जयपुर. प्रदेश में किसानों के चने की फसल की संपूर्ण खरीद की मांग को लेकर किसान महापंचायत ने आंदोलन की तैयारी कर ली है. महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने के अनुसार 3 जुलाई को प्रदेश कार्यकारिणी से विचार के उपरांत आन्दोलन की घोषणा की जा सकती है. जिसमे ट्रेक्टरों से दिल्ली कूच एवं गांव बंद आन्दोलन पर विचार किया जाएगा.
महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने सरकार पर आरोप लगाया है कि, चने की खरीद सीमा नहीं बढ़ाए जाने से किसानों को 2 हजार 70 करोड़ का घटा होगा. क्योंकि भारत सरकार द्वारा दिए गए लक्ष्य के अनुसार 6.15 लाख टन खरीद के उपरांत 20.70 लाख टन चना किसानों के पास शेष रहता है . इसमें से अभी तक प्रदेश की मंडियों में 2 लाख टन चने का ही क्रय-विक्रय हुआ है. इस प्रकार 18.70 लाख टन चना न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदा गया तो, किसानों को प्रति क्विंटल हजार से 12 सौ रुपए का घाटा उठाना पड़ेगा.
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केंद्र सरकार के तरफ से कुल उत्पादन में से 25 प्रतिशत से अधिक खरीद पर लगाए प्रतिबंध के कारण इस समस्या का जन्म हुआ है. किसानों की ओर से 2 सालों से इस प्रतिबंध को सम्पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए अनुनय-विनय किया जा रहा है. इसी सम्बन्ध में राजस्थान सहित अनेक राज्यों ने भी 25 प्रतिशत के स्थान पर 50 प्रतिशत खरीद करने के लिए केंद्र सरकार से अनुरोध किया है. लेकिन केंद्र सरकार कानों में तेल डाले बैठी है. ऐसी स्थिति में किसानों के पास आन्दोलन के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं बचता.
राजस्थान में टिड्डियों की मार, डीजल के दामों में बढ़ोतरी से बुवाई, जुताई और परिवहन से आर्थिक भार और कोरोना के कहर से आहत किसानों को संबल देने के लिए केंद्र सरकार को किसानों के साथ खड़े होने की दरकार थी. वर्तमान में हजारों की संख्या में किसान अपने चने को ट्रोलियों में भरकर अपने ट्रेक्टरों के साथ खरीद केन्द्रों पर पहुंचे हुए हैं. जिनको किसान महापंचायत ने खरीद केन्द्रों पर डटे रहने का आह्वान किया है.
उल्लेखनीय है कि, किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने चने की खरीद करने के लिए प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री सहित राजस्थान के 25 लोकसभा सदस्यों को पत्र प्रेषित किया था. लेकिन अभी तक कोई सार्थक कदम नहीं उठाया गया, बल्कि लक्ष्य पूर्ण होने के साथ खरीद बंद कर दी गई.