जयपुर. राजधानी के कानोता थाने में तैनात पुलिसकर्मी विक्रम सिंह राठौड़ कोरोना के दहशत में जी रहे उन लोगों के लिए किसी प्रेरणा और उम्मीद से कम नहीं हैं. इस बहादुर जवान ने पहले कैंसर के खिलाफ न केवल लड़ाई लड़ी बल्कि उसे मात भी दी. गंभीर बीमारी से लड़ने के बावजूद वे आज 16 से 18 घंटे की ड्यूटी कर रहे हैं. ड्यूटी के प्रति इनके इस जज्बे को देखकर पुलिस के उच्च अधिकारी भी विक्रम की तारीफ करने में पीछे नहीं हटते.
प्रदेश में कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए लॉकडाउन के साथ धारा-144 लागू है. इन नियमों की पालना की जिम्मेदारी पुलिस के कंधों पर है. पुलिस के जवान पूरी मुस्तैदी के साथ कोरोना वॉरियर्स के रूप में जनता को सुरक्षित रखने में लगे हुए हैं. इनमें कुछ पुलिस के जवान तो ऐसे हैं, जो इस मुश्किल वक्त में 'फर्ज' शब्द की नई परिभाषा गढ़ रहे हैं. एएसआई विक्रम सिंह राठौड़ कानोता थाने के चेकपोस्ट पर कोरोना से जंग लड़ने लिए मुस्तैदी से तैनात हैं. ईटीवी भारत ने विक्रम सिंह से बातचीत कर जानी उनके जोश, जूनून और जज्बे की कहानी.
कैंसर को दी मात
ये पहले दफा नहीं है कि विक्रम सिंह के सामने कोई गंभीर चुनौती है. सवा साल पहले कैंसर जैसी गंभीर बीमारी ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया था. एक साल तक मुंबई में उनका इलाज चला. जिसके बाद उन्होंने कैंसर पर जीत हासिल कर ली, लेकिन लौटे तो डॉक्टर की सलाह पर कुछ आराम करते, इससे पहले ही प्रदेश के सामने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी चुनौती के रूप में सामने आ गई. जिसके बाद विक्रम सिंह कोरोना से जंग के लिए मैदान में उतर गए. अधिकारियों ने मेडिकल लीव लेने की सलाह दी पर विक्रम नहीं माने और अपना कर्तव्य निभाने की बात कही. जिसके बाद वे अब 16-18 घंटे भी ड्यूटी कर रहे हैं.
पहले गैंग का किया भांडाफोड़, फिर इलाज के लिए माने
ऐसा नहीं की विक्रम सिंह के ड्यूटी के प्रति इस जज्बे की पहली बार कोई चर्चा या कोई तारीफ हो रही है. राजस्थान के 12 से अधिक जिलों में सरकारी स्कूलों से कंप्यूटर के पार्ट्स चोरी हो रहे थे. जिसके बाद विक्रम को इन चोरों की गैंग को पकड़ने की जिम्मेदारी दी गई. वो इस मिशन में जुट गए. चोरों की गैंग का पर्दाफाश करने वाले ही थे कि एक दिन अचानक उनकी तबियत खराब हो गई. जब उन्होंने जांच कराई तो उन्हें कैंसर के बारे में पता चला. जिसके बाद डॉक्टर ने उन्हें तत्काल मुंबई जा कर इलाज करने की सलाह दी, लेकिन विक्रम सिंह उस वक्त उस चोर गिरोह का भांडाफोड़ करने वाले थे.
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इसलिए उन्होंने डॉक्टर से 5 दिन का समय मांगा, क्योंकि विक्रम सिंह जानते थे कि वो एक बार इलाज करने गए तो ना जाने कितना वक्त लगे. जिसके बाद इस निडर पुलिसकर्मी ने न केवल गैंग के सभी चोरों को पकड़ा, साथ ही उनके पास से चोरी का पूरा सामान भी बरामद किया. इस दौरान उन्होंने अपने कैंसर पीड़ित होने की बात भी परिवार से भी छुपाई. इसके बाद वे मिशन पूरा कर इलाज के लिए मुंबई रवाना हो गए.