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विधानसभा में उठी राजस्थानी को राजभाषा बनाने की मांग...जोगेश्वर गर्ग ने अंग्रेजी को मिल रही तरजीह पर कही ये बात

राजस्थान विधानसभा में सोमवार को एक बार फिर (Rajasthan Assembly session 2022) राजस्थानी भाषा को राजभाषा बनाने की मांग उठी. भाजपा के सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने राजस्थानी भाषा में बोलते हुए इसे राजभाषा घोषित करने की मांग की.

BJP Leader Jogeshwar Garg on English Language
जोगेश्वर गर्ग ने अंग्रेजी को मिल रही तरजीह पर कही ये बात
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Published : Mar 7, 2022, 7:50 PM IST

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को शिक्षा, कला एवं संस्कृति की अनुदान मांगों में चर्चा के दौरान (Discussion on Rajasthani Language in Assembly) भाजपा के सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने राष्ट्रीय भाषा हिंदी और मातृभाषा राजस्थानी की वकालत करते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने अपनी बात राजस्थानी में रखी. जोगेश्वर गर्ग ने राजस्थानी ऑफिशल लैंग्वेज एक्ट 1956 में परिवर्तन कर उसमें राजस्थानी भाषा भी जोड़ने की मांग की.

जोगेश्वर गर्ग ने सदन में राजस्थानी भाषा में बोलते हुए (Jogeshwar Garg Spoken in Rajasthan Assembly) कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि स्कूल में जो बच्चा पढ़ता है वह प्रारंभिक पढ़ाई ऐसी भाषा में करे, जिसे घर जाने पर उसके मां-बाप भी समझा सकें. जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि 2020 में शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने जानबूझकर परिवर्तन किया है. इसे महात्मा गांधी की मंशा के अनुरूप तैयार किया गया है. इसके मुताबिक प्रत्येक प्रांत अपनी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने की व्यवस्था करें.

पहली से पांचवी तक की शिक्षा मातृभाषा में हो उसके बाद आगे की शिक्षा वह भले ही किसी भी भाषा में ले. उन्होंने कहा कि 70 साल से राजस्थानी भाषा इंतजार कर रही है. ऐसे में अब राजस्थान सरकार राजस्थानी ऑफिशल लैंग्वेज एक्ट 1956 में बदलाव करे और राजस्थानी और ब्रज भाषा को इसमें शामिल कर ले. गर्ग ने कहा कि राजस्थानी भाषा में अगर पढ़ाई होगी तो इससे राजस्थानी के टीचर बनेंगे. राजस्थानी का पाठ्यक्रम होगा और राजस्थान को इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर ऑप्शन लैंग्वेज में राजस्थानी और ब्रज को डालें तो आईएएस ,आईपीएस आरएएस और आरपीएस राजस्थान के ज्यादा बनेंगे. क्योंकि इस भाषा पर राजस्थानियों का ही कंट्रोल ज्यादा है.

पढ़ें : Rajasthan Assembly session 2022: शिक्षा विभाग की अनुदान मांगों पर बहस में गहलोत सरकार पर बरसे पूर्व मंत्री देवनानी, कही यह बड़ी बात..

रूस, यूक्रेन, कोरिया, जापान, चीन, जर्मनी नहीं मानते अंग्रेजी कोः जोगेश्वर गर्ग ने हिंदी भाषा पर दी जा रही अंग्रेजी को मिल रही तजरीह पर भी नाराजगी जताई. जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि चाहे रूस हो, जापान हो, जर्मनी हो, कोरिया हो या चीन हो हर जगह उनकी अपनी भाषा में पढ़ाई होती है. फिर भारत ने क्या अंग्रेजी भाषा का ठेका ले रखा है?. जबकि महात्मा गांधी खुद यह कहते थे कि अंग्रेजी भाषा को मिटाना स्वराज की लड़ाई का अहम हिस्सा है. लेकिन जो बात महात्मा गांधी कहते थे वह राजस्थान के गांधी को पता नहीं कब समझ में आएगी? जो राजस्थान में हिंदी भाषा के स्कूलों को बंद कर उनकी जगह अंग्रेजी भाषा के स्कूल खोल रहे हैं.

राजस्थानी 70 साल से कर रही है इंतजारः राजस्थानी भाषा की पैरवी करते हुए जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो (BJP Leader Jogeshwar Garg on English Language) चाहे महात्मा गांधी हों, जवाहरलाल नेहरू हों या कोई अन्य लोग. सभी की इच्छा थी मातृभाषा हिंदी हो. लेकिन इसमें समस्या यह थी कि प्रदेश के आधे राज्य जब तक अपने आपको हिंदी भाषी ना कहें तब तक हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकती थी. यही कारण था कि जब महर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयपुर आए तो उन्होंने जयपुर में तत्कालीन राज प्रमुख और मुख्यमंत्री से चर्चा कर यह समझाया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाए.

पढ़ें : अल्पसंख्यक मामलात मंत्री के इस आदेश पर उठा सवाल, कटारिया ने लगाया धर्म परिवर्तन के लिए उकसाने का आरोप...

इसके लिए राजस्थान को हिंदी भाषी घोषित करना होगा. उस समय राजस्थान में हिंदी जानने वालों की आबादी 1 फीसदी भी नहीं थी. लेकिन राजस्थान के मंत्रिमंडल ने हिंदी के पक्ष में प्रस्ताव पास किया और राजभाषा हिंदी बनी. हिंदी राष्ट्रभाषा बनी इससे हमें किसी को तकलीफ नहीं है. लेकिन उसी समय पुरुषोत्तम दास टंडन हमें यह भी आश्वासन देकर गए थे कि दिल्ली में वह राजस्थानी की पैरवी करेंगे. लेकिन आज 70 साल पूरे होने के बावजूद राजस्थानी भाषा अपने लिए सम्मान के इंतजार में है.

जयपुर. राजस्थान विधानसभा में सोमवार को शिक्षा, कला एवं संस्कृति की अनुदान मांगों में चर्चा के दौरान (Discussion on Rajasthani Language in Assembly) भाजपा के सचेतक जोगेश्वर गर्ग ने राष्ट्रीय भाषा हिंदी और मातृभाषा राजस्थानी की वकालत करते हुए अपनी बात रखी. उन्होंने अपनी बात राजस्थानी में रखी. जोगेश्वर गर्ग ने राजस्थानी ऑफिशल लैंग्वेज एक्ट 1956 में परिवर्तन कर उसमें राजस्थानी भाषा भी जोड़ने की मांग की.

जोगेश्वर गर्ग ने सदन में राजस्थानी भाषा में बोलते हुए (Jogeshwar Garg Spoken in Rajasthan Assembly) कहा कि महात्मा गांधी ने कहा था कि स्कूल में जो बच्चा पढ़ता है वह प्रारंभिक पढ़ाई ऐसी भाषा में करे, जिसे घर जाने पर उसके मां-बाप भी समझा सकें. जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि 2020 में शिक्षा नीति में केंद्र सरकार ने जानबूझकर परिवर्तन किया है. इसे महात्मा गांधी की मंशा के अनुरूप तैयार किया गया है. इसके मुताबिक प्रत्येक प्रांत अपनी मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षा देने की व्यवस्था करें.

पहली से पांचवी तक की शिक्षा मातृभाषा में हो उसके बाद आगे की शिक्षा वह भले ही किसी भी भाषा में ले. उन्होंने कहा कि 70 साल से राजस्थानी भाषा इंतजार कर रही है. ऐसे में अब राजस्थान सरकार राजस्थानी ऑफिशल लैंग्वेज एक्ट 1956 में बदलाव करे और राजस्थानी और ब्रज भाषा को इसमें शामिल कर ले. गर्ग ने कहा कि राजस्थानी भाषा में अगर पढ़ाई होगी तो इससे राजस्थानी के टीचर बनेंगे. राजस्थानी का पाठ्यक्रम होगा और राजस्थान को इससे सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अगर ऑप्शन लैंग्वेज में राजस्थानी और ब्रज को डालें तो आईएएस ,आईपीएस आरएएस और आरपीएस राजस्थान के ज्यादा बनेंगे. क्योंकि इस भाषा पर राजस्थानियों का ही कंट्रोल ज्यादा है.

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रूस, यूक्रेन, कोरिया, जापान, चीन, जर्मनी नहीं मानते अंग्रेजी कोः जोगेश्वर गर्ग ने हिंदी भाषा पर दी जा रही अंग्रेजी को मिल रही तजरीह पर भी नाराजगी जताई. जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि चाहे रूस हो, जापान हो, जर्मनी हो, कोरिया हो या चीन हो हर जगह उनकी अपनी भाषा में पढ़ाई होती है. फिर भारत ने क्या अंग्रेजी भाषा का ठेका ले रखा है?. जबकि महात्मा गांधी खुद यह कहते थे कि अंग्रेजी भाषा को मिटाना स्वराज की लड़ाई का अहम हिस्सा है. लेकिन जो बात महात्मा गांधी कहते थे वह राजस्थान के गांधी को पता नहीं कब समझ में आएगी? जो राजस्थान में हिंदी भाषा के स्कूलों को बंद कर उनकी जगह अंग्रेजी भाषा के स्कूल खोल रहे हैं.

राजस्थानी 70 साल से कर रही है इंतजारः राजस्थानी भाषा की पैरवी करते हुए जोगेश्वर गर्ग ने कहा कि जब देश आजाद हुआ तो (BJP Leader Jogeshwar Garg on English Language) चाहे महात्मा गांधी हों, जवाहरलाल नेहरू हों या कोई अन्य लोग. सभी की इच्छा थी मातृभाषा हिंदी हो. लेकिन इसमें समस्या यह थी कि प्रदेश के आधे राज्य जब तक अपने आपको हिंदी भाषी ना कहें तब तक हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं बन सकती थी. यही कारण था कि जब महर्षि पुरुषोत्तम दास टंडन जयपुर आए तो उन्होंने जयपुर में तत्कालीन राज प्रमुख और मुख्यमंत्री से चर्चा कर यह समझाया कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाया जाए.

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इसके लिए राजस्थान को हिंदी भाषी घोषित करना होगा. उस समय राजस्थान में हिंदी जानने वालों की आबादी 1 फीसदी भी नहीं थी. लेकिन राजस्थान के मंत्रिमंडल ने हिंदी के पक्ष में प्रस्ताव पास किया और राजभाषा हिंदी बनी. हिंदी राष्ट्रभाषा बनी इससे हमें किसी को तकलीफ नहीं है. लेकिन उसी समय पुरुषोत्तम दास टंडन हमें यह भी आश्वासन देकर गए थे कि दिल्ली में वह राजस्थानी की पैरवी करेंगे. लेकिन आज 70 साल पूरे होने के बावजूद राजस्थानी भाषा अपने लिए सम्मान के इंतजार में है.

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