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Judicial boycott: पारिवारिक न्यायालय का क्षेत्राधिकार एडीजे कोर्ट को देने पर न्यायिक बहिष्कार - ईटीवी भारत राजस्थान न्यूज

राज्य सरकार की ओर से पारिवारिक न्यायालय का (Judicial boycott ) स्थानीय क्षेत्राधिकार एडीजे सांगानेर, बस्सी और चौमूं को देने के विरोध में फैमिली कोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायिक बहिष्कार किया. एसोसिएशन ने चेतावनी दी है कि अधिसूचना वापस नहीं ली तो 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन न्यायिक बहिष्कार किया जाएगा.

Judicial boycott,  giving jurisdiction of family court to ADJ Court
पारिवारिक न्यायालय का क्षेत्राधिकार .
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Published : Sep 14, 2022, 9:38 PM IST

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से पारिवारिक न्यायालय का स्थानीय क्षेत्राधिकार एडीजे सांगानेर, बस्सी और चौमूं को दिए जाने के विरोध में फैमिली कोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायिक बहिष्कार किया. वहीं एसोसिएशन से मुख्य न्यायाधीश के नाम फैमिली कोर्ट के (Family Court Bar Association) पीठासीन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. वकीलों ने चेतावनी दी है कि अगर क्षेत्राधिकार बदलने की अधिसूचना को वापस नहीं लिया गया तो 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन न्यायिक बहिष्कार किया जाएगा.

अधिवक्ता संघर्ष समिति के संयोजक पीसी भंडारी और एसोसिएशन अध्यक्ष डीएस शेखावत ने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर सांगानेर, बस्सी और चौमूं की एडीजे अदालतों को पारिवारिक न्यायालय की शक्तियां दी है. इन अदालतों को स्थानीय पारिवारिक विवादों को सुनने का अधिकार दिया गया है.

पढ़ेंः सीजे के आश्वासन के बाद हाईकोर्ट के वकीलों ने न्यायिक बहिष्कार किया स्थगित

जबकि पारिवारिक न्यायालय में कैमरा ट्रायल होने और पक्षकारों की गरिमा को देखते हुए इसमें अन्य न्यायिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं. नियमित अदालतों में फौजदारी मुकदमों के अपराधियों की पेशियां होती हैं. ऐसे में पारिवारिक मुकदमों की पीड़िताएं ऐसी अदालतों में उपस्थित होने में असहज महसूस करेंगी. इसके अलावा फैमिली कोर्ट के नए भवन के निर्माण के लिए भूमि आवंटन होने के साथ ही नक्शे भी बन चुके हैं. ऐसे में अब इनका क्षेत्राधिकार बांटा नहीं जा सकता.

जयपुर. राज्य सरकार की ओर से पारिवारिक न्यायालय का स्थानीय क्षेत्राधिकार एडीजे सांगानेर, बस्सी और चौमूं को दिए जाने के विरोध में फैमिली कोर्ट बार एसोसिएशन ने न्यायिक बहिष्कार किया. वहीं एसोसिएशन से मुख्य न्यायाधीश के नाम फैमिली कोर्ट के (Family Court Bar Association) पीठासीन अधिकारी को ज्ञापन सौंपा. वकीलों ने चेतावनी दी है कि अगर क्षेत्राधिकार बदलने की अधिसूचना को वापस नहीं लिया गया तो 19 सितंबर से अनिश्चितकालीन न्यायिक बहिष्कार किया जाएगा.

अधिवक्ता संघर्ष समिति के संयोजक पीसी भंडारी और एसोसिएशन अध्यक्ष डीएस शेखावत ने बताया कि राज्य सरकार ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी कर सांगानेर, बस्सी और चौमूं की एडीजे अदालतों को पारिवारिक न्यायालय की शक्तियां दी है. इन अदालतों को स्थानीय पारिवारिक विवादों को सुनने का अधिकार दिया गया है.

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जबकि पारिवारिक न्यायालय में कैमरा ट्रायल होने और पक्षकारों की गरिमा को देखते हुए इसमें अन्य न्यायिक कार्य नहीं किए जा सकते हैं. नियमित अदालतों में फौजदारी मुकदमों के अपराधियों की पेशियां होती हैं. ऐसे में पारिवारिक मुकदमों की पीड़िताएं ऐसी अदालतों में उपस्थित होने में असहज महसूस करेंगी. इसके अलावा फैमिली कोर्ट के नए भवन के निर्माण के लिए भूमि आवंटन होने के साथ ही नक्शे भी बन चुके हैं. ऐसे में अब इनका क्षेत्राधिकार बांटा नहीं जा सकता.

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