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सत्ता की चाबी : मेवाड़ में भाजपा और RSS का फोकस, आखिर क्या है कारण...

कहते हैं कि राजस्थान में सत्ता की चाबी मेवाड़ (Politics of Mewar in Rajasthan) में रहती है. लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में ये मिथक टूटा जरूर, फिर भी राजनीतिक दलों (Political Parties) का फोकस मेवाड़ से कम नहीं हुआ. आखिर क्या है भाजपा-आरएसएस की रणनीति, यहां समझिये...

bjp and rss focus on mewar
भाजपा की चिंतन बैठक
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Published : Sep 21, 2021, 7:00 PM IST

जयपुर. भाजपा अपनी सबसे महत्वपूर्ण चिंतन बैठक मेवाड़ में कर रही है तो वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief) का हाल ही में हुआ उदयपुर का प्रवास इसी ओर इशारा कर रहा है. हालांकि, ऐसे कई मुद्दे हैं जिसके चलते भाजपा और संघ को मेवाड़ क्षेत्र की ओर विशेष फोकस करना पड़ा.

विधानसभा चुनाव 2 साल बाद, लेकिन अभी मेवाड़ में इसलिए बड़ी संघ-भाजपा की हलचल : राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में भले ही 2 साल से अधिक का समय शेष हो, लेकिन न केवल भाजपा बल्कि आरएसएस का भी पूरा फोकस मेवाड़ क्षेत्र पर है. इसके पीछे कई कारण हैं. भाजपा की दृष्टि से ये है बड़ा कारण...

मेवाड़ में भाजपा और RSS का फोकस...

वल्लभनगर-धरियावाद सीट पर उपचुनाव : आने वाले दिनों में मेवाड़ क्षेत्र की 2 विधानसभा सीटें वल्लभनगर और धरियावाद में उपचुनाव होना है. यही कारण है कि भाजपा ने अपना फोकस मेवाड़ पर किया और यहां चिंतन बैठक का आयोजन भी कर रही है. समीक्षा बैठक में इन दोनों उपचुनाव को लेकर रणनीति भी बनेगी और प्रमुख नेताओं के बीच चिंतन-मनन भी होगा. बड़े नेताओं की मौजूदगी के चलते स्थानीय स्तर पर जो कुछ मनमुटाव या बिखराव होगा, वह भी स्वत: ही दूर हो जाएगा.

बीटीपी के बढ़ते प्रभाव और खिसकते वोट बैंक को रोकना : उदयपुर संभाग के जनजाति क्षेत्रों में जिस प्रकार पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राईबल पार्टी (BTP) का प्रभाव बढ़ा, उससे भाजपा चिंतित है. क्योंकि भाजपा के गढ़ में बीटीपी ने एक तरह से सेंध लगाने का काम पिछले चुनाव में किया था. यही कारण रहा कि पार्टी चाहती है कि इस बार चुनाव में बीटीपी का प्रभाव देखते हुए पहले से ही मजबूती से काम शुरू हो और आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी का जनाधार बढ़ाने पर भी फोकस किया जाए. यही कारण है कि पार्टी के तमाम बड़े नेता चिंतन बैठक के जरिए इस क्षेत्र में चिंतन के लिए जुटे.

पढ़ें : दीनदयाल जयंती पर होगा ओलंपिक पदक विजेताओं का सम्मान, आएंगे पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़

महाराणा प्रताप से जुड़े भाजपा की विवाद को थामने की भी है कवायद : उदयपुर संभाग वीर महापुरुष महाराणा प्रताप की भूमि मानी जाती है. पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के महाराणा प्रताप से जुड़े एक विवादित बयान के बाद पार्टी को हुए सियासी नुकसान की भरपाई के लिए भी कुंभलगढ़ से उपयुक्त जगह चिंतन बैठक के लिए कोई दूसरी नहीं हो सकती थी.

