जयपुर. कालीचरण सराफ ने एक बयान जारी कर कहा कि जनता कोरोना के कारण आर्थिक रूप से परेशान है. ऐसे में यदि प्रदेश सरकार पेट्रोल-डीजल पर लगने वाले वैट की दरों में कमी करे तो एक बड़ी राहत आमजन को मिल सकती है. लेकिन मुख्यमंत्री को इसकी परवाह नहीं है. कालीचरण सराफ ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान का भी खंडन किया है, जिसमें गहलोत ने कहा था कि पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है.
कालीचरण सराफ ने कहा कि पहले मुख्यमंत्री यह अध्ययन कर लें कि पेट्रोल-डीजल पर वैट पड़ोस के राज्य पंजाब, हरियाणा, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश से अधिक राजस्थान में लग रहा है. इससे आम जनता को राहत नहीं, बल्कि नुकसान हो रहा है.
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कालीचरण सराफ ने कहा कि आज भी पंजाब में पेट्रोल पर वैट 20.11 प्रतिशत और डीजल पर 11.80 प्रतिशत लग रहा है. वहीं हरियाणा में पेट्रोल पर 22.26 और डीजल पर 13.24 प्रतिशत, गुजरात में पेट्रोल पर 17 और दिल्ली में पेट्रोल पर 30 प्रतिशत वैट लग रहा है. इसी तरह उत्तर प्रदेश में पेट्रोल पर 26.80 प्रतिशत और डीजल पर 17.48 प्रतिशत वैट लग रहा है. जबकि पड़ोसी राज्य मध्य प्रदेश में पेट्रोल पर 33 और डीजल पर 23 प्रतिशत वैट की दर है. वहीं राजस्थान की बात की जाए तो यहां सर्वाधिक पेट्रोल पर 38 और डीजल पर 28 प्रतिशत वैट की दर है. जो आसपास के अन्य पड़ोसी राज्यों से कहीं अधिक है.
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कालीचरण सराफ ने अपने बयान में कहा कि राजस्थान में अन्य राज्यों की तुलना में 10 प्रतिशत वैट अधिक वसूला जा रहा है, जिससे माल मंगाना भी महंगा पड़ता है और सीधा असर जनता पर पड़ना तय है. मुख्यमंत्री के अनुसार पिछले दिनों कई ट्रांसपोर्टर्स संगठनों ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस बारे में आग्रह किया था. लेकिन सरकार ने अब तक उनकी कोई सुनवाई नहीं की.