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अन्नदाता से बजट सुझाव : बैठक में गूंजा किसान आंदोलन का मुद्दा...एक सुर में तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट से पहले किसानों के सुझाव मांगे. बैठक में किसान आंदोलन का मुद्दा ही छाया रहा. बैठक में किसान, पशुपालक और डेयरी संघ के प्रतिनिधियों ने एक सुर में कृषि कानून वापस लेने की मांग की.

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अन्नदाता से बजट सुझाव
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Published : Feb 6, 2021, 7:26 PM IST

जयपुर. किसान बिलों को लेकर हो रहे व्यापक विरोध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पूर्व किसानों से चर्चा की साथ ही बजट के लिए सुझाव लिए. ख़ास बात यह थी की बजट सुझाव बैठक में किसानों, पशुपालकों और डेयरी संघ के प्रतिनिधियों ने एक सुर में तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. इसके साथ बैठक में किसानों को दिए जाने ऋण का सरलीकरण, औषधियुक्त खेती को बढ़ावा देने सहित कई सुझाव दिए गए.

राजस्थान में बजट पूर्व सुझाव में गूंजा किसानों का मुद्दा

शनिवार को बजट पूर्व चर्चा में भाग लेने आए प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत में इन बिलों को किसान विरोधी बताया. किसानों,पशुपालकों, डेयरी संघ के पदाधिकारियों और जनजाति क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने बजट में सब्सिडी देने बिजली काम करने से लेकर अलग-अलग बैंकों से ऋण की सुविधा देने जैसी प्रमुख मांगें रखीं. किसान बद्री प्रसाद ने कहा कि किसानों की बिजली चोरी के दौरान किए जाने वाले चालान माफ हो. चोरी के केस में जो दंडनीय धाराएं लगाई जाती हैं वह हटाई जाएं.

पढ़ें- किसानों के समर्थन में कांग्रेस का प्रदेश भर में चक्का जाम, 10 फरवरी से पहले हर ब्लॉक स्तर पर होगी जनसभा

उन्होंने कहा कि पानी की समस्या को किस तरह से खत्म किया जाए, इसको लेकर सरकार को योजना बनानी होगी. पानी की उपलब्धता कैसे हो इसको लेकर प्रोजेक्ट तैयार किया जाए. चाहे फिर नदी से नदी जोड़ने का कार्य क्यों न हो.

जोधपुर से आए पवन कुमार ने कहा कि किसानों को जब तक खेती की नई तकनीक के बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक वह अच्छी फसल पैदा नहीं कर सकेंगे. सरकार सिर्फ सब्सिडी देने में लगी है, सब्सिडी देना एक अलग बात है. लेकिन टेक्नोलॉजी विकसित करना भी जरूरी है. सरकार को चाहिए कि ग्रामीण स्तर तक अपने एक्सपर्ट के जरिए किसानों को खेती की नई तकनीकों के बारे में जानकारी दें. जिससे किसान खेती के जरिए अपनी आर्थिक हालत सुधार सकें.

शाहपुरा से आए कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है. सरकार को ऐसी स्कीम पर फोकस करना चाहिए जिससे कि कृषि आधारित उद्योग खड़े किये जा सकें. उन्होंने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले लोन के नियमों में भी सरलीकरण होना चाहिए. वर्तमान में किसानों को मिलने वाले लोन में इतनी कानूनी पेचीदगियों में फंसे हुए हैं. जिनको किसान पूरा नहीं कर पाता है और वह परेशान होता है.

पढ़ें- किसानों के चक्का जाम को राजस्थान कांग्रेस का समर्थन, टोल नाकों पर किसानों के समर्थन में कांग्रेस कार्यकर्ता

जयपुर के सुरेंद्र अवाना ने कहा कि कोरोना काल के दौरान औषधि पौधों की डिमांड बढ़ी है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक करके औषधियुक्त पौधे लगाने को लेकर जागरूक किया जाना चाहिए. सरकार को अपने स्तर पर भी इन किसानों को और सिर्फ पौधे लगाने के लिए ट्रेनिंग और सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

किसान रामनारायण चौधरी ने कहा कि जो काला कानून केंद्र की सरकार लेकर आई है. उसे वापस लिया जाए. 2013 की जो नीति थी उसे फिर से लागू किया जाए. उसमें जो सब्सिडी और रियायत प्रकार की तरफ से दी जाएगी उन्हें फिर से शुरू की जाए. वर्तमान में धीरे-धीरे करके पानी सौर ऊर्जा बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी को कम कर दिया गया है.

जयपुर. किसान बिलों को लेकर हो रहे व्यापक विरोध के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट पूर्व किसानों से चर्चा की साथ ही बजट के लिए सुझाव लिए. ख़ास बात यह थी की बजट सुझाव बैठक में किसानों, पशुपालकों और डेयरी संघ के प्रतिनिधियों ने एक सुर में तीनों कृषि कानून वापस लेने की मांग की. इसके साथ बैठक में किसानों को दिए जाने ऋण का सरलीकरण, औषधियुक्त खेती को बढ़ावा देने सहित कई सुझाव दिए गए.

राजस्थान में बजट पूर्व सुझाव में गूंजा किसानों का मुद्दा

शनिवार को बजट पूर्व चर्चा में भाग लेने आए प्रतिनिधियों ने मीडिया से बातचीत में इन बिलों को किसान विरोधी बताया. किसानों,पशुपालकों, डेयरी संघ के पदाधिकारियों और जनजाति क्षेत्र के प्रतिनिधियों ने बजट में सब्सिडी देने बिजली काम करने से लेकर अलग-अलग बैंकों से ऋण की सुविधा देने जैसी प्रमुख मांगें रखीं. किसान बद्री प्रसाद ने कहा कि किसानों की बिजली चोरी के दौरान किए जाने वाले चालान माफ हो. चोरी के केस में जो दंडनीय धाराएं लगाई जाती हैं वह हटाई जाएं.

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उन्होंने कहा कि पानी की समस्या को किस तरह से खत्म किया जाए, इसको लेकर सरकार को योजना बनानी होगी. पानी की उपलब्धता कैसे हो इसको लेकर प्रोजेक्ट तैयार किया जाए. चाहे फिर नदी से नदी जोड़ने का कार्य क्यों न हो.

जोधपुर से आए पवन कुमार ने कहा कि किसानों को जब तक खेती की नई तकनीक के बारे में जानकारी नहीं होगी तब तक वह अच्छी फसल पैदा नहीं कर सकेंगे. सरकार सिर्फ सब्सिडी देने में लगी है, सब्सिडी देना एक अलग बात है. लेकिन टेक्नोलॉजी विकसित करना भी जरूरी है. सरकार को चाहिए कि ग्रामीण स्तर तक अपने एक्सपर्ट के जरिए किसानों को खेती की नई तकनीकों के बारे में जानकारी दें. जिससे किसान खेती के जरिए अपनी आर्थिक हालत सुधार सकें.

शाहपुरा से आए कैलाश चौधरी ने कहा कि कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देने की जरूरत है. सरकार को ऐसी स्कीम पर फोकस करना चाहिए जिससे कि कृषि आधारित उद्योग खड़े किये जा सकें. उन्होंने कहा कि किसानों को दिए जाने वाले लोन के नियमों में भी सरलीकरण होना चाहिए. वर्तमान में किसानों को मिलने वाले लोन में इतनी कानूनी पेचीदगियों में फंसे हुए हैं. जिनको किसान पूरा नहीं कर पाता है और वह परेशान होता है.

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जयपुर के सुरेंद्र अवाना ने कहा कि कोरोना काल के दौरान औषधि पौधों की डिमांड बढ़ी है. ऐसे में सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए. ज्यादा से ज्यादा किसानों को जागरूक करके औषधियुक्त पौधे लगाने को लेकर जागरूक किया जाना चाहिए. सरकार को अपने स्तर पर भी इन किसानों को और सिर्फ पौधे लगाने के लिए ट्रेनिंग और सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए.

किसान रामनारायण चौधरी ने कहा कि जो काला कानून केंद्र की सरकार लेकर आई है. उसे वापस लिया जाए. 2013 की जो नीति थी उसे फिर से लागू किया जाए. उसमें जो सब्सिडी और रियायत प्रकार की तरफ से दी जाएगी उन्हें फिर से शुरू की जाए. वर्तमान में धीरे-धीरे करके पानी सौर ऊर्जा बिजली पर मिलने वाली सब्सिडी को कम कर दिया गया है.

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