जयपुर. जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने सुपर स्पेशलिटी कोर्स में चिकित्सकों को पूर्व की भांति में दिया जा रहा 30 प्रतिशत स्टेट कोटा यथावत रखने की मांग रखी है और अपनी मांगों को लेकर जयपुर एसोसिएशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स ने चिकित्सा मंत्री से भी मुलाकात की है. रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि राज्य सेवा में कार्यरत चिकित्सकों को वर्ष 2016 तक सुपर स्पेशलिटी कोर्स के लिए 30 प्रतिशत स्टेट कोटा दिया था, लेकिन नीट प्रवेश परीक्षा वर्ष 2017 के प्रावधान लागू होने के बाद सभी राज्यों का स्टेट कोटा बंद कर दिया गया था.
ऐसे में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक निर्णय के अनुसार तमिलनाडु सरकार ने स्टेट हेल्थ पॉलिसी के अनुसार सुपर स्पेशलिटी में देय 50 प्रतिशत कोटा इसी सत्र से एक बार फिर से शुरू किया है. ऐसे में प्रदेश के चिकित्सकों ने भी राज्य सरकार से मांग करते हुए 30 प्रतिशत स्टेट कोटे को यथावत रखने की मांग रखी है. राजस्थान के रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि केरल, आंध्र प्रदेश और अन्य राज्यों द्वारा भी अपनी-अपनी स्टेट हेल्थ पॉलिसी के अनुसार सुपर स्पेशलिटी कोटा को इसी सत्र से एक बार फिर से शुरू किया है.
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ऐसे में रेजिडेंट चिकित्सकों के एक दल ने प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा से भी मुलाकात की और सुपर स्पेशलिटी कोर्स में चिकित्सकों को पूर्व की भांति दिया जा रहा 30 प्रतिशत स्टेट कोटा यथावत रखने की मांग रखी है.
सुपर स्पेशलिटी चिकित्सकों की कमी
प्रदेश में लंबे समय से सुपर स्पेशलिटी से जुडे़ चिकित्सकों लंबे समय से कमी बनी हुई है और रेजिडेंट चिकित्सकों का कहना है कि यदि प्रदेश की सरकार पूर्व की भांति नहीं दिया जा रहा है कि प्रतिशत कोटे को यथावत रखते हैं, तो प्रदेश में सुपरस्पेशलिटी चिकित्सकों की संख्या में बढ़ोतरी होगी. वहीं प्रदेश में लगभग हर जिले में मेडिकल कॉलेज होने जा रहे हैं, जहां अंग प्रत्यारोपण केंद्र भी स्थापित हो रहे हैं. ऐसे में इन कार्यों के लिए सुपर स्पेशलिटी में दक्ष चिकित्सकों की आवश्यकता होगी.