जयपुर. पिछले साल मानसून की बेवफाई के कारण इस साल पूरा राजस्थान पेयजल की गंभीर संकट से जूझ रहा है. हालत यह है कि जलदाय विभाग गर्मी की शुरुआत से ही प्रदेश में 34 से अधिक शहरों में टैंकरों के जरिए पानी पहुंचाना पड़ रहा है. खासकर राजधानी जयपुर पानी किल्लत से सरकार को काफी किरकिरी झेलनी पड़ी. हालांकि पानी की इस किल्लत से निपटने लिए एक्शन प्लान पहले ही बना लिया गया था. जिसके तहत 732 नलकूप खोदने की स्वीकृति दे दी गई थी. जिनमे से जयपुर शहर में 530 नलकूप खोदे जा चुके है, 425 नलकूप को सीधा सिस्टम से जोड़कर लोगों के घर के नल में पानी पहुंचाया जा रहा है.
जलदाय विभाग के मुख्य अभियंता आईडी खान कहते हैं कि पिछले साल बीसलपुर में बारिश के पानी की पर्याप्त आवक नहीं हुई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने विशेष एक्शन प्लान बनाया था. जिसमे जयपुर के 732 नलकूप खोदने की स्वीकृति दी गई थी. जिससे शहर वासियों को पानी किल्लत से राहत दी जा रही है. फिलहाल बड़ा संकट नहीं है जितना पानी है उससे मानसून के आने तक काम चलाया जा सकता है फिर भी विभाग वैकल्पिक तौर पर जल प्रबंधन की कार्य योजना पर काम कर रहा है. इसमें विभाग से जल स्त्रोत को चिन्हित कर रहा है जिन से मांग के अनुरूप जलापूर्ति की जा सके.
ये रही जयपुर में पानी व्यवस्था
जयपुर शहर राजस्थान की राजधानी, जहां सरकार रहती है लेकिन यहां भी पानी की किल्लत से शहर वासियों को दो-चार होना पड़ रहा है. जयपुर सबसे बड़ा जिला और शहर है. 40 लाख से ज्यादा आबादी वाले जिले में पेयजल का एकमात्र स्रोत टोंक जिले में स्थित बीसलपुर बांध है. इस बांध में उदयपुर संभाग के जिलों की बारिश का पानी आता है. लेकिन इस बार उदयपुर संभाग के जिलों में भी बारिश कम होने के कारण इस बांध में पर्याप्त पानी नहीं आ पाया. इस बार बांध सर्दियों के शुरुआत में खाली होने लगा था. जिसके चलते पेयजल सप्लाई में कटौती की गई.
वर्तमान में जयपुर को 500 एमएलडी पानी की सप्लाई हो रही है, जिसमे से 330 एमएलडी बीसलपुर और 170 एमएलडी नलकूप के जरिये सप्लाई हो रही है. बीसलपुर में 15 अगस्त तक का पानी शेष है हलांकि प्रदेश में मानसून की दस्तक के साथ बांध में पानी की आवक शुरू हो गई है.
इन 9 जिलों में हालात बेहद खराब
राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर और जोधपुर समेत बीकानेर, हनुमानगढ़, नागौर, चूरू, पाली, जालौर जिले में पानी की भयंकर किल्लत बनी हुई है. यह जिले जिनको भूजल स्तर के हिसाब से डार्क जोन घोषित कर दिया गया है. इन सभी 9 जिलों कि शहरी और ग्रामीण इलाकों में न तो जमीन के अंदर पानी है और ना ही सरकारी स्तर पर पानी की सप्लाई की समुचित व्यवस्था है.
बीसलपुर बांध की उखड़ने लगी सांसे
जयपुर, अजमेर, टोंक की लाइफलाइन कही जाने वाले बीसलपुर बांध में महज 11 फ़ीसदी से कम पानी बचा है. इस बार इसकी सांसें मार्च माह में ही उखड़ने लग गई थी. 315.50 आरएल भराव क्षमता वाले इस बांध में मात्र 15 मार्च के आसपास की महज 17 फ़ीसदी पानी बचा था हालांकि राजधानी जयपुर में पानी की सप्लाई की मांग को देखते हुए उस समय से कृषि के लिए पानी की सप्लाई बंद कर दी गई थी. इसके साथ ही जयपुर, अजमेर जिले को छोड़कर अन्य जिलों में पेयजल सप्लाई बंद कर दी गई थी लेकिन आज जयपुर में भी हालात गंभीर बन गए.
अधिकारियों की मानें तो बीसलपुर बांध का पानी बचा है, बीसलपुर में कम होते पानी को देखते हुए पहले ही सप्लाई को व्यवस्थित कर दिया गया था जितनी आवश्यकता थी उसी अनुरूप पानी लिया जा रहा है. इसके अतिरिक्त वैकल्पिक व्यवस्था के लिए नलकूप ट्यूबेल की सहायता ली जा रही है.