जयपुर. दंगल फिल्म का एक डायलॉग तो आपने सुना ही होगा, 'म्हारी छोरियां, छोरो से कम है क्या'. इसी डायलॉग को राजस्थान की बेटी सार्थक करते नजर आ रही है. जी हां, हम बात कर रहे हैं, 'पायल जांगिड़' की. दरअसल, अमेरिका में बिल एवं मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन के जिस गोलकीपर्स ग्लोबल गोल अवॉर्ड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया गया. उसी मंच पर पायल को भी सम्मानित किया गया.
बता दें कि बाल मजदूरी और बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीतियों को दूर करने के लिए प्रयासरत राजस्थान की पायल जांगिड़ को 'चेंजमेकर अवॉर्ड' से सम्मानित किया गया है, जो पूरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है.
पायल जांगिड़ के बारे में
17 साल की पायल जांगिड़ राजस्थान के हिंसला गांव की निवासी हैं. जानकारी के मुताबिक काफी उम्र में उनके परिवार ने भी उन पर शादी करने का दबाव बनाया. लेकिन पायल ने परिवार के दवाब में न आकर स्कूल जाने का फैसला किया. पायल ने अपने गांव में बाल मित्र ग्राम कार्यक्रम के तहत गठित बाल परिषद में बाल पंचायत प्रमुख के तौर पर काम किया. ये कार्यक्रम, नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के बचपन बचाओ आंदोलन आंदोलन के तहत आता है.
अवॉर्ड मिलने पर पायल ने अपनी खुशी जाहिर करते हुए कहा कि जिस मंच पर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सम्मानित किया गया है. वहीं पर यह सम्मान प्राप्त कर वे बेहद खुश हैं. पायल ने कहा कि जिस तरह से उन्होंने अपने गांव में इस समस्या को खत्म करने के लिए प्रयास किया है, ऐसा ही प्रयास वे दुनिया भर में करना चाहती हैं.
पढ़ें: अनुपम खेर ने की 'गांधी@150' इवेंट में शिरकत
पायल की इस उपलब्धि पर नोबल पुरस्कार विजेता और बच्चों के अधिकारों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने कहा कि पायल ने हम सभी को गौरान्वित किया है. वह उन युवा महिलाओं में से एक हैं, जो भारत और अन्य जगहों पर बच्चों के शोषण के खिलाफ आगे आई हैं. उसने अपने विवाह से मना करने का साहस दिखाया है और वह अपने गांव और आसपास के गांव के बच्चों के लिए मिसाल बन गई हैं.