माना जा रहा है कि भाजपा महाराणा प्रताप से जुड़े किसी भी विवाद को सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा सियासी हवा देने के पक्ष में नहीं है. यही कारण है कि महाराणा प्रताप की भूमि पर ही भाजपा के प्रमुख नेताओं ने चिंतन बैठक के जरिए यह मैसेज देने का भी काम किया है कि भाजपा की आस्था महाराणा प्रताप और अन्य वीर महापुरुषों में पूरी तरह है. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृष्टि से भी मेवाड़ क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है और यहां हाल ही में हुए सरसंघचालक मोहन भागवत के उदयपुर प्रवास के पीछे भी कई कारण माने जा रहे हैं.

RSS प्रमुख भागवत का उदयपुर प्रवास और सियासी मायने : धर्मांतरण की घटनाओं से संघ चिंतित है. पिछले दिनों आदिवासी क्षेत्र में धर्मांतरण के कई मामले सामने आए, जिसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस क्षेत्र में अपनी चहलकदमी तेज कर दी. संघ प्रमुख मोहन भागवत का केंद्र इसी ओर इशारा कर रहा है. आदिवासी क्षेत्रों में भारतीय ट्राइबल पार्टी के बढ़ते प्रभाव और आदिवासियों का हिंदू धर्म नहीं होने से जुड़े बीटीपी नेताओं के बयान भी इस क्षेत्र में संघ का फोकस बढ़ा रहे हैं.

पढ़ें : जैसलमेर में घूमते थे डायनासोर, लेकिन अब यह साबित करने वाला फुट प्रिंट ही गायब

राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ाव को लेकर आदिवासी क्षेत्रों में भी संघ अपनी शाखा चलाने के साथ राष्ट्र निर्माण आदि के दिशा में कई कार्य कर रहा है. लेकिन जिस प्रकार आदिवासी क्षेत्रों में बीटीपी का प्रभाव बढ़ रहा है और इस आदिवासी समुदाय को सियासी रूप से इस्तेमाल करने के लिए जिस प्रकार राजनीतिक दल धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं, उसे देखते हुए भी संघ द्वारा इस क्षेत्र में अपना फोकस बढ़ा दिया गया है. मोहन भागवत का यह कैंप इसी ओर इशारा कर रहा है.

जयपुर. भाजपा अपनी सबसे महत्वपूर्ण चिंतन बैठक मेवाड़ में कर रही है तो वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत (RSS Chief) का हाल ही में हुआ उदयपुर का प्रवास इसी ओर इशारा कर रहा है. हालांकि, ऐसे कई मुद्दे हैं जिसके चलते भाजपा और संघ को मेवाड़ क्षेत्र की ओर विशेष फोकस करना पड़ा.

विधानसभा चुनाव 2 साल बाद, लेकिन अभी मेवाड़ में इसलिए बड़ी संघ-भाजपा की हलचल : राजस्थान में अगले विधानसभा चुनाव में भले ही 2 साल से अधिक का समय शेष हो, लेकिन न केवल भाजपा बल्कि आरएसएस का भी पूरा फोकस मेवाड़ क्षेत्र पर है. इसके पीछे कई कारण हैं. भाजपा की दृष्टि से ये है बड़ा कारण...

मेवाड़ में भाजपा और RSS का फोकस...

वल्लभनगर-धरियावाद सीट पर उपचुनाव : आने वाले दिनों में मेवाड़ क्षेत्र की 2 विधानसभा सीटें वल्लभनगर और धरियावाद में उपचुनाव होना है. यही कारण है कि भाजपा ने अपना फोकस मेवाड़ पर किया और यहां चिंतन बैठक का आयोजन भी कर रही है. समीक्षा बैठक में इन दोनों उपचुनाव को लेकर रणनीति भी बनेगी और प्रमुख नेताओं के बीच चिंतन-मनन भी होगा. बड़े नेताओं की मौजूदगी के चलते स्थानीय स्तर पर जो कुछ मनमुटाव या बिखराव होगा, वह भी स्वत: ही दूर हो जाएगा.

