जयपुर. एकादशी का अपना अलग महत्व है. चैत्र महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी (Chaitra Month Kamada Ekadashi) के रूप में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन विधि-विधान से पूजा और व्रत करने से सभी पाप मिट जाते हैं और मनुष्य की सभी मनोकामना पूरी होती है. इस बार कामदा एकादशी 12 अप्रैल को पड़ रही है. एकादशी व्रत के मुख्य देवता भगवान विष्णु, कृष्ण या उनके अवतार होते हैं जिनकी इस दिन पूजा की जाती है.
इस दिन सुबह उठकर स्नान करने के बाद पहले सूर्य को अर्घ्य दें. इसके बाद भगवान कृष्ण की आराधना करें. उनको पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें. फल भी अर्पित कर सकते हैं. इसके बाद भगवान कृष्ण का ध्यान करें तथा उनके मंत्रों का जप करें. इस दिन पूर्ण रूप से जलीय आहार लें अथवा फलाहार लें तो इसके श्रेष्ठ परिणाम मिलेंगे. अगर केवल एक वेला का उपवास रखते हैं तो दूसरी वेला में वैष्णव भोजन ही ग्रहण करें. अगले दिन सुबह एक वेला का भोजन या अन्न किसी निर्धन को दान करें. इस दिन मन को ईश्वर में लगाएं, क्रोध न करें.
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संतान प्राप्ति का उपाय: पति-पत्नी संयुक्त रूप से भगवान कृष्ण को पीला फल और पीले फूल अर्पित करें. एक साथ संतान गोपाल मंत्र का कम से कम 11 माला जाप करें. संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें. फल को पति-पत्नी प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
आर्थिक लाभ के लिए यह उपाय: भगवान कृष्ण को पीले फूलों की माला अर्पित करें. इसके बाद "ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीवासुदेवाय नमः" का कम से कम 11 माला जाप करें. आर्थिक लाभ की प्रार्थना करें. ये प्रयोग वर्ष में एक बार जरूर करें.
पाप नाश के लिए करें यह उपाय: भगवान कृष्ण को चंदन की माला अर्पित करें. इसके बाद "क्लीं कृष्ण क्लीं" का 11 माला जाप करें. अर्पित की हुई चंदन की माला को अपने पास रखें. पापों का प्रायश्चित होगा, पाप वृत्ति से छुटकारा मिलेगा. आपके नाम यश में वृद्धि होगी.
पितरों की आत्मा की शांति के लिए यह उपाय: एकादशी की शाम को या रात्रि को भगवान कृष्ण के समक्ष बैठें. उनको पीले फूल और चंदन अर्पित करें. इसके बाद गीता के 11वें अध्याय का पाठ करें. पितरों की आत्मा की शांति के लिये प्रार्थना करें.