जयपुर. जयपुर विकास प्राधिकरण की वर्षों से लंबित चल रही योजनाओं का एंपावर्ड कमेटी की बैठक में समाधान निकाले जाने के बाद अब यूडीएच विभाग ने भी इस पर मुहर लगा दी है. जेडीए के लिए राहत की बात ये है कि पुराने प्रोजेक्ट्स पूरे होने से जेडीए के खजाने में 2000 करोड़ से ज्यादा का राजस्व आएगा. ईटीवी भारत ने इन प्रोजेक्ट्स को लेकर बात की जयपुर जेडीसी गौरव गोयल से...
वेस्ट वे हाइट्स योजना
1989 में अजमेर रोड पर ट्रक टर्मिनल योजना के तहत लैंड एक्विजिशन की कार्रवाई शुरू की गई थी. इसके बाद सेकंड फेज में 2002 में लैंड एक्विजिशन की गई. लेकिन काश्तकार-किसान और जेडीए के बीच मुआवजे को लेकर विवाद चल रहे थे. जिसमें तकरीबन 25 याचिका उच्च न्यायालय में दर्ज हैं. कुछ में स्थगन आदेश भी थे. उनमें काश्तकारों के साथ बैठ समझौता बनाया गया. जिस पर एंपावर्ड कमेटी की बैठक में अनुमति दी गई.
मुख्य रूप से ऐसे किसान जिनके न्यायालय से स्थगन हैं और कब्जा अब तक जेडीए को नहीं मिला है. उन जमीनों पर 20% आवासीय और 5% व्यवसायिक जमीन नकद मुआवजे के विकल्प के तौर पर उपलब्ध करवाई जाएगी. साथ ही जो किसानों के पट्टे होंगे, उनमें लीज राशि में 40% माफी की अनुमति दी गई है. इससे वेस्टवे हाइट्स योजना का विवाद लगभग खत्म हो जाएगा. फिलहाल 25 में से 11 पक्षकारों ने सहमति दे दी है. अब वहां 10 करोड़ की लागत से रोड डेवलप की जाएगी. किसानों को जो 25% जमीन मिलनी है, वो जल्द ही लॉटरी निकाल कर आवंटित कर दी जाएगी. बचे हुए प्लॉट्स को जेडीए द्वारा ऑक्शन किया जाएगा, इससे जेडीए को रेवेन्यू भी मिलेगा.
लोहा मंडी योजना
ग्राम माचड़ा में ये योजना तकरीबन 19 साल से लंबित थी. इसमें अवाप्ति से जुड़े हुए विवाद थे. जिसके कारण पूर्व के आवंटियों को भी जेडीए कब्जा नहीं दे पा रहा था और योजना मूर्त रूप नहीं ले पा रही थी. लगभग 130 हेक्टेयर जमीन पर बनने वाली इस योजना का जो मुख्य विवाद था. उसे एंपावर्ड कमेटी ने नीतिगत निर्णय लेकर उसका हल निकाल दिया है.
इस योजना में भी 20+5 प्रतिशत विकसित भूमि का विकल्प देने का निर्णय लिया है. साथ ही जो 90 बी की योजना के अंतर्गत आने वालों को भी मुआवजा देने का निर्णय लिया गया है. इस संबंध में अब योजना की रिप्लानिंग करने का काम किया जा रहा है.
सेंट्रल स्पाइन योजना
190 हेक्टेयर में बनने वाली योजना लंबे समय से अटकी पड़ी है. रीको और जेडीए के बीच 2003 में इसे लेकर एमओयू हुआ और 2005 में से रिवाइज किया गया. लेकिन उसके बाद की परिस्थितियां बदल गई. काफी काश्तकार कोर्ट में चले गए. उन्हें मुआवजे के तौर पर लैंड उपलब्ध नहीं हो पा रही है. अब उन एमओयू की शर्तों को दोबारा रिवाइज करने के लिए निर्देश दिए गए हैं. ताकि जेडीए और रीको के अपने-अपने हिस्से की योजनाएं जमीन पर उतर सकें. ऐसे में कुछ शर्तों में भी संशोधन किया जाएगा. जिसकी पीपीटी तैयार कर ली गई है और इसे जल्द राज्य सरकार को भिजवाया जाएगा.