बीटीपी के बढ़ते प्रभाव और खिसकते वोट बैंक को रोकना : उदयपुर संभाग के जनजाति क्षेत्रों में जिस प्रकार पिछले विधानसभा चुनाव में भारतीय ट्राईबल पार्टी (BTP) का प्रभाव बढ़ा, उससे भाजपा चिंतित है. क्योंकि भाजपा के गढ़ में बीटीपी ने एक तरह से सेंध लगाने का काम पिछले चुनाव में किया था. यही कारण रहा कि पार्टी चाहती है कि इस बार चुनाव में बीटीपी का प्रभाव देखते हुए पहले से ही मजबूती से काम शुरू हो और आदिवासी क्षेत्रों में बीजेपी का जनाधार बढ़ाने पर भी फोकस किया जाए. यही कारण है कि पार्टी के तमाम बड़े नेता चिंतन बैठक के जरिए इस क्षेत्र में चिंतन के लिए जुटे.

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महाराणा प्रताप से जुड़े भाजपा की विवाद को थामने की भी है कवायद : उदयपुर संभाग वीर महापुरुष महाराणा प्रताप की भूमि मानी जाती है. पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया के महाराणा प्रताप से जुड़े एक विवादित बयान के बाद पार्टी को हुए सियासी नुकसान की भरपाई के लिए भी कुंभलगढ़ से उपयुक्त जगह चिंतन बैठक के लिए कोई दूसरी नहीं हो सकती थी.

माना जा रहा है कि भाजपा महाराणा प्रताप से जुड़े किसी भी विवाद को सत्तारूढ़ कांग्रेस द्वारा सियासी हवा देने के पक्ष में नहीं है. यही कारण है कि महाराणा प्रताप की भूमि पर ही भाजपा के प्रमुख नेताओं ने चिंतन बैठक के जरिए यह मैसेज देने का भी काम किया है कि भाजपा की आस्था महाराणा प्रताप और अन्य वीर महापुरुषों में पूरी तरह है. वहीं, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की दृष्टि से भी मेवाड़ क्षेत्र काफी महत्वपूर्ण है और यहां हाल ही में हुए सरसंघचालक मोहन भागवत के उदयपुर प्रवास के पीछे भी कई कारण माने जा रहे हैं.

RSS प्रमुख भागवत का उदयपुर प्रवास और सियासी मायने : धर्मांतरण की घटनाओं से संघ चिंतित है. पिछले दिनों आदिवासी क्षेत्र में धर्मांतरण के कई मामले सामने आए, जिसके बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने इस क्षेत्र में अपनी चहलकदमी तेज कर दी. संघ प्रमुख मोहन भागवत का केंद्र इसी ओर इशारा कर रहा है. आदिवासी क्षेत्रों में भारतीय ट्राइबल पार्टी के बढ़ते प्रभाव और आदिवासियों का हिंदू धर्म नहीं होने से जुड़े बीटीपी नेताओं के बयान भी इस क्षेत्र में संघ का फोकस बढ़ा रहे हैं.

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राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ाव को लेकर आदिवासी क्षेत्रों में भी संघ अपनी शाखा चलाने के साथ राष्ट्र निर्माण आदि के दिशा में कई कार्य कर रहा है. लेकिन जिस प्रकार आदिवासी क्षेत्रों में बीटीपी का प्रभाव बढ़ रहा है और इस आदिवासी समुदाय को सियासी रूप से इस्तेमाल करने के लिए जिस प्रकार राजनीतिक दल धार्मिक भावनाओं का सहारा ले रहे हैं, उसे देखते हुए भी संघ द्वारा इस क्षेत्र में अपना फोकस बढ़ा दिया गया है. मोहन भागवत का यह कैंप इसी ओर इशारा कर रहा है.

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