जयपुर. 'एक राष्ट्र एक बाजार' के अंतर्गत भारत सरकार की ओर से लाए गए अध्यादेश की वापसी एवं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की गारंटी कानून बनाने के लिए किसान महापंचायत की ओर से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा गया है. ऐसा नहीं करने पर किसान महापंचायत ने आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने बताया किसानों की सुनिश्चित आय और मूल्य का अधिकार विधेयक 2012 के प्रारूप के आधार पर एक निजी विधेयक 8 अगस्त 2014 को सर्वसम्मति से विचार के लिए स्वीकार किया गया था. लेकिन 6 वर्ष पूर्ण होने पर भी सरकार ने इसे पारित करने में पहल नहीं की. इसके विपरीत सरकार बड़े पूंजीपतियों को कृषि उपजों के व्यापार का एकाधिकार सौंपने, किसानों को उनकी भूमि पर ही मजदूर बनाने संबंधी अध्यादेश लेकर आई है, जिससे संपूर्ण देश में आक्रोश व्याप्त है.
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किसान महापंचायत ने पत्र के जरिए मांग की है कि भारत सरकार की ओर से 'एक राष्ट्र एक बाजार' के अंतर्गत लाए गए कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन एवं सुविधा) अध्यादेश 2020 को तत्काल वापस लिया जाए. साथ ही मूल्य आश्वासन और कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण और सुरक्षा) समझौता अध्यादेश 2020, आवश्यक वस्तु अधिनियम 1995 में भंडारण सीमा को समाप्त करने संबंधित संशोधन को तत्काल वापस लिया जाए.
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर वर्ष भर ग्राम स्तर पर संपूर्ण उपज को खरीदने की गारंटी का कानून बनाया जाए. मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत पीएम आशा में दलहन, तिलहन एवं कोपरा की उपजों के संबंध में 25 फीसदी से अधिक खरीद के प्रतिबंध को समाप्त किया जाए. साथ ही खरीद की अवधि अधिकतम 90 दिन को हटाकर वर्ष भर की जाने का प्रावधान किया जाए.
पत्र के जरिए चेतावनी दी गई है कि 'एक राष्ट्र एक बाजार' संबंधी सभी अध्यादेशों को वापस नहीं लिया गया और न्यूनतम समर्थन पर वर्ष भर ग्राम स्तर पर संपूर्ण उपज की खरीद की गारंटी का कानून नहीं बनाया गया तो किसानों को विवश होकर आंदोलन का शंखनाद करना पड़ेगा. इसकी जिम्मेदारी भारत सरकार की होगी.