न्यू ट्रांसपोर्ट नगर योजना
योजना के तहत 2007 में पहले चरण में जिन आवंटियों की आवंटन किए जा चुके हैं, उन्हें नोटिस दिए गए हैं. यदि वो निर्माण नहीं करते तो उनके आवंटन निरस्त किए जाएंगे. फिलहाल करीब 100 से ज्यादा कंस्ट्रक्शन शुरू हो गए हैं. वहीं दूसरे चरण के आवंटियों की राशि कम करने की मांग थी. इस पर एंपावर्ड कमेटी को अवगत कराया गया. जिस पर नीतिगत निर्णय लेकर एक सब कमेटी बनाई गई है. जो ग्राउंड रियलिटी को जांच कर रिपोर्ट पेश करेगी. यहां फिलहाल रोड और इलेक्ट्रिसिटी का काम किया जा रहा है.
गोपालपुरा बाईपास योजना
गोपालपुरा बाईपास पर जेडीए का पायलट प्रोजेक्ट का एंपावर्ड कमेटी ने अनुमोदन कर दिया है. अब इसका सर्वे कराकर कमर्शियल हाई स्ट्रीट बनाई जाएगी. सड़क के दोनों तरफ आवासीय भूखंडों पर चल रही गैर आवासीय गतिविधियों का नियमन किया जाएगा. यहां कमर्शियल और मिक्स लैंड यूज का प्रावधान होगा. जिसे विकसित किया जाएगा. इसी तर्ज पर शहर की प्रमुख 20 सड़कों को विकसित किया जाएगा.
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इसके लिए एंपावर्ड कमेटी ने सहमति दे दी है. ये सभी काम मास्टर प्लान 2025 के तहत शहर भर में किए जाएंगे. इसमें पार्किंग और दूसरी सुविधाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा. इस प्रोजेक्ट का पीटी सर्वे पूरा हो चुका है और जल्द कैंप लगाकर कमर्शियल कन्वर्जन की कार्रवाई की जाएगी.
सोडाला और झोटवाड़ा एलिवेटेड
वहीं शहर के दो प्रमुख एलिवेटेड रोड का शहर वासियों को लंबे समय से इंतजार है. जिनका काम युद्धस्तर पर किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि 30 जून 2021 में ही सोडाला एलिवेटेड का काम पूरा कर लिया जाएगा. जबकि झोटवाड़ा एलिवेटेड में कालवाड रोड की तरफ 600 दुकानें एक बड़ा चैलेंज था. जिनका पुनर्वास करने के लिए नीति बना ली गई है. जमीन भी चिन्हित कर ली गई है. फिलहाल दुकानदारों की स्क्रूटनी की जा रही है. जेडीए का इसी वित्तीय वर्ष में झोटवाड़ा एलिवेटेड का काम भी पूरा करने का लक्ष्य है.
इन बड़े प्रोजेक्ट के अलावा सीतापुरा और जाहोता आरओबी का काम पूरा हो चुका है. जल्द इनका उद्घाटन कर जनता को सुपुर्द किया जाएगा. वहीं जमीन संबंधी सभी विवाद खत्म करते हुए बस्सी आरओबी का काम भी युद्ध स्तर पर चल रहा है. जेडीए का फोकस पुराने प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने पर है.
चूंकि जेडीए एक डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन है, ऐसे में पुराने प्रोजेक्ट से जो भी राजस्व प्राप्त होगा. उन्हें नए प्रोजेक्ट में लगाया जाएगा. बहुत जल्द राजधानी में यातायात के नजरिया से नए प्रोजेक्ट लाए जा रहे हैं. इनमें B2 बायपास की 125 करोड़ की डीपीआर बनकर तैयार हो चुकी है. जल्द इसका टेंडर भी किया जाएगा. इसी तरह जवाहर सर्किल और लक्ष्मी मंदिर चौराहे का प्रोजेक्ट भी लगभग तैयार है. ऐसे में अब पुराने कार्यों को पूरा करते हुए इंफ्रास्ट्रक्चर के नए काम शुरू करने की तरफ जेडीए अग्रसर हो रहा है.