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कांग्रेस में घमासानः खिलाड़ी लाल बैरवा बोले 35 दिन बाड़ेबंदी में रहने पर वादे करने वाले सवा साल पूछने नहीं आए...कैबिनेट रिश्फलिंग पर भी उठाए सवाल - कांग्रेस में घमासानः

राज्यसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस बाड़ेबंदी (Congress MLA Fencing in Rajasthan) से लेकर तमाम जुगत कर रही है. लेकिन इसके बाद भी घर में विरोध के स्वर कम नहीं हो रहे हैं. अब कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने सवाल (Khildai Lal Bairwa on Congress) खड़े करते हुए कहा है कि वादे करने वाले सवा साल तक पूछने नहीं आए.

Khildai Lal Bairwa on Congress
खिलाड़ी लाल बैरवा
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Published : Jun 3, 2022, 7:52 PM IST

जयपुर. राज्यसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे कांग्रेस के खेमे में नाराजगी के स्वर तेज होते जा रहे हैं. अब जो कांग्रेस विधायक उदयपुर बाड़ेबंदी (Congress MLA Fencing in Rajasthan) में नहीं गए हैं ,वह जयपुर में अपनी पीड़ा खुलेआम रख रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी शुक्रवार को नाराजगी जताते हुए कहा कि 35 दिन जब बाड़ेबंदी हुई तो यह कहा गया था कि हर विधायक को सम्मान मिलेगा. कोई विधायक केवल विधायक नहीं रहेगा, लेकिन सवा साल तक किसी ने नहीं पूछा कि तुम्हारे क्या हाल हैं? .

खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि अगर ऐसे ही कैबिनेट रिशफलिंग करनी थी, तो पहले ही कर देते, इसमें इतनी देरी क्यों की गई ?खिलाड़ी बैरवा ने कहा की सरकार बचाने में उन सभी विधायकों का रोल था, जो 34 दिन होटल में रहे. ऐसे में जो पहले से मंत्री थे, उन्हीं को प्रमोशन करके आगे भेज दिया गया तो बाकी बचे विधायकों का जुर्म क्या था?. खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि हमारे साथ न्याय नहीं हुआ. जो वादे किए गए थे वह पूरे नहीं हुए. इसी के चलते पीड़ा है. उन्होंने कहा कि हम पक्के कांग्रेसी हैं. वोट कांग्रेस को ही देंगे, लेकिन यह पीड़ा मेरी अकेले की नहीं है ,कई साथियों की है. हमारे साथ सही नहीं किया गया. हमने हमारी पीड़ा बता दी है, लेकिन राज्यसभा में वोट कांग्रेस को ही देंगे.

कैबिनेट रिश्फलिंग पर उठाए सवाल

पढ़ें- Rajasthan Rajyasabha Election: काकरा डूंगरी मामले में मुकदमे वापस होने पर ही कांग्रेस का समर्थन करेगी बीटीपी- वेलाराम घोघरा

जो वादे करने वाले थे वही राज्यसभा के उम्मीदवार बनकर आ गएः खिलाड़ी लाल बैरवा अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि सबको पता है कि बाड़ेबंदी में कौन-कौन नेता थे?. जिन्होंने वादे किए थे और अब वही चुनाव लड़ने के लिए आ गए हैं. अगर 3 में से एक भी प्रत्याशी राजस्थान का होता, तो हमें अच्छा लगता. यह बात हम जैसे कुछ लोग बोल रहे हैं और कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. लेकिन पीड़ा सबके दिलों में है. खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि हम पार्टी के वफादार सिपाही हैं. लेकिन गुलाम नहीं है, हमारा भी सम्मान होना चाहिए, हमें जिस मौके पर बात रखनी होगी वह जरूर रखेंगे.

किस बात की लूट रहे वाहवाहीः एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने पहली बार 4 शेड्यूल कास्ट के कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर भी कहा कि किस बात की संतुष्टि हमें होगी?. जबकि हमारी जनसंख्या ज्यादा है और एसटी वर्ग की जनसंख्या कम. उसके बावजूद एसटी के पांच मंत्री बनाए गए ,जबकि हमारे दो मंत्री और बनाए जाने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि किस बात की वाहवाही लूटी जा रही है? क्या बना दिए सबको मालूम है. किसी से भी पूछ लें जो बने हैं. उनकी हैसियत क्या है?. उन्होंने कहा कि जब तक स्वतंत्र प्रभार और स्वतंत्र लोगों को पद नहीं मिलेंगे, कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अभी तीन मंत्री धौलपुर गए थे, लेकिन एसपी उनसे मुलाकात तक नहीं करने पहुंचे. क्या मजाक है ?ऐसे अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए.

33 फीसदी लाने पर बच्चा पास होता है, 2 से 3% को सजा दिलाने वाली पुलिस फेलः एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने ब्यूरोक्रेसी पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी अगर शेड्यूल कास्ट की जमीन पर कोई काबिज है और प्रशासन उसे उठा नहीं पा रहा केवल फॉर्मेलिटी पूरी कर रहा है तो इसका क्या फायदा?. उन्होंने कहा कि एससी के पास एक दो बीघा जमीन होती है उस पर भी कोई और कब्जा कर ले तो उस गरीब का क्या होगा? . इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि 60 फीसदी एट्रोसिटी केस के मामलों में एफआर लग रही है. पुलिस कह रही है कि यह मामले झूठे हैं.

जबकि सामाजिक परंपराओं में रहने वाला शेड्यूल कास्ट का व्यक्ति अगर गांव के पंच पटेल के कहने पर समझौता कर लेता है तो वह झूठा कैसे हुआ ?. पुलिस के सजा दिलाने के रेट पर भी उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि 2 से 3% लोगों को ही सजा हो रही है ,ऐसे में अपराध कैसे रुकेंगे?. जहां देखो वहां बलात्कार, गैंगरेप और बड़ी घटनाएं हो रही हैं. ऐसे में ब्यूरोक्रेसी क्या कर रही है?. इतना जमावड़ा इतनी गाड़ी घोड़े घूम रहे हैं तो फिर यह सजा का रेट क्यों नहीं बढ़ाते. उन्होंने कहा कि आज भी हम देखते हैं कि पास होने के लिए किसी को भी 33 फीसदी चाहिए, ऐसे में आपकी पुलिस पूरी तरीके से फेल है जो सजा नहीं दिलवा पा रही.

जयपुर. राज्यसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे कांग्रेस के खेमे में नाराजगी के स्वर तेज होते जा रहे हैं. अब जो कांग्रेस विधायक उदयपुर बाड़ेबंदी (Congress MLA Fencing in Rajasthan) में नहीं गए हैं ,वह जयपुर में अपनी पीड़ा खुलेआम रख रहे हैं. कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक और एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने भी शुक्रवार को नाराजगी जताते हुए कहा कि 35 दिन जब बाड़ेबंदी हुई तो यह कहा गया था कि हर विधायक को सम्मान मिलेगा. कोई विधायक केवल विधायक नहीं रहेगा, लेकिन सवा साल तक किसी ने नहीं पूछा कि तुम्हारे क्या हाल हैं? .

खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि अगर ऐसे ही कैबिनेट रिशफलिंग करनी थी, तो पहले ही कर देते, इसमें इतनी देरी क्यों की गई ?खिलाड़ी बैरवा ने कहा की सरकार बचाने में उन सभी विधायकों का रोल था, जो 34 दिन होटल में रहे. ऐसे में जो पहले से मंत्री थे, उन्हीं को प्रमोशन करके आगे भेज दिया गया तो बाकी बचे विधायकों का जुर्म क्या था?. खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि हमारे साथ न्याय नहीं हुआ. जो वादे किए गए थे वह पूरे नहीं हुए. इसी के चलते पीड़ा है. उन्होंने कहा कि हम पक्के कांग्रेसी हैं. वोट कांग्रेस को ही देंगे, लेकिन यह पीड़ा मेरी अकेले की नहीं है ,कई साथियों की है. हमारे साथ सही नहीं किया गया. हमने हमारी पीड़ा बता दी है, लेकिन राज्यसभा में वोट कांग्रेस को ही देंगे.

कैबिनेट रिश्फलिंग पर उठाए सवाल

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जो वादे करने वाले थे वही राज्यसभा के उम्मीदवार बनकर आ गएः खिलाड़ी लाल बैरवा अपनी नाराजगी जताते हुए कहा कि सबको पता है कि बाड़ेबंदी में कौन-कौन नेता थे?. जिन्होंने वादे किए थे और अब वही चुनाव लड़ने के लिए आ गए हैं. अगर 3 में से एक भी प्रत्याशी राजस्थान का होता, तो हमें अच्छा लगता. यह बात हम जैसे कुछ लोग बोल रहे हैं और कुछ बोल नहीं पा रहे हैं. लेकिन पीड़ा सबके दिलों में है. खिलाड़ी बैरवा ने कहा कि हम पार्टी के वफादार सिपाही हैं. लेकिन गुलाम नहीं है, हमारा भी सम्मान होना चाहिए, हमें जिस मौके पर बात रखनी होगी वह जरूर रखेंगे.

किस बात की लूट रहे वाहवाहीः एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने पहली बार 4 शेड्यूल कास्ट के कैबिनेट मंत्री बनाए जाने पर भी कहा कि किस बात की संतुष्टि हमें होगी?. जबकि हमारी जनसंख्या ज्यादा है और एसटी वर्ग की जनसंख्या कम. उसके बावजूद एसटी के पांच मंत्री बनाए गए ,जबकि हमारे दो मंत्री और बनाए जाने चाहिए थे. उन्होंने कहा कि किस बात की वाहवाही लूटी जा रही है? क्या बना दिए सबको मालूम है. किसी से भी पूछ लें जो बने हैं. उनकी हैसियत क्या है?. उन्होंने कहा कि जब तक स्वतंत्र प्रभार और स्वतंत्र लोगों को पद नहीं मिलेंगे, कुछ नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि अभी तीन मंत्री धौलपुर गए थे, लेकिन एसपी उनसे मुलाकात तक नहीं करने पहुंचे. क्या मजाक है ?ऐसे अधिकारियों को तुरंत सस्पेंड करना चाहिए.

33 फीसदी लाने पर बच्चा पास होता है, 2 से 3% को सजा दिलाने वाली पुलिस फेलः एससी आयोग के अध्यक्ष खिलाड़ी लाल बैरवा ने ब्यूरोक्रेसी पर भी जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि आजादी के 70 साल बाद भी अगर शेड्यूल कास्ट की जमीन पर कोई काबिज है और प्रशासन उसे उठा नहीं पा रहा केवल फॉर्मेलिटी पूरी कर रहा है तो इसका क्या फायदा?. उन्होंने कहा कि एससी के पास एक दो बीघा जमीन होती है उस पर भी कोई और कब्जा कर ले तो उस गरीब का क्या होगा? . इसके साथ ही उन्होंने पुलिस पर सवाल उठाते हुए कहा कि 60 फीसदी एट्रोसिटी केस के मामलों में एफआर लग रही है. पुलिस कह रही है कि यह मामले झूठे हैं.

जबकि सामाजिक परंपराओं में रहने वाला शेड्यूल कास्ट का व्यक्ति अगर गांव के पंच पटेल के कहने पर समझौता कर लेता है तो वह झूठा कैसे हुआ ?. पुलिस के सजा दिलाने के रेट पर भी उन्होंने सवाल खड़े करते हुए कहा कि 2 से 3% लोगों को ही सजा हो रही है ,ऐसे में अपराध कैसे रुकेंगे?. जहां देखो वहां बलात्कार, गैंगरेप और बड़ी घटनाएं हो रही हैं. ऐसे में ब्यूरोक्रेसी क्या कर रही है?. इतना जमावड़ा इतनी गाड़ी घोड़े घूम रहे हैं तो फिर यह सजा का रेट क्यों नहीं बढ़ाते. उन्होंने कहा कि आज भी हम देखते हैं कि पास होने के लिए किसी को भी 33 फीसदी चाहिए, ऐसे में आपकी पुलिस पूरी तरीके से फेल है जो सजा नहीं दिलवा पा रही.

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