जयपुर. जयपुर शहर को 100 साल तक पानी पिलाने वाला रामगढ़ बांध (Ramgarh Dam) आज खुद प्यासा है. अतिक्रमण (Encroachment) और गलत नीतियों के शिकार इस बांध का इतिहास जितना गौरवशाली है, वर्तमान उतना ही शुष्क और भविष्य का कुछ अता-पता नहीं.
जयपुर में सामान्य से ज्यादा बारिश होने के बावजूद बांध में एक बूंद तक पानी नहीं आया. जिसका बड़ा कारण यहां बने एनिकट और अतिक्रमण तो हैं ही. इसके अलावा भी इस बांध के मरने की कथा अनंत है.
एशियाड का नौकायन खेल हो चुका है रामगढ़ में
1982 में रामगढ़ बांध में एशियाड के खेलों (Asiad Games) का आयोजन हुआ था. यहां नौकायन का खेल (sailing game) देखने शहर उमड़ आया था. बांध लबालब था. पूरे शहर की प्यास बुझाने का जिम्मा अकेले रामगढ़ बांध का था. अफसोस की बात है कि आज रामगढ़ खुद प्यासा है. यहां अब पानी नहीं, सिर्फ बरसात के दिनों में हरियाली का आभास कराने वाली झाड़ियां बची हैं.
इस बार राजधानी जयपुर में सामान्य से 31 फ़ीसदी ज्यादा बारिश हुई है. जिसमें शहर की सड़कें नदियां बन गईं. लेकिन अतिक्रमण ने रामगढ़ बांध का गला इस कदर घोंट रखा है कि भारी बारिश के बावजूद ये बांध सूखे की मार झेल रहा है.
गलत नीतियों का शिकार हुआ बांध
रामगढ़ बांध में ताला और बाणगंगा सहित 7 नदियों का पानी आता था. लेकिन सरकार की एक गलत नीति ने बांध को बूंद-बूंद का मोहताज बना दिया. सरकार ने 'गांव का पानी गांव में' का नारा दिया और जगह-जगह एनिकट बनवा दिए. नतीजा ये हुआ कि साल 2000 से बांध में पानी की आवक लगातार घटती गई. हालात ये हो गए कि अब बांध में एक बूंद तक पानी नहीं आता. तब से ये बांध सूखा पड़ा है.
बांध के कैचमेंट एरिया में सैकड़ों अतिक्रमण भी इस बांध के खत्म होने की वजह हैं. अतिक्रमणों पर जयपुर विकास प्राधिकरण ने सर्वे कराकर कार्रवाई भी शुरू की. पक्के निर्माण बहाव क्षेत्र में आज भी मौजूद हैं.
जेडीए काम तो कर रहा है, लेकिन सुस्त रफ्तार से
जेडीए रिपोर्ट के अनुसार रामगढ़ बांध बहाव क्षेत्र में आने वाले नदी-नालों और तालाब किस्म की भूमि का पीटी सर्वे करवाकर चिन्हीकरण किया गया. 9 जुलाई 2019 को ग्राम अरनिया, कंवरपुरा, पीलवा, चन्दवाजी में लगभग 10 बीघा भूमि पर कच्चे-पक्के निर्माण, स्ट्रक्चर, बाउण्ड्रीवाल, तारबंदी को हटाने के साथ कार्रवाई शुरू की गई. मेघराज, सिंहपुरा, श्यामपुरा, राजपुरावास, सिरोही, देवका, हरमाड़ा, लखेर, कुशलपुरा जैसे करीब 42 गांव में कार्रवाई भी की गई. हालांकि अभी भी करीब 37 अतिक्रमण को जेडीए अधिनियम 1982 की धारा 72 के नोटिस जारी किए गए. जिनके जवाब प्राप्त होने पर विधिक परीक्षण करवाया जा रहा है. इसके बाद यहां नियमानुसार अग्रिम विधिक कार्रवाई की जाएगी.
बहरहाल स्थानीय प्रशासन, सिंचाई विभाग, जेडीए की जोन टीम और प्रवर्तन शाखा यहां निगरानी बरत रहे हैं. अतिक्रमण पर कार्रवाई भी की जा रही है. लेकिन बांध के रास्ते में बने एनिकट अभी भी पानी की आवक को रोके हुए हैं. जिन पर समय रहते कार्रवाई करने की आवश्यकता है. अन्यथा रामगढ़ की प्यास कभी नहीं बुझेगी. यूं भी किसी जलस्रोत का सूख जाना जीवन के संकट की निशानी होता है.