल एंट्रेंस की टॉपर्स फैक्ट्री, 21 सालों में दिए 16 ऑल इंडिया टॉपर्स

लोगों ने बताया कि ये एक सामान्य प्रकार का शहरी उद्यान नहीं है. बल्कि यहां जीव जन्तुओं के प्राकृतिक वास को सुरक्षित कर संधारित किया गया. यहां भ्रमण के साथ वैज्ञानिक और शैक्षिक अभिरूचि पैदा करने के लिए राजस्थान में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के बलुआ चट्टानों के बनने के बारे में जानकारी और राजस्थान की विषम परिस्थितियों में उगने वाले पौधों की जानकारी भी मिली. यहां विभिन्न लोकेशन पर पर्यटक सेल्फी लेते भी नजर आए.

पढ़ें: New Year Celebration In Jaipur : विशेष और जरूरतमंद बच्चों के साथ कुछ ऐसे मनाया नया साल

आपको बता दें कि जेडीए ने इस परियोजना में 64.30 हेक्टर भूमि पर विकास कार्य किया गया. तीन साल में कुल 51.6 हेक्टर क्षेत्रफल में अरावली और मरुस्थल क्षेत्र में पाये जाने वाले वनस्पति और घास की विभिन्न प्रजातियों के बीजारोपण/पौधारोपण कार्य संपादित कर उपचारित/विकसित किया जा चुका है. यहां विभिन्न रेगिस्तानी वनस्पति प्रजातियों के लगभग 7 हजार पेड़ लगाए गए हैं. परियोजना की विशेष प्रकृति को देखते हुए परियोजना के संधारण और प्रबन्धन के कार्य के लिए मैसर्स राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क सोसायटी इसका काम देखेगी.

जयपुर. किशनबाग वानिकी परियोजना रेतीले टीले, चट्टानें, जीव जंतु, रेगिस्तानी वनस्पति का अध्ययन केंद्र के साथ-साथ इस न्यू ईयर सीजन में बड़ा टूरिस्ट स्पॉट बनकर उभरा है. जयपुर विकास प्राधिकरण की ओर से हाल ही में बनाए गए इस रेगिस्तानी थीम पार्क (Desert Park in Vidhyadhar Nagar Jaipur) को बड़ी संख्या में लोग निहारने पहुंचे. इस परियोजना की कैपेसिटी 300 से 400 पर्यटकों की है. लेकिन साल के पहले दिन यहां 1300 से ज्यादा विजिटर्स पहुंचे.

राजधानी में इस बार पर्यटकों को एक नए टूरिस्ट स्पॉट ने अपनी ओर आकर्षित किया. नाहरगढ़ की तलहटी में प्राकृतिक रूप से बने रेत की टीलों के रूप में अनुपयोगी पड़ी जेडीए की जमीन पर किशनबाग (JDA project in Kishan Bagh) के धोरें विकसित किया गया है. यहां पर्यटकों को धरती पर ऑक्सीजन कैसे आई? अरावली की पहाड़ियों में उगने वाले धोक के पेड़ों का क्या इतिहास है? रेत से पत्थर बनने में कितने साल लगे? ऐसे कई सवालों के जवाब मिले.

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लोगों ने बताया कि ये एक सामान्य प्रकार का शहरी उद्यान नहीं है. बल्कि यहां जीव जन्तुओं के प्राकृतिक वास को सुरक्षित कर संधारित किया गया. यहां भ्रमण के साथ वैज्ञानिक और शैक्षिक अभिरूचि पैदा करने के लिए राजस्थान में पाये जाने वाले विभिन्न प्रकार के बलुआ चट्टानों के बनने के बारे में जानकारी और राजस्थान की विषम परिस्थितियों में उगने वाले पौधों की जानकारी भी मिली. यहां विभिन्न लोकेशन पर पर्यटक सेल्फी लेते भी नजर आए.

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आपको बता दें कि जेडीए ने इस परियोजना में 64.30 हेक्टर भूमि पर विकास कार्य किया गया. तीन साल में कुल 51.6 हेक्टर क्षेत्रफल में अरावली और मरुस्थल क्षेत्र में पाये जाने वाले वनस्पति और घास की विभिन्न प्रजातियों के बीजारोपण/पौधारोपण कार्य संपादित कर उपचारित/विकसित किया जा चुका है. यहां विभिन्न रेगिस्तानी वनस्पति प्रजातियों के लगभग 7 हजार पेड़ लगाए गए हैं. परियोजना की विशेष प्रकृति को देखते हुए परियोजना के संधारण और प्रबन्धन के कार्य के लिए मैसर्स राव जोधा डेजर्ट रॉक पार्क सोसायटी इसका काम देखेगी.